ललितपुर के ऐतिहासिक अंजनी मेले में पशु बिक्री पड़ रही फीकी  

Arvind Singh ParmarArvind Singh Parmar   14 April 2017 2:19 PM GMT

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ललितपुर के ऐतिहासिक अंजनी मेले में पशु बिक्री पड़ रही फीकी   इस बार नहीं बिक रहे बैल।

अरविंद सिंह परमार, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

महरौनी (ललितपुर)। बुंदेलखंड के ललितपुर जनपद से 50 किलोमीटर पूर्व दिशा में स्थित महरौनी तहसील के कुम्हैढ़ी गाँव में अंजनी माता के मंदिर पर प्रतिवर्ष हनुमान जयंती के अवसर पर सात दिन का मेला लगता है। मेले में दूर-दूर से आठ से दस हजार बैल बिकने आते थे, लेकिन इधर चार वर्षों से बैलों की संख्या में कमी आने लगी है। इस साल मेले में सिर्फ दो-तीन सौ ही जानवर दिखे।

मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ के घुवारा गाँव निवासी किशन यादव (52 वर्ष) 70 किमी पैदल चलकर इस बार मेले में तीन बैल बेचने के लिए आए थे। उन्होंने बताया, “मेला देखकर हैरान हूं। इस बार न के बराबर जानवर बिकने आए हैं।’ वो बताते हैं, “चार साल पहले इस अंजनी के मेले में आठ से दस हजार जानवर बिकने आते थे। जानवरों की कीमत भी अच्छी मिल जाती थी। इस बार यहां का हाल देखकर मुझे लग रहा है शायद ही हमारे बैल बिक पाएंगे।”

वहीं, ख्याले राम (55 वर्ष) आनन्द पुरा टीकमगढ़ से मेले में आए हैं। चार बैल बेचकर खुश दिखे। खुशी जाहिर करते हुए ख्याले राम बताते हैं, “11 हजार में चार बैल गए। इस रेट पर घाटा तो हुआ है। इसी मेले में दो साल पहले एक जोड़ी बैलों को 12 हजार में बेचा था।”

हरिशंकर भौडेले (30 वर्ष) बताते हैं, “बुंदेलखंड का किसान बैलों की अपेक्षा मशीनीकरण पर ज्यादा निर्भर हो गया है। बैलों की उत्तम नस्लें भी समाप्ती की कगार पर हैं, जिसका असर अंजनी मेले पर लगातार दो तीन-वर्षों से दिख रहा है। इस साल सबसे अधिक गिरावट मेला में देखने को मिली है।” वो आगे बताते हैं, “जानवर बेचने पर रोक लगने की अफवाह फैली है। ऐसे में छुट्टा जानवरों की संख्या बढ़ने के आसार हैं।”

    

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