यकीन मानिए ये तालाब है 

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यकीन मानिए ये तालाब है लोहिया गाँव में बने तालाबों का सौंदर्यीकरण तो किया गया लेकिन अभी तक ये तालाब बिना पानी के अपने को अधूरा सा महसूस कर रहे हैं।

अजय मिश्रा, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ/ कन्नौज/ सुल्तानपुर/ बाराबंकी/ कानपुर। ‘‘लोहिया गाँव के बीच स्थित पुराने तालाब का वर्ष 2015-16 में सौंदर्यीकरण कराकर उसे बेहतर बनाया गया। पर अब तक उसमें पानी नहीं आया।” यह कहना है कन्नौज जिला मुख्यालय से करीब 75 किमी दूर बसे गाँव नगला विशुना के राजेश (47 वर्ष) का।

कन्नौज जिले में करीब 1,300 तालाब हैं। अधिकतर तालाब सूखे हैं। उनमें धूल उड़ती है। कई तालाबों में गंदगी है। तालाब खोदकर हर साल लाखों रुपए खर्च कर दिए जाते हैं, लेकिन इनको खोदने का मूल उद्देश्य पूरा नहीं हो पाता है। इस साल 201 तालाब मनरेगा के तहत खोदे जा रहे हैं। मुख्यमंत्री जल बचाओ योजना के तहत भी बीते दो वर्षों में करीब 1,100 तालाब खोदने का लक्ष्य मिला था।

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गर्मियां शुरू हो रही हैं, लेकिन तालाबों में पानी के इंतजाम नहीं दिख रहे हैं। लखनऊ में 67 ग्राम पंचायतों में करीब 100 से ज्यादा तालाब खुदवाए जा चुके हैं। तालाबों की खोदाई, बैरीकेडिंग और उनके किनारे पौधरोपण के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च भी हुए हैं, लेकिन अधिकांश तालाब सूखे पड़े हैं। इनमें डाले गये इनलेट व आउटलेट पाइप खुले में हैं। कानपुर जनपद की चारों तहसीलों सदर, नर्वल, बिल्हौर व घाटमपुर में कुल 2273 तालाब हैं।

सभी विकास खंडों से सूचना मांगी गई है कि कितने तालाब खाली हैं और कितने भरे। चुनाव बाद ही इनको भराने का काम शुरू हो सकेगा। मुख्यमंत्री जल बचाओ योजना के अलावा मनरेगा के तालाब अधिक हैं। सभी राजस्व विभाग के तहत आते हैं।
एके वैश्य, जिला विकास अधिकारी, कन्नौज

इनमें से प्रशासन ने 1743 तालाब सूखे चिन्हित किए हैं। बाराबंकी में कई ब्लॉकों में 90 फीसदी तालाब सूखे पड़े हैं। इन सूखे तालाबों में पानी भरवाने की कोई सुध नहीं ले रहा है। फतेहपुर ब्लॉक के बेलहरा पंचायत की प्रधान आशा मौर्या कहती हैं, “प्रशासन की तरफ से तालाबों में पानी भरवाने का कोई निर्देश नहीं मिला है।” वहीं सूरतगज ब्लॉक के छेदा पंचायत के प्रधान कल्लू गौतम बताते हैं, “तालाबों में पानी भरवाने के लिए आज तक कोई भी बजट नहीं आया। हम कहां तक अपने पास से पैसा लगाकर तालाबों में पानी भरें।”

कन्नौज के सौरिख ब्लॉक क्षेत्र के नियामतपुर गाँव के निवासी राजू कठेरिया (35 वर्ष) का कहना है, ‘‘आठ साल पहले गाँव में तालाब खोदा गया था, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।” गाँव मिश्राबाद के ब्रजेन्द्र पाल (38 वर्ष) का कहना है, ‘‘मवेशियों को पानी पिलाने के लिए तालाब कारगर साबित नहीं हो रहे हैं। इसके लिए हैंडपंप, ट्यूबवेल और इंजन का ही सहारा लेना पड़ता है।”

कन्नौज के गुगरापुर ब्लॉक क्षेत्र के इस्माइलपुर डीगन के मजरा हड़ाताल में भी तालाब सूखा है। प्रधान नेम सिंह यादव (48 वर्ष) का कहना है, ‘‘अगर हमको लिखित मिले तो तालाब में पानी भराया जाए।” धीरपुर निवासी किसान रामप्रताप (68 वर्ष) का कहना है, ‘‘पानी की व्यवस्था तालाबों में हो जाए तो पशु-पक्षी और मवेशियों के लिए आराम हो जाए।” सुल्तानपुर जिले में लगभग सभी तालाब सूखे हैं। सरकार की तरफ से इस पर कोई भी बजट नहीं गया है।

भदैया के प्रधान देवेंद्र सिंह गुड्डू बताते हैं, “न तो बजट मिला है और न ही कोई आदेश है।”कन्नौज के गौरीबांगर के मजरा सद्दूपुर निवासी सुभाषचंद्र (52 वर्ष) का कहना है, ‘‘वर्ष 2005 में तालाब बना था। गाँव कटरी क्षेत्र में है। पानी की दिक्कत है। कई प्रधान बने लेकिन तालाब में पानी नहीं आया। यहां मवेशी और गोबर ही दिखता है।” दूसरी ओर इसी ग्राम पंचायत के प्रधान गजेंद्र सिंह (35 वर्ष) का कहना है, “मेरे गाँव में कोई तालाब ही नहीं है।”

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