#स्वयंफेस्टिवल : मवेशियों के कान पर लगा यह पीला टैग क्या है?

Bhasker TripathiBhasker Tripathi   30 Dec 2016 6:37 PM GMT

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#स्वयंफेस्टिवल : मवेशियों के कान पर लगा यह पीला टैग क्या है?ललितपुर में मवेशियों का बधियाकरण हुआ।

स्वयं डेस्क/ भास्कर त्रिपाठी (28 वर्ष)

स्वयं फेस्टिवल : पांचवां दिन। स्थान:ललितपुर की महरौनी तहसील

ललितपुर की महरौनी तहसील के समोगर गाँव में स्वयं फ़ेस्टिवल के तहत पशु टीकाकरण और आवारा बछड़ों के बधियाकरण (castration) कैम्प का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम को गाँव कनेक्शन फ़ाउंडेशन और पशुपालन विभाग ललितपुर ने मिलकर आयोजित किया। कैम्प के दौरान 700 से ज़्यादा पशुओं को घातक गला घोटूं बीमारी के टीके लगाए गए।

ललितपुर के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर जीवन दत्त ने बधियाकरण की सरकार की योजना के बारे में बताया।

35 बछड़ों का बधियाकरण करके उनके कानों में टैग लगाए गए। बधियाकरण का कार्यक्रम इसलिए ज़रूरी है क्योंकि बुंदेलखंड में अन्ना प्रथा के चलते ना सिर्फ़ खेती बर्बाद होती है, बल्कि नस्ल ख़राब होने से दूध उत्पादन में भारी हानि होती है। ललितपुर में क़रीब 25,000 पशुओं के बधियाकरण का लक्ष्य है।

बढ़ रही पशुओं की संख्या

पिछले कुछ वर्षों में मवेशी काफी बढ़ गए हैं। आवारा पशु जहां-तहां दिखाई दे जाते हैं। ये मवेशी खेतों में फसल को नुकसान पहुंचाते हैं नहीं तो ट्रैफिक जाम लगाते हैं।

पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर एसके निगम कार्यक्रम की उपयोगिता पर जानकारी देते हुए।

ललितपुर भी आवारा पशुओं से परेशान

बुंदेलखंड के ललितपुर में भी ऐसी समस्या आम है। जब गाय-बैल इस्तेमाल लायक नहीं रहते (दुधारू न हों या बूढ़े हो जाने पर) तो लोग उन्हें छोड़ देते हैं। सरकार ने इस तरह के पशुओं के बधियाकरण के लिए अन्ना प्रथा उन्मूलन योजना चलाई है। यह योजना बुंदेलखंड के हमीरपुर, बांदा, महोबा, जालौन और ललितपुर में लागू है। बधिया मवेशियों के कान पर पीले रंग का टैग लगाया जाता है ताकि उनकी पहचान हो सके।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

     

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