बाराबंकी: घाघरा किनारे बसे गाँव बदहाल

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बाराबंकी: घाघरा किनारे बसे गाँव बदहालघाघरा के किनारे बसे गांव, इस हालत में हैं।

हरनेश शुक्ला, स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट

बाराबंकी। सरकार के प्रयासों के बाद भी घाघरा के बीच बसे कुछ गाँव ऐसे हैं, जो आज भी विकास से कोसो दूर हैं। एक तो इन गाँवों के आसपास स्कूल ही नहीं हैं और जिन गाँवों में स्कूल हैं वहां की हालत इतनी खराब है कि बच्चों को अंदर बैठने में डर लगता है।

जिला मुख्यालय से 75 किलोमीटर दूर रामनगर तहसील के सूरतगंज ब्लाक के उत्तर दिशा के अकौना ग्रामपंचायत के ही कई गाँव खुज्छि, नरौली, बिधौली और असरफपुर गाँव की कुल आबादी 3000 से 3500 तक है, जिसमें लगभग कुल वोटर 1460 हैं। इन गाँव में अधिकतर मल्लाह समाज के लोग निवास करते हैं। जो अपना और अपने बच्चों का पेट पालने के लिए मसूर और गन्ने की खेती करते हैं। सभी का एक जैसा व्यवसाय है, क्योंकि यहां पर चारों तरफ पानी ही पानी हो जाता है। बाढ़ के समय यहां अन्य खेती करना नामुमकिन हैं।

बिधौली गाँव के निवासी राम आधार (55 वर्ष) बताते हैं, ‘’हमारा जीना कोई जीना नहीं है। हम तो शिक्षित नहीं ही थे, यहां कोई स्कूल न होने के कारण हमारे बच्चे भी स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। हमारी तरह बच्चे भी अशिक्षित ही रह जाएंगे। एक स्कूल है तो देख कर ही डर लगता है। इस स्कूल में कोई अध्यापक ही नहीं आता है।”

अशोक मल्लाह बताते हैं, “छोटे बच्चों के लिए एक विद्यालय था भी वह भी इस बार घाघरा के कटान की वजह से घाघरा में समा गया। इस समय बच्चों के पढ़ने के लिए सरकार ने एक टीन नुमा स्कूल का निर्माण कराया है। इस स्कूल की हालत इतनी खराब है कि कोई भी यहां पढ़ने नहीं जा सकता है।”

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

    

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