रहने के लिए छत तो मिली लेकिन बुनियादी ज़रूरतों से अभी भी महरूम 

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
रहने के लिए छत तो मिली लेकिन बुनियादी ज़रूरतों से अभी भी महरूम कांशीराम कॉलोनी में कई वर्षों के बाद भी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो पायी हैं।

अरुण मिश्रा, स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट

विशुनपुर (बाराबंकी)। बाराबंकी मुख्यालय से 15 किमी दूर देवा कस्बे की कांशीराम कॉलोनी में कई वर्षों के बाद भी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो पायी हैं। यहां के ट्रांसफार्मर और स्ट्रीट लाइटों के तारों में वर्षों से करेंट दौड़ने का इंतजार कर रही हैं। कई परिवारों को आज तक राशन कार्ड भी नसीब नहीं हुए हैं।

देश-दुनिया से जुड़ी सभी बड़ी खबरों के लिए यहां क्लिक करके इंस्टॉल करें गाँव कनेक्शन एप

देवा कस्बे के उत्तरी छोर पर सिद्धेश्वर मंदिर के निकट बनी कांशीराम कॉलोनी में प्रवेश करते ही चिटकी और धंसी हुई मेन सड़क से सामना होता है। सड़कों पर पसरी गंदगी के बीच दर्जनों परिवार इन बहुमंजिला कॉलोनी में निवास करते हैं। कुछ कमरों में ताला लटका था। पूछने पर पता चला कि कॉलोनी में न लाइट है और न पानी की सुविधा, जिससे लोग कस्बे में ही अपने टूटे-फूटे आवासों में रहते हैं। जो यहां रह भी रहे हैं वह बिजली और पानी की समस्या का सामना कर रहे हैं।

कॉलोनी निवासी सोनू वाल्मीकि बताते हैं, “करीब पांच साल पहले जब कॉलोनी मिली थी तो लगा था कि सब कष्ट दूर हो जाएंगे, लेकिन यहां न बिजली है न पानी की सुविधा।” मोती बताते हैं, “आज तक राशन कार्ड भी नहीं बन पाया है। एपीएल का कार्ड है, जिस पर केवल डेढ़ लीटर केरोसिन मिलता है।” मोहम्मद शमीम बताते हैं, “बिजली के न होने से शाम ढलते ही कॉलोनी अंधेरे में डूब जाती है।”

कॉलोनी की समस्याएं संज्ञान में हैं। इसके लिए कई बार प्रयास किया गया है। चुनाव बाद फिर से कॉलोनी की बिजली और पानी की समस्या को दूर करने का प्रयास किया जाएगा।
साहबे आलम वारसी, चेयरमैन देवा

मोहम्मद रहमान कहते हैं, “कॉलोनी में बिजली के लिए वह लोग अधिकारियों से भी मिले थे, लेकिन कॉलोनी में बिजली नही पहुंची।” कॉलोनी की ऊपरी मंजिलों पर रहने वाले लोग बताते हैं कि टंकी बनी होने के बावजूद पानी की सप्लाई आज तक शुरू नहीं हो सकी है। जिससे तीसरी मंजिल तक हैण्डपम्प से पानी ले जाना पड़ता है।

ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।

     

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.