मंडियों को ऑनलाइन करने से पहले उन्हें स्वच्छ बनाने की ज़रूरत

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मंडियों को ऑनलाइन करने से पहले उन्हें स्वच्छ बनाने की ज़रूरतराजधानी लखनऊ की नवीन गल्ला मंडी में कुछ इस तरह नजर आती है गंदगी।

अश्विनी द्विवेदी, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। केंद्र सरकार ने देश की मंडियों को ऑनलाइन करने के लिए 75 हज़ार करोड़ का बजट तो दिया है, मगर जमीनी स्तर पर मंडियों की हालत दयनीय है। उनमें ढांचाकृत सुधार कार्यों की आवश्यकता है। जरूरत है कि किसानों को ऑनलाइन सुविधाएं दिए जाने से पहले मंडियों की दशा सुधारी जाए।

लखनऊ जनपद की सीतापुर रोड पर स्थित नवीन गल्ला मंडी में फल मंडी,सब्जी मंडी और गल्ला मंडी है। यहां पर करीब 300 पंजीकृत व्यापारी काम कर रहे हैं। इस मंडी में लखनऊ के अलावा सीतापुर, बाराबंकी, हरदोई, उन्नाव सहित प्रदेश ही नहीं, देश के विभिन्न हिस्सों के व्यापारी आते हैं, मगर मंडी के अंदर के परिसर में गंदगी के ढेर और जगह-जगह पर टूटी दीवारे हैं,जिन्हें सही कराने की दरकार है।

हालांकि किसान को मंडियों में ज़्यादा से ज़्यादा लाभ मिल सके, इसके लिए सरकार ने अपने बजट में कई सुधार किए हैं।

इसमें से सबसे बड़ा सुधार है मंडियों का डिजिटलकरण किया जाना। इसके अलावा किसान को कृषि उत्पाद का उच्चतम मूल्य दिलाया जाए, आढ़तिया एकीकृत लाइसेंस के ज़रिए पंजीकृत हों, मंडी की फीस, आढ़तिया का कमीशन और किसान के उत्पाद का मूल्य सीधे किसान के खाते में भेजे जाने जैसी बातें शामिल हैं, पर इन सभी सुविधाओं से पहले मंडियों की ढांचाकृत तस्वीर सुधारने की दरकार है।

प्रदेश की सभी मंडियों में केंद्र और प्रदेश सरकार की मदद से मौजूदा समय में स्वच्छ भारत अभियान के तहत कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। मंडियों में अगर गंदगी है या वहां सफाई कर्मचारी नहीं तैनात है तो इसकी शिकायत सीधे मंडी सचिव या फिर मंडी परिषद को लिखित में बताई जा सकती है।
डॉ. दिनेश चंद्रा, सह निदेशक, कृषि विदेश व्यापार एंव विपणन, यूपी

चार करोड़ रुपये प्रतिदिन का कारोबार

नवीन मंडी की इस हालत के बारे में व्यापारी नेता व अध्यक्ष प्रेम कुमार बताते हैं कि मंडी का एक दिन का औसतन कारोबार लगभग चार करोड़ रूपए प्रतिदिन का है और ढाई प्रतिशत के हिसाब से व्यापारी कर भी दे रहा है, लेकिन मंडी में बुनियादी सुविधाएं नाम मात्र की नहीं हैं। वह आगे बताते हैं कि मंडीपरिषद की तरफ से मंडी में 15 शौचालय बनवाये गए हैं, पर ये सभी शौचालय धीरे-धीरे टूट गए हैं। इसके अलावा यहां पर पानी कनेक्शन भी नहीं है, जिससे यहां पर बहुत दिक्कत होती है। मंडी में कुल चार सरकारी हैंडपंप है, जिनमें से एक भी सही नहीं है। यहां लगभग सभी सड़कें और नालिया टूटी हुई हैं, जहां आए दिन जलभराव रहता है।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

     

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