किसानों के लिए बने विश्राम गृहों में हो रहा व्यापार

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किसानों के लिए बने विश्राम गृहों में हो रहा व्यापारविश्राम गृह व्यापार करते व्यापारी।

देवांशु मणि तिवारी, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। जिले की सीतापुर रोड पर बनी नवीन गल्ला मंडी में सत्येंद्र कटियार (48 वर्ष) पिछले पांच वर्षों से सब्जियों का व्यापार कर रहे हैं। मंडी में सुबह से व्यापार में लगे रहने के बाद भी सत्येंद्र जैसे सैकड़ों व्यापारियों को थकान मिटाने के लिए बनाए गए विश्राम गृह में आराम करने की जगह नहीं मिलती है।

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मंडी में बने विश्राम गृह की ओर इशारा करते हुए सत्येंद्र ने बताया, “मंडी में किसानों और व्यापारियों को आराम करने के लिए विश्राम गृह बनाया गया है। लेकिन मंडी में न तो सामान बेचने के लिए जगह बची है और न ही आराम करने के लिए। मंडी में जगह न मिल पाने से लोग अब विश्राम स्थल पर सब्जियां और फल बेचने लगे हैं।” जिले में कृषि व्यापार और थोक खरीद के लिए मुख्य रूप से नवीन कृषि मंडी, दुबग्गा और नवीन गल्ला मंडी, सीतापुर रोड हैं। दोनों मंडियों में हर रोज़ 20,000 से अधिक लोगों की आवक है। इसके बावजूद इन मंडियों में व्यापारियों के साथ-साथ सामान बेचने आए किसानों के विश्राम करने के लिए कोई भी सुविधा नहीं बनाई जा सकी है।

मंडी में किसानों के लिए बनाए गए विश्राम गृह का उपयोग न किए जाने की बात कहते हुए दिनेश कुमार वर्मा (मंडी सचिव, नवीन गल्ला मंडी, सीतापुर रोड) ने बताया, “किसान मंडी विश्राम गृह का इस्तेमाल रात में मंडी में रुकने वाले व्यापारियों के लिए होता है। विश्राम गृह का इस्तेमाल ज़्यादा न होने के कारण हमने अभी इसे बंद कर दिया है। इसलिए इसके परिसर में लोगों ने अपना सामान बेचना शुरू कर दिया है।” मंडी के कुछ व्यापारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि मंडी में काफी लोगों के लाइसेंस बने हैं पर उन्हें अपना माल बेचने के लिए पर्याप्त जगह नहीं दी गई है। इसलिए अधिकतर लोग विश्राम गृह के परिसर पर अपना सामान बेचने के लिए मजबूर हैं।

मंडी में फल व्यापारी रामदयाल मौर्य (45 वर्ष) ने बताया, “मंडी में व्यापारियों के लिए जगह की कमी की शिकायत कई बार सचिव से लेकर मंडी परिषद के अधिकारियों से की गई है पर आजतक इसपर कोई भी कार्रवाई नहीं हो पाई है।” “मंडी में किसान बहुत कम हैं, इसलिए विश्राम गृह मुख्य रूप से व्यापारियों के लिए ही बनाया गया है। यह सच है कि मंडी में जगह की कमी है, इसलिए रोज़ाना सुबह अपना फुटकर सामान बेचने आने वाले किसान विश्राम गृह के परिसर में माल बेचते हैं और फिर दोपहर तक चले जाते हैं”, दिनेश कुमार वर्मा ने आगे बताया।


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