#स्वयंफेस्टिवलः सोहरामऊ गाँव पहुंचे कृषि अधिकारी, किसान को मिली कई अहम जानकारी

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#स्वयंफेस्टिवलः सोहरामऊ गाँव पहुंचे कृषि अधिकारी, किसान को मिली कई अहम जानकारीकिसानों को खेती संबंधी अतिरिक्त जानकारी से कृषि विभाग के विशेषज्ञों ने अवगत कराया।

स्वयं डेस्क/ श्रीवत्स अवस्थी (कम्युनिटी जर्नलिस्ट) 28 वर्ष

उन्नाव। उन्नाव जिले के सोहरामऊ गल्ला मंडी में आयोजित स्वयं फेस्टिवल कार्यक्रम में कृषि विभाग से आये अधिकारी ने किसानों को खेती से जुड़ी तमाम जानकारियां दी। समारोह के दौरान कृषि विभाग की तरफ से मृदा स्वास्थ्य की जांच के लिए खेत की मिट्टी का सैम्पल दिया। किसानों को खेती संबंधी अतिरिक्त जानकारी से कृषि विभाग के विशेषज्ञों ने अवगत कराया।

कृषि विभाग से आये अधिकारी यत्येन्द्र सिंह ने बताया कि किसान के लिए किस तरह बेकार कचड़ा काम की चीज है। कचरे से किसान फसलों के लिए खाद बना सकते हैं। ऐसी खाद जिसमें कोई लागत नहीं है और आसानी से बनाई जा सकती है। किसान कचरे से भी प्राकृतिक खाद तैयार कर सकते हैं। इस तरह उन्होंने बताया कि किसी भी तरह के कचरे को इधर उधर फेंकने की जगह उसका सही उपयोग किया जा सकता है। इस तरह वातावरण भी साफ सुथरा रहेगा।

किसानो को उद्यान विभाग में पंजीकरण से होने वाले फायदे के बारे में भी बताया गया। उद्यान विभाग में पंजीकरण से होने वाले फायदे के बारे में बताते हुए कहा कि अगर आप पंजीकृत है तो आप को कई फसलों के बीजआपको सरकार द्वारा निशुल्क उपलब्ध कराएं जाएंगे।

ग्रामीण महिलाओं ने सीखा इंटरनेट और जाने उसके फायदे

कार्यक्रम में नुक्कड़ नाटक के जरिये महिलाओं को इंटरनेट के बारे में जानकारी दी गई। नुक्कड़ नाटक टीम के सदस्य राजा और कॉआर्डिनेटर मृदुल मे बताया कि इंटरनेट के माध्यम से आज के सामय में महिलाएं खुद स्वावलंभी बन सकती हैं। वो रोजगार पा सकती हैं। उन्होंने बताया, ''इसके जरिये कढ़ाई, बुनाई और मेहंदी लगाने की जानकारी हासिल कर सकती हैं।'' नुक्कड़ नाटक के जरिये महिलाओं के प्रोत्साहित किया गया कि वो भी इंटरनेट चला सकती हैं।

कार्यक्रम में महिलाओं को इंटरनेट के उपयोग के बारे में जानकारी दी गई, उन्हें बताया गया कि कैसे वो इंटरनेट के प्रयोग से अपनी बात सब तक आसानी से पहुंचा सकती हैं। इसके साथ ही महिलाओं को social media, whatsapp और facebook की जानकारी दी गई। महिलाओं को whatsapp के माध्यम से फोटो और वीडियो भेजने का तरीका भी बताया गया।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

   

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