#स्वयंफेस्टिवलः ग्रामीणों ने सीखा अश्व प्रजाति के पशुओं की कैसे करें देखभाल

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#स्वयंफेस्टिवलः ग्रामीणों ने सीखा अश्व प्रजाति के पशुओं की कैसे करें देखभालब्रुक इंडिया के द्वारा लोगों में अश्व प्रजाति के पशुओं की देखरेख और उनके इलाज के प्रति लोगों को जागरूक किया गया।

स्वयं डेस्क/ श्रीवत्स अवस्थी (29 वर्ष)

उन्नाव। आज स्वयं फेस्टिवल का चौथा दिन है, आज उन्नाव जिले के सोहरामऊ बाजार में कार्यक्रम का आयोजन किया गया है, जहां पर ब्रुक इंडिया के द्वारा लोगों में अश्व प्रजाति के पशुओं की देखरेख और उनके इलाज के प्रति लोगों को जागरूक किया गया।

ब्रुक इंडिया के प्रोजेक्ट मैनेजर जियाउल हक ने कार्यक्रम में लोगों को सम्बोधित करते हुए अश्व प्रजाति के जानवरों के बारे में तमाम उपयोगी जानकारियों लोगों के साथ साझा की। कार्यक्रम में लोगों को बताया गया कि पशुओं के चारा पानी का खास ध्यान रखें और समय पर चारा पानी दें। पशु को हमेशा बांद कर न रखें, उन्हें शाम के समय टहलने के लिए झुंड में जरूर छोड़ें, क्योंकि पशु को हमेशा बांध कर रखने या अकेले रखने से पशु परेशान है जाता है। जब भी पशु को जरने के लिए छोड़े तो उसके पैरों में रस्सी न बांधें।

इसके साथ ही कार्यक्रम में बताया गया कि पशु को होने वाले दर्द, जख्म और बीमारी की शुरुआती देखरेख कैसे करें, उन्हें बताया गया कि अगर पशु को किसी चेट की वजह से घाव हो जाता है तो बीटाडीन का मरहम लगाएं और अगर घाव ज्यादा बढ़ जाए या कोई बीमारी हो तो तुरन्त नजदीकी डॉक्टर से सम्पर्क करें। उन्होंने बताया कि पशु को भय और तनाव से दूर रखें। उसके साथ नर्म बरताव करें, उसे मारे नहीं।

ब्रुक इंडियों अश्व प्रजाति के हित में काम करते है। उन्नाव जिले में ब्रुक इंडिया द्वारा 5 समितियां बनाई गई हैं और ग्रामीण स्तर पर 30 समूह बनाए गए हैं, जो गाँव-गाँव जाकर लोगों को पशुओं के रखरखान और उनके इलाज से संबन्धित प्रशिक्षण दिया जाता है। लोगों को बाल काटने, नाल लगाने का प्रिशिक्षण दिया जाता है, क्योंकि कई बार जब घोड़े नाल गलत लग जाती है तो घोड़ा लंगड़ा हो जाता है और उसे काफी परेशानी होती है।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

    

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