समय से करें गेहूं में खरपतवार का नियंत्रण, रखें खास ध्यान

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समय से करें गेहूं में खरपतवार का नियंत्रण, रखें खास ध्यानखरपतवार के प्रकार और संख्या को ध्यान में रखकर खरपतवारनाशी का चुनाव करें। स्थिति का मूल्यांकन करें खरपतवार व फसल की अवस्था का ध्यान रखें।

अभय श्रीवास्तव- कम्युनिटी जर्नलिस्ट

सिद्धार्थनगर। अधिकतर किसानों ने गेहूं की बुवाई कर ली है, कहीं-कहीं पर किसान अभी बुवाई भी कर रहे हैं। जहां पर फसल उग आयी हैं, वहां पर सबसे जरूरी होता है, उनमें खरपतवार नियंत्रण, क्योंकि गेहूं के साथ ही खरपतवार भी उग आते हैं।

सिद्धार्थनगर जिला मुख्यालय से लगभग 25 किमी. दूर उसका ब्लॉक के महादेवा बाजार गाँव के किसान उदय वर्मा (45 वर्ष) ने पांच बीघा में गेहूं बोया है। उदय वर्मा बताते हैं, ‘गेहूं तो अच्छी तरह उग आए हैं, लेकिन उसी के साथ ही जई घास भी उग आयी है, निकाई करने पर भी पूरी तरह से नहीं जाते हैं।’

कृषि क्षेत्र में काम करने वाला गैर सरकारी संस्थान स्वाभीमान समिति किसानों को कृषि संबंधित जानकारी देते हैं। कृषि विशेषज्ञ अजय चौरसिया बताते हैं, ‘किसानों को खरपतवार नाशी का छिड़काव करते समय ध्यान रखना चाहिए, अगर गेहूं के साथ दूसरी फसलें भी बोई हों तो कुछ खास ध्यान दें। नहीं तो दूसरी फसलें भी झुलस जाती हैं।’ गेहूं बुवाई करते समय अच्छी गुणवत्ता का बीज प्रयोग करना चाहिए। ध्यान दें कि उसमें खरपतवार के बीज न हों।

अच्छी तरह प्रयोग करें सड़ी खाद

अच्छी तरह गली सड़ी गोबर की खाद का ही प्रयोग करें । कच्ची गोबर की खाद में खरपतवार के बीज जीवित रहते हैं। पशु चारे के साथ जो खरपतवारों के बीज होते हैं, वह बिना गले बाहर आ जाते हैं। यह बीज कच्ची खाद के साथ खेतों में प्रवेश कर जाते है इसलिए अच्छी गली सड़ी खाद को ही खेतों में डालें।

सिंचाई के लिए नालियों की करें सफाई

सिंचाई की नालियों, गेहूं के खेतों की मेड़ों को साफ रखें ताकि खरपतवारों के बीज और वनस्पति भाग सिंचाई के पानी के साथ मुख्य खेत में प्रवेश न कर सकें। खरपतवार के पौधों को बीज बनने से पहले ही खेतों से बाहर निकाल दें।

करें सही खरपतवारनाशी का प्रयोग

खरपतवार जमने से पहले वह जब दो-चार पत्ती अवस्था में हो तो खरपतवार नाशी गेहूं बिजाई के तुरन्त बाद पैण्डीमैथलीन 3.3 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से 500 लीटर पानी में घोलकर स्प्रे करने से उगती हुई खरपतवारों का नाश किया जा सकता है।

रसायनिक खरपतवार प्रबंधन के लिए कुछ ध्यान योग्य बातें:

खरपतवार के प्रकार और संख्या को ध्यान में रखकर खरपतवारनाशी का चुनाव करें स्थिति का मूल्यांकन करें खरपतवार व फसल की अवस्था का ध्यान रखें। रसायनिक खरपतवारनाशी उगने से पहले या उगने के बाद का प्रयोग करें जब मिट्टी में नमी हो। खरपतवार उगने के बाद के खरपतवारनाशी का प्रयोग तभी करें जब खरपतवार दो से चार पत्ती अवस्था में हो खरपतवारनाशी का प्रयोग करते समय फलेट फैन नोजल का प्रयोग करें।

खरपतवार उगने के बाद खरपतवारनाशी को रेत, यूरिया या मिट्टी के साथ न मिलाएं। सल्फोस्फयूरोन को मिश्रित फसल जैसे गेहूं, सरसों या गेहूं अन्य फसलों में प्रयोग न करें।खरपतवारनाशी चक्र का अनुसरण करें ताकि खरपतवारों की प्रतिरोधी क्षमता विकसित न हो सके। मडूंसी की रोकथाम के लिए स्प्रे किए गए खरपतवारनाशी से घास कुल जाति के खरपतवारों का नियंत्रण हो जाता है लेकिन चौड़ी पत्ती के खरपतवारों जैसे जंगली पालक, मालवा या दूधी जैसे खरपतवारों में वृद्धि हो रही है। मिश्रित खरपतवारों के निंयत्रण के लिए पीनोक्साडीम़ और कारफेट्राजोन 1000+50 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बुआई के 35-40 दिन पश्चात स्प्रे करें।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

     

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