योग की परीक्षा पास करो, तीन महीने घट जाएगी सजा
Ashish Deep 30 Dec 2016 6:09 PM GMT

लखनऊ। कैदियों का तनाव दूर करने के लिए देशभर में सरकारें तरह-तरह के प्रयास कर रही हैं। कई जेलों में कैदियों के लिए स्ट्रेस मैनेजमेंट कार्यशाला हो रही है। ऐसे शिविर नियमित तौर पर लगते हैं।
विशेषज्ञ बताते हैं कि इस तरह की कार्यशाला कैदियों के लिए बहुत लाभप्रद है क्योंकि इससे उनका तनाव घटता है। उनका उग्र बर्ताव खत्म हुआ है। कैदियों द्वारा आत्महत्या करने और दूसरों पर हमला करने की प्रवृति में भी कमी आई है।
महाराष्ट्र में कैदियों का जीवन सुधारने के लिए कई तरह के प्रयास हो रहे हैं। मसलन यरवदा जेल में तो योग से कैदियों का न सिर्फ तनाव दूर भगाया जा रहा है बल्कि उनकी सजा भी घटाई जा रही है। पहले कैदियों को योग सिखाया जाता है फिर उनकी लिखित परीक्षा होती है उसे पास करने वाले कैदियों की तीन माह तक की सजा में छूट दे दी जाती है। इसका उद्देश्य कैदियों के उग्र व्यवहार को शांत करके उन्हें जेल से बाहर जाने से पहले समाज की मुख्य धारा में शामिल होने लायक बनाने का है।
मोदी के आह्वान पर हुई शुरुआत
इसकी शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के योग को देशभर में प्रसारित करने की मुहिम के तहत हुई।कानूनी सलाहकार बताते हैं कि दंड प्रकिया संहिता और जेल मैनुअल के तहत राज्य सरकारों को छूट है कि वे अपने स्तर पर नियम बनाएं।
http://www.gaonconnection.com/stories/prisoners-participated-in-singing-competition-in-swayam-festivalयोग से सुधर रही जिंदगी
तिहाड़ जेल पर हुए एक सर्वे के मुताबिक योग से कैदियों के बर्ताव में सुधार देखा गया है। वे उग्र बर्ताव छोड़कर शांत हो रहे हैं। मन शांत होने से वे जेल में मिलने वाले रोजगार में ढंग से हिस्सा लेने लगे हैं। संगीत, कला और खिलाड़ी रहे कैदी फिर से इन क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा दिखाने लगे हैं। निर्भया रेप कांड में बाल सुधार गृह में निरुद्ध एक नाबालिग कैदी की जिंदगी में योग से बदलाव आया और उसने अपनी कला प्रतिभा को ऐसा निखारा जो बीते दिनों सुर्खियों में भी था
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