गन्ने के क्षेत्र में लेमन ग्रास बन रही बेहतर आमदनी का जरिया

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गन्ने के क्षेत्र में लेमन ग्रास बन रही बेहतर आमदनी का जरियाअलग-अलग किस्मों की घास उगाते हुए वह उनसे निकलने वाले तेल को बेहतर आमदनी का जरिया बना रहे हैं।

साक्षी, स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट

दौराला (मेरठ)। गन्ना बेल्ट कही जाने वाली वेस्ट यूपी की धरती पर लेमन घास मुनाफे का सौदा साबित हुई है। दौराला ब्लाॅक के गाँव मीठेपुर निवासी किसान कर्मवीर बदलाव की इस बयार के वाहक बने हैं। अलग-अलग किस्मों की घास उगाते हुए वह उनसे निकलने वाले तेल को बेहतर आमदनी का जरिया बना रहे हैं।

दर्द निवारक औषधीय उत्पादों के साथ ही सौंदर्य प्रसाधनों में इस्तेमाल किए जाने वाले इन तेलों की बड़ी मांग है। इसके लिए पूरा शोधन संयत्र विकसित करते हुए वह आत्मनिर्भरता की डगर पर अग्रसर हैं।

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क्षेत्र के गाँव मीठेपुर निवासी निवासी कर्मवीर (55 वर्ष) पेशे से शिक्षक हैं। किसान परिवार में लालन-पालन होने के बीच उन्होंने शिक्षा और खेती को एक-दूसरे के साथ जोड़ने की पहल की। स्कूल से समय मिलने के बाद आधुनिक खेती को कमाई का बेहतर विकल्प बनाया। गन्ना बेल्ट के रूप में पहचानी जाने वाली वेस्ट यूपी की धरती पर उन्होंने अपनी पैतृक कृषि भूमि को फिजूल समझी जाने वाली घास उगाकर सजाया है।

वह अलग-अलग किस्मों की घास उगा रहे रहे हैं। लीक से हटकर आगे बढ़ने के जुनून के बीच यही खेती अब उनके लिए बेहतर मुनाफे का पर्याय बन चुकी है। लेमन, सिट्रोनेला, कैमोमिल समेत घास की कई अन्य किस्मों का भी वह उत्पादन कर रहे हैं। इनकी पत्तियों से निकलने वाले तेल का उपयोग विभिन्न औषधीय एवं सौंदर्य प्रसाधन से जुड़े उत्पादों में किया जा रहा है। इसके दम पर वह बेहतर मुनाफा कमा रहे हैं।

कर्मवीर बताते हैं,“ करीब छह माह में एक बीघा क्षेत्रफल में उगाई गई लेमन ग्रास की पत्तियों से 22 लीटर तक तेल निकलता है। जो बाजार में 950 से 1150 रुपए प्रति लीटर की दर पर आसानी से बिक जाता है। ठीक इसी तरह सिट्रोनेला घास के तेल की बाजार कीमत 1200 से 1400 रुपए प्रति लीटर है।

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इसके अलावा पिपरमिंट का उत्पादन करते हुए भी वह आय बढ़ा रहे हैं। घास से तेल निकालने और उसके शोधन तक की पूरी प्रकिया के लिए उन्होंने खुद ही जरूरी संयंत्र को विकसित किया है। फिलहाल, उनका उत्पादन बेहद सीमित मात्रा में है तो स्थानीय स्तर पर ही उनके तेल की बिक्री हो जाती है।”

पेड़ से ज्यादा पत्तियों की कीमत

किसान यूकेलिप्टस की पौध को बेहतर कमाई के उद्देश्य से विकसित करते हैं, लेकिन जानकारी के अभाव में वह इसका पूरा फायदा नहीं उठा पाते। उनके मुताबिक पांच साल में पेड़ कटान के बाद जो आमदनी होती है, उससे कहीं अधिक आमदनी इन्हीं पांच साल में यूकेलिप्टस की पत्तियों को बेचकर की जा सकती है। वह बताते हैं कि यूकेलिप्टस की पत्तियों का तेल अधिकांश दर्द निवारक दवाओं में प्रयोग किया जाता है, जिसे बाजार में 600 से 700 रुपए प्रति किलो के भाव पर आसानी से बेचा जा सकता है।

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नहीं जुटा पाते हिम्मत

गाँव के अन्य किसानों से जब बात की गई तो हरिकेश (54वर्ष) बताते हैं,“ ये तो दिन-रात इसमें लगा रहता है। कई बार मन में आता है कि क्यों न वे भी घास की खेती कर लें, लेकिन मेहनत देखकर हिम्मत नहीं जुटा पाते।” इसी गाँव के निवासी किसान राममेहर सिंह (57वर्ष) बताते हैं,“ कर्मवीर के कहने पर उन्होंने इस बार घर में ही करीब 500 गज जमीन पर घास की दो किस्म उगाई हैं? देखते हैं क्या रिजल्ट आता है।”

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