सनतकदा से जुड़कर महिलाएं बन रहीं आत्मनिर्भर 

Astha SinghAstha Singh   30 May 2017 6:10 PM GMT

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सनतकदा से जुड़कर महिलाएं बन रहीं आत्मनिर्भर प्रशिक्षण केंद्र में कई लड़कियों और महिलाओं को मिली ट्रेनिंग।

लखनऊ। "गलत के खिलाफ न बोलने में अब बुरा लगता है।" यह कहना है सनतकदा से जुड़ी आयशा खातून (23 वर्ष) का। सनतकदा एक गैर सामाजिक संस्था है जो मुस्लिम और दलित महिलाओं के उत्थान और उनके प्रति हिंसा के खिलाफ काम करती है।

पहले बोलते हुए भी डर लगता था

आयशा आगे बताती हैं, " मैं लीडरशिप बिल्डिंग ट्रेनिंग के दौरान 2008 में सनतकदा से जुड़ी। परिवार में पढ़ाई का माहौल नहीं था। पहले बोलते हुए भी डर लगता था। अपनी बात रखने की हिम्मत नहीं होती थी। सनतकदा आकर कंप्यूटर की भी ट्रेनिंग ली और फोटोग्राफी भी सीखी। अब गलत चीज़ को सहन नहीं करती हूं। अभी तीन लड़कियां वीडियोग्राफी टीम से जुड़ी हुई हैं। "बदलती फिज़ा" नाम से इस टीम का एक ब्लॉग भी है, जिसमें वो अपने काम के वीडियोज डालती हैं।"

महिलाओं को देते हैं ट्रेनिंग

इसी संस्था से जुड़ी मीना (37 वर्ष) बताती हैं, "सनतकदा का सद्भावना ट्रस्ट लड़कियों और महिलाओं को कंप्यूटर ट्रेनिंग, फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी जैसे हुनर सिखाती हैं, जिससे भविष्य में वे सशक्त हो सकें। इतना ही नहीं, सरकार की योजनाओं के बारे में भी जानकारी दी जाती है। वहीं, जो महिलाएं लिख-पढ़ नहीं सकती उनके सरकारी योजनाओं के फॉर्म्स भी भरे जाते हैं और उन्हें शिक्षित भी किया जाता है। इसके अलावा जो महिलाएं जेल में बंद हैं, जिनकी पैरवी के लिए कोई नहीं है, उनके लिए वकील का इंतज़ाम और केस खत्म होने तक साथ देने और प्रशिक्षित करने का भी काम करती है।"

सौर ऊर्जा बनाने का मिला प्रशिक्षण

मीना आगे बताती हैं, "हमारे यहां लखनऊ के अलावा बाराबंकी और चित्रकूट में भी प्रशिक्षण दिया जाता है।" मीना बताती हैं, "अभी एक से पांच अक्टूबर के बीच बाराबंकी में सौर ऊर्जा बनाने का प्रशिक्षण दिया गया, जिसमें 85 महिलाओं ने भागीदारी की। नव युवा केंद्र के प्रशिक्षकों ने उन्हें सौर ऊर्जा बनाना सिखाया, जिसमें कुछ विदेशी प्रशिक्षक भी शामिल थे।" सनतकदा संस्था से जुड़ी आतिका अली (20 वर्ष) बताती हैं, "मैं 2014 में सनतकदा से जुड़ी। यहां मैंने लीडरशिप ट्रेनिंग की, जिससे मुझमें बहुत बदलाव आया। यहां काफी कुछ सीखने को मिलता है।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

 

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