मध्य प्रदेश: जान जोखिम में डाल रस्सी के बने नाले को पार करते हैं ग्रामीण

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मनीष वैद्य, कम्युनिटी जर्नलिस्ट

देवास (मध्य प्रदेश)। "किसी को कुछ लाना हो तो रस्सी के पुल से ही लाना पड़ता है। रोजमर्रा के सामानों को गांव तक लाने के लिए बहुत मुश्किल का सामना करना पड़ता है। दो पड़ोसी गांव भी एक पुल न होने की वजह से दूर हो गए हैं। पुल पार करने के कोशिश में कई हादसे भी हो चुके हैं, "यह बताते हैं अजय सिंह चौहान जो मध्य प्रदेश के देवास जिले के बैराखेड़ी गांव के किसान हैं।

देवास जिले के बैराखड़ी और पटाडिया गांव के ग्रामीणों रस्सी के सहारे कालीसिंध नदी को पार करते हैं। बारिश के मौसम में तो नदी पूरे उफान पर होती है। ऐसे में वहां के ग्रामीणों का रस्सी के सहारे नाले को पार करना खतरे से खाली नहीं है।

दिवाली के बाद तक भरा रहता है नाले में ठीक ठाक पानी

किसान अजय सिंह बताते हैं, "ज्यादातर किसानों का खेत नाले के उस पार है। बरसात से लेकर दिवाली के बाद तक इस नाले में पानी भरा रहता है। यही समय अधिकतर किसानों के लिए अपने खेतों के देखभाल तक जाना पड़ता है। ऐसी स्थिति में जो बूढ़़े हैं या रस्सी पर नाले को नहीं पार कर सकते हैं उन्होंने खेती ही छोड़ दी है।"

वह आगे बताते हैं कि हम लोगों तक को खेती को लेकर बेहद समस्या आती है। खाद से लेकर कीटनाशक तक को इसी रस्सी के सहारे ले जाना पड़ता है।

25 सालों से स्थिति जस की तस

25 सालों से यह समस्या बनी हुई है। इससे निजात दिलाने के लिए कई बार सरकार का दरवाज़ा खटखटाया लेकिन अभी भी स्थिति जस की तस है। परेशान किसानों नालों के दोनो ओर जुगाड़ के तौर पर तार बांध दी है। यह जुगाड़ भी सबके लिए कारगर नहीं है। बच्चे, बूढ़े और औरतें भी बहुत मुश्किल से तार पर चल पाती हैं। ग्रामीणों के मुताबिक ऐसी स्थिति में कई बार संतुलन बिगड़ जाने से हादसे से हो चुके हैं।

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प्रशासन को भेजे हुए हैं आवेदन

बैराखेड़ी के सरपंच मानकलाल बताते हैं कि उन्होंने प्रशासन को पुल को लेकर आवेदन भेजा है, लेकिन उधर से जवाब नहीं आया। पंचायत के पास इतना बजट नहीं आता है कि बड़े पुल का निर्माण कर सके।

पटाडिया ग्राम पंचायत प्रतिनिधि रोहित परमार कहते हैं कि हमने पुल के निर्माण के लिए जिला प्रशासन को आवेदन भेजे हैं। यहां कि परेशानी भी उन्हें बताई है। यह उनपर है कि पुल निर्माण कराए। इतने बड़े पुल का निर्माण पंचायत के बस की बात नहीं है। पंचायत का बजट इतना नहीं आता उससे केवल गांव की छोटी मोटी समस्या का ही समाधान कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि प्रशासन को इस समस्या पर ध्यान देना चाहिेए। हमारे हाथों में जो था वह हमने कर दिया है।

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