धान क्रय केंद्र पर पसरा सन्नाटा
गाँव कनेक्शन 9 Nov 2016 7:56 PM GMT
अरुण मिश्रा (कम्यूनिटी रिपोर्टर)
विशुनपुर (बाराबंकी)। सरकारी धान क्रय केन्द्रों पर धान खरीद शुरू न होने से किसान औने-पौने दामों पर धान बेचने को मजबूर है जिसके चलते किसान को अपनी उपज का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है। किसानों को इस समय अगली फसल के लिए धन की आवश्यकता है जिससे किसानों को धान बेचना मजबूरी है, लेकिन सरकारी धान क्रय केन्द्रों पर पसरे सन्नाटे से किसानों को कम दामों पर बाजार में धान बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
विकासखंड देवा की मामापुर सहकारी समिति का गंगवारा में धान क्रय केंद्र है। पीसीएफ द्वारा संचालित इस केंद्र पर पैसे के अभाव में धान की खरीद शुरू नहीं हो सकी है। सचिव जीतेन्द्र वर्मा बताते हैं, "किसान धान लेकर आते हैं परंतु अभी धन के अभाव में खरीददारी शुरू नहीं हो सकी है। कैथी सरैयां के धान क्रय केंद्र पर भी सभी व्यवस्थाएं पूरी है। कमी है तो बस बजट की। पैसे के अभाव में यहां भी खरीद का श्री गणेश नहीं हो सका है।"
पवैय्याबाद का सहकारी संघ पूर्व में धान खरीद का केंद्र बनता था। जिससे यहां काफी किसान अपनी उपज बेचते थे। इस बार यहां ताला लटक रहा है। जिससे किसान उहापोह में है। विशुनपुर स्थित पीसीएफ क्रय केंद्र पर भी गुरुवार को ताला लटक रहा था। केंद्र पर धान खरीद का बोर्ड लटका था। पूछने पर मकान मालिक ने बताया कि केंद्र प्रभारी प्रमोद वर्मा मेडिकल लीव पर हैं। जिससे यहां भी फिलहाल खरीद शुरू नहीं हो सकी है।
वहीं दूसरी ओर छोटे किसान क्रय केंद्रों पर बताये जाने वाले तामझाम और पेमेंट की लेट लतीफी से खुले बाजार में ही उपज बेचना उपयुक्त मानते हैं। किसान प्रेमचंद्र व राम मिलन यादव बताते हैं, "धान बेचकर खाद और अन्य जरूरतों के लिए तत्काल पैसे की जरुरत होती है। केन्द्रो पर बेचने पर भुगतान में हफ़्तों लग जाते हैं। जिससे खुले बाजार में बेचना मज़बूरी है।" सिसवारा के किसान सिद्धकरन मिश्रा बताते हैं, "क्रय केंद्रों पर नमी, टूटन आदि को लेकर इतनी शर्तें बताई जाती हैं कि छोटे किसानों के लिए इनपर धान बेचना झंझट भरा काम साबित होता है।"
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