कश्मीर के हालात के लिए घाटी के बुज़ुर्ग ज़िम्मेदार: वी के सिंह

अमित सिंहअमित सिंह   23 July 2016 5:30 AM GMT

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कश्मीर के हालात के लिए घाटी के बुज़ुर्ग ज़िम्मेदार: वी के सिंह

नई दिल्ली। विदेश राज्य मंत्री जनरल वी के सिंह कश्मीर के मौजूदा हालात के पीछे वहां के बुज़ुर्गों को ज़िम्मेदार ठहराया हैं। वी के सिंह ने एक फेसबुक पोस्ट के ज़रिए ये बयान दिया। आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद से ही कश्मीर घाटी में हिंसा जारी है। अब तक इस हिंसा में 40 से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। करीब 3000 लोग घायल हुए हैं। घायलों में 900 सुरक्षाबल के जवान भी शामिल हैं। 

वी. के. सिंह ने फेसबुक पर लिखी अपनी पोस्ट में बुरहान वानी के पिता का जिक्र करते हुए लिखा, ''बुरहान वानी के पिता से सवाल पूछा गया कि कई लड़कों के साथ पुलिस बदसलूकी करती है, सभी तो आतंकवादी नहीं बन जाते। आपका बेटा क्यों आतंकी बना? उनका जवाब बड़ा साफ था। स्कूल प्रिंसिपल मुजफ्फर वानी बोले, ये गैरत की बात है। कोई सहन कर लेता है। जो सहन नहीं करता वो बुरहान की तरह हथियार उठाता है।''

बुरहान के पिता पर हमला करते हुए वी के सिंह ने लिखा, ''15 साल की उम्र में इनका लड़का स्कूल छोड़ कर आतंकवादी बनने चला गया, और 22 साल की उम्र में मार गिराया गया। ये गैरत किसे मुबारक हुई? स्कूल प्रिंसिपल का बेटा IAS न बन कर आतंकवादी क्यों बना? मुजफ्फर वानी शायद खुद से सवाल करते हों कि केसर की पौध को अफीम बन जाने से उन्होंने क्यों नहीं रोका।''

उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा कि कश्मीर बदल गया है। पहाड़, झीलें, नदियां वही हैं। मगर वो पहले से लोग वहां अब नहीं। शायद क्योंकि अब वहां पहले से बुज़ुर्ग नहीं हैं। जो बुज़ुर्ग हर किसी के नानी-नाना बन जाते थे, मेहमाननवाज़ी में कहवा और नून चाय के सिलसिले लगा देते थे, जो ये नहीं देखते कि आप कश्मीरी हैं या 'इंडियन', जिनकी निगरानी में कश्मीर में कभी आतंकवाद पनप ही नहीं पाया था।

उन्होंने अंत में लिखा कि अफसोस की बात है कि एक अलग तालीम और परवरिश आज कश्मीर के बच्चों को मिल रही है। कश्मीर के बच्चों के हाथों से रंगीन गुब्बारे छीन कर पत्थर थमा दिए जा रहे हैं। जिस बचपन के संरक्षक बुज़ुर्ग हैं, वो उस बचपन को दंगों में सबसे आगे खड़ा कर रहे हैं ताकि पुलिस भी जवाब देने से हिचकिचाए। मां-बाप के फक्र के लिए कश्मीर में बच्चे IIT नहीं, पड़ोसी मुल्क के आतंकवादी शिविर में घुसना चाहते हैं। इसलिए मैं कश्मीर के बुज़ुर्गों से नाराज़ हूं। क्योंकि उन्होंने केसर की पौध को अफीम बनने से नहीं रोका।  

 

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