केमिस्ट्री की बोरिंग क्लास को ख़ास बनाते हैं ये मास्टर जी

राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित रविकांत मिश्रा मध्य प्रदेश के जवाहर नवोदय विद्यालय बीकर में शिक्षक हैं, अपने नये अन्दाज से केमिस्ट्री जैसे विषय को दिलचस्प बना देने की उनकी कला सभी को खूब पसंद आ रही है।

Ambika TripathiAmbika Tripathi   18 Sep 2023 12:39 PM GMT

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केमिस्ट्री की बोरिंग क्लास को ख़ास बनाते हैं ये मास्टर जी

स्कूल में केमिस्ट्री जैसे विषय को पढ़ने में बहुत से बच्चों का मन नहीं लगता है, लेकिन बीकर के इस स्कूल में अब हर बच्चों का ये पसंदीदा विषय बन गया है। जानना चाहेंगे ये भला कैसे ? तो ये सम्भव हुआ है इनके मास्टर जी रविकांत मिश्रा के कारण। तभी तो इन्हें राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से भी सम्मानित किया है।

रविकांत की जब पहली नियुक्ति ओडिशा के जवाहर नवोदय विद्यालय नबापारा में हुई तो वहाँ के बच्चों को पढ़ाना इतना आसान नहीं था। बच्चों को हिंदी और इंग्लिश नहीं आती थी और इनको उड़िया।

रविकांत मिश्रा उन दिनों को याद करते हुए गाँव कनेक्शन से बताते हैं, "वहाँ के बच्चों को न तो इंग्लिश आती थी न ही हिंदी और मुझे उड़िया बिल्कुल भी समझ में नहीं आती थी। ये मेरे लिए चुनौतीपूर्ण था, लेकिन मेरी केमिस्ट्री पर अच्छी पकड़ थी, जिसने मेरी सबसे बड़ी दुविधा को दूर करने में मदद की।"


रविकांत छह साल तक उस स्कूल में रहे और उनकी मेहनत का ही परिणाम था कि बच्चों के केमिस्ट्री में 75 प्रतिशत तक आने लगे थे। सब कुछ सही चल रह था कि साल 2014 में इनका ट्रांसफर इनके गृह जनपद मध्य प्रदेश के दतिया के जवाहर नवोदय विद्यालय में हो गया।

रविकांत बताते हैं, "यहाँ आने के बाद मेरा बच्चों से जुड़ाव हो गया, बच्चों के साथ रहना, बच्चों को सुबह जगाने से लेकर योग के आसन कराना। इससे बच्चों को समझने में आसानी हुई।"

केमिस्ट्री जैसे विषय को पढ़ाने के साथ बच्चों के ये मास्टर जी नए-नए इनोवेशन भी करते रहे हैं। कोविड महामारी के दौरान उन्होंने यूट्यूब चैनल की शुरुआत की, जिसमें दो हज़ार बच्चे उनके साथ पढ़ाई करते थे। वे कहते हैं, "मेरी ऑनलाइन क्लास नेशनल टीवी चैनल पर भी लाइव टेलीकास्ट की गयी। इसके साथ काफी सोशल अवेयरनेस का काम भी किया है। हमारे यहाँ के बच्चे विज्ञान प्रतियोगिताओं में राष्ट्रीय स्तर तक सेलेक्ट हुए हैं।"


12वीं कक्षा के छात्र मोहित श्रीवास्तव की ख़्वाहिश है कि वो इंजीनियर बनें। मोहित बताते हैं, "रविकांत सर हमें केमिस्ट्री बहुत अच्छे से पढ़ाते हैं। सर हमारे साथ हॉस्टल में भी रहते हैं, तो हमें कोई भी परेशानी होती हम सर से तुरन्त कह सकते हैं।"

रविकांत का घर दतिया जिले के ही कुसौली गाँव में है, जबकि उनका विद्यालय बीकर गाँव में है, जिसकी दूरी सिर्फ 15 किमी है। लेकिन स्कूल की जिम्मेदारियों के चलते अपने घर जाने का मौका बहुत कम मिलता हैं, क्योंकि ज़्यादा से ज़्यादा समय स्कूल में ही निकलता है। रविकांत का मानना हैं, "छुट्टी हमारी कितनी भी लम्बी हो कम ही लगती हैं, इसलिए मेरा ज़्यादा समय स्कूल में ही निकलता हैं।"

रविकांत मिश्रा गाँव में जाकर लोगों को जागरूक भी करते हैं, क्योंकि वहाँ के लोगों को नवोदय विद्यालय की जानकारी ही नहीं होती है, जबकि यहाँ पर सारी सुविधाएँ मुफ्त में मिलती हैं।

जवाहर नवोदय विद्यालय, बीकर के 17 बच्चों का सिलेक्शन भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के इंस्पायर मानक अवार्ड में भी हुआ है। इसके लिए हर एक बच्चे को दस-दस हज़ार की पुरस्कार राशि उनके बैंक अकाउंट में दी गई थी। यही नहीं इस साल यहाँ के पाँच बच्चों का सेलेक्शन नीट में भी हुआ है। वो कहते हैं, "2023 में पाँच बच्चों का सलेक्शन नीट में हुआ है, कुछ बच्चे आईआईटी में भी सिलेक्ट हुए हैं। आज नवोदय के बच्चे पूरी दुनिया में अपना नाम कमा रहे हैं।"


"मेरे गाँव दतिया को माँ पीताम्बरा की नगरी कहा जाता है, उनके आशीर्वाद से मुझे राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय शिक्षक अवार्ड से सम्मानित किया है। मेरी सफलता में बच्चों के माता पिता भी हैं जिन्होंने अपना भरोसा बनाए रखा और सबसे ज़रूरी मेरे बच्चों के हँसते हुए चेहरे, जिससे मुझे ऊर्जा मिलती है। " उन्होंने आगे कहा।

बच्चों को आगे बढ़ते देखकर रविकांत को भी खुशी मिलती है वो कहते हैं, "मुझे तब अच्छा लगता है, जब बच्चे कहते हैं कि सर ने हमें केमिस्ट्री पढ़ाई थी, हमने नीट पास कर लिया तो किसी का एडमिशन आईआईटी में हो गया। तब लगता है कि हमारी तपस्या सफल हो गई।"

इसके साथ ही रविकांत का सेलेक्शन अंतर्राष्ट्रीय छात्र मूल्यांकन कार्यक्रम (पीसा) में भी हो चुका है, जिसके वो मास्टर ट्रेनर रह चुके हैं। इसमें उन्होंने छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, ओडिशा जैसे राज्यों के शिक्षकों को ट्रेनिंग दी है।

रविकांत आगे कहते हैं, "साल 2018 में मुझे जापान जाने का मौका मिला, वहाँ पर बच्चों को वैदिक गणित पढ़ाने के लिए सात दिन अलग अलग स्कूलों में गया। "

12वीं में पढ़ने वाले महेंद्र सिंह बघेल का मन केमिस्ट्री में बिल्कुल नहीं लगता था, लेकिन अच्छे नंबरों से पास होते हैं। महेन्द्र गाँव कनेक्शन को बताते हैं, "पहले क्लास 8 तक केमिस्ट्री बिल्कुल अच्छी नहीं लगती थी, बोरिंग लगती थी, लेकिन जब से रविकांत सर पढ़ाते हैं अब अच्छी लगती हैं, और मन भी लगता है।"

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