ब्राह्मण से लेकर उत्तराखंडी मतदाताओं पर होगा असर
Ashwani Nigam 20 Oct 2016 6:01 PM GMT

लखनऊ। पिछले 24 साल से कांग्रेसी रही रीता बहुगुणा जोशी अब भाजपाई बन गई हैं। सारी अटकलों को विराम देते हुए रीता बहुगुणा जोशी गुरुवार को बीजेपी में शामिल हो गईं। नई दिल्ली में भाजपा केन्द्रीय कार्यालय में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की मोजूदगी में रीता बहुगुणा जोशी ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की। रीता बहुगुणा जोशी पर अब दलबदल कानून लागू हो जाएगा, या तो उन्हें खुद विधायक पद से इस्तीफा देना पड़ेगा। अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया तो भी उनकी विधायकी समाप्त हो जाएगी।
ब्राह्मण वोटों पर पड़ेगा असर
रीता बहगुणा जोशी के बीजेपी में चले जाने से कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। यूपी की राजनीति में सालों से कांग्रेस का बड़ा चेहरा रही रीता बहुगुणा जोशी के कांग्रेस छोड़ने से आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का चुनावी समीकरण बिगड़ता दिख रहा है। कई दशक बाद अपने कोर वोटर रहे ब्राम्हणों को लुभाने में लगी कांग्रेस से रीता बहुगुणा जोशी का नाता तोड़ना ब्राम्हण वोटरों पर भी असर डालेगा। रीता बहुगुण जोशी ब्राम्हण होने के साथ ही उत्तराखंड से भी है।
कांग्रेस के रणनीतिकारों को सोचने पर किया मजबूर
उनके पिता हेमवती नंदन बहुगुणा संयुक्त उत्तर प्रदेश के बड़े नेता रहे हैं। इलाहाबाद इस परिवार की राजनीतिक भूमि रही है और रीता बहुगुणा जोशी भले ही आज लखनऊ के कैंट विधानसभा का प्रतिनिधित्व करती हैं, उन्होंने अपनी राजनीतिक करियर की शुरूआत इलाहाबाद से की है। ऐेसे में रीता बहुगुणा जोशी को अपने पाले में करके बीजेपी ने कांग्रेस के रणनीतिकारों को सोचने पर मजबूर कर दिया है।
कांग्रेस की कमजोरियों को अच्छे से जानती हैं रीता
रीता बहुगुणा के बीजेपी में शामिल हो जाने से आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के साथ ही उत्तरखंड में भी इसका असर पड़ेगा। पिछले डेढ़ दशक से कांग्रेस की राजनीति कर रही रीता बहुगुणा जोशी कांग्रेस की कमजोरियों को भी अच्छे से जानती हैं। यूपी चुनाव में कमल खिलाने के लिए काम कर रहे रणनीतिकारों रीता बहुगुणा जोशी की राजनीतिक समझ का फायदा भी मिलेगा।
लखनऊ में भी कांग्रेस का हाथ हुआ कमजोर
राजधानी लखनऊ में पिछले एक दशक से कांग्रेस का कोई विधायक नहीं चुना गया। ऐसे में साल 2012 के चुनाव में सबको चौंकाते हुए कांग्रेस के टिकट पर कैंट विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुनी गईं। उन्होंने पिछले कई बार से बीजेपी को विधायक चुने जाते रहे सुरेश तिवारी को हराया था। ऐसे में इस बार के विधानसभा चुनाव में रीता बहुगुणा जोशी बीजेपी की तरफ से कैंट विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ सकती हैं। जहां पर उनका मुकाबला सपा मुखिया मुलायम मुलायम सिंह की छोटी बहू अर्पणा यादव से हो सकता है। सपा ने यहां से मुलायम सिंह के बेटे प्रतीक यादव की पत्नी अर्पणा को छह महीना पहले की अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। ऐसे में अब इस सीट से कांग्रेस को नया प्रत्याशी ढूंढने में भी मशक्कत करनी होगी। रीता बहुगुणा जोशी के बहाने बीजेपी अपने कांग्रेस मुक्त भारत के अभियान को यूपी चुनाव में भुनाएगी।
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