टाइगर रिजर्व के 22 गाँव चिंहित होंगे अति संवेदनशील
गाँव कनेक्शन 5 July 2017 5:37 PM GMT
अनिल चौधरी - स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
पीलीभीत। जनपद में जंगल किनारे बसे गाँवों में आए दिन लोगों पर हो रहे बाघों के हमले के कारण टाइगर रिजर्व क्षेत्र के जंगलों के किनारे बसे 22 गाँवों को चिन्हित कर अति संवेदनशील घोषित करने की योजना वन संरक्षक ने बनाई है।
बनकटी क्षेत्र के निकट बाघ के हमले में महिला के बाद वन संरक्षक ने वनाधिकारियों के साथ बैठक कर इस योजना को शुरू किया है। इसमें प्रत्येक वन कर्मचारी को निर्धारित गाँव आवंटित किए गए हैं,जो रोज़ाना गाँव में जाकर वहां की स्थिति का जायज़ा लेंगे और ग्रामीणों को जंगली जानवरों से बचाव का तरीका बताएंगे।जंगल के किनारे वन विभाग की लेज़र कैमरे लगाने की भी योजना है। इस संबंध में सभी क्षेत्रीय वनाधिकारियों को निर्देश कर दिए गए हैं।
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जंगल के किनारे बसे मेथी गाँव के निवासी माखनलाल (60 वर्ष) ने बताया, "अभी एक जुलाई को हमारे गाँव की एक महिला जो अपने खेत में धान की रोपाई करने गई थी उसपर बाघ ने हमलाकर दिया,जिससे उसकी मौत हो गई। लेकिन वन विभाग गलत प्रचार करके उसको जंगल के बीच कटरुआ बीनने की बात कह रहा हैं।"
लगातार हो रही लोगों की मौतों पर डीएफओ कैलाश प्रकाश ने बताया, " अक्सर लोग जंगल में लकड़ियां बिनने व कटरुआ बीनने जाते हैं,तो उस समय लोगों पर अधिकतर बाघ द्वारा हमला कर दिया जाता है। लेकिन अब तार फैन्सिंग की व्यवस्था की जा रही है, जिससे ग्रामीण जंगल के बीच नहीं जा सकेंगे।"
पीलीभीत जनपद के जंगलों को जबसे टाइगर रिजर्व क्षेत्र घोषित किया गया है,तब से बाघों के हमले से इलाके में लगभग 15 मौतें हो चुकी हैं। एक जुलाई को गाँव मेथी सहदुल्ला गंज निवासी वृद्ध महिला नन्ही देवी पर बाघ द्वारा हमला किए जाने पर उसकी मौत हो गई थी, जिसमें क्षेत्रीय ग्रामीणों में वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ लोगों में गुस्सा पैदा हो गया और जंगल के किनारे खेती करने वाले ग्रामीणों में एक ख़ौफ़ पैदा हो गया, जिससे वह अपनी खेती-बाड़ी पर ध्यान नहीं दे पा रहे हैं।
बरेली खंड के वनरक्षक विनोद कुमार सिंह ने टाइगर रिजर्व के अधिकारियों के साथ बैठक कर इस पर गंभीरता से विचार किया और जंगल के किनारे बसे 22 गाँवों को चिन्हित कर इन्हें अति संवेदनशील घोषित किया। इन गाँवों में प्रतिदिन पेट्रोलिंग की जाएगी। यह सभी 22 गाँव माला, महोफ और बराही रेंज में पड़ते हैं।इस संबंध में रम्पुरा गाँव के निवासी राम लखन (50 वर्ष) से बात की गई तो उन्होंने बताया, " सभी ग्रामीणों में बाघ को लेकर दशहत फैली हुई है। ग्रामीण अपने खेतों में जाने से डर रहे हैं क्योंकि किसी भी वक़्त कहीं भी बाघ हमला कर सकता हैं। जब भी कोई व्यक्ति बाघ द्वारा मारा जाता है तो वन विभाग बेतुकी घोषणाएं करता है और बाद में अपनी बात से मुकर जाता है।”
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