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सुप्रीम कोर्ट का अरावली फैसला: 100 मीटर ऊंचाई से कम पहाड़ियों को जंगल मानने से इनकार, क्यों हो रहा है विरोध?
सुप्रीम कोर्ट का अरावली फैसला: 100 मीटर ऊंचाई से कम पहाड़ियों को जंगल मानने से इनकार, क्यों हो रहा है विरोध?

By Preeti Nahar

सुप्रीम कोर्ट ने अरावली में जंगलों की परिभाषा को लेकर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। अब राज्य सरकारें पहाड़ियों की ऊंचाई के आधार पर जमीन का स्वामित्व निर्धारित करेंगी, जिससे अरावली के क्षेत्र में वन्यजीवों और पर्यावरण का संकट पैदा हो सकता है। इस फैसले का सीधा असर दिल्ली-एनसीआर के वायुमंडल, जलस्रोत और गर्मी पर पड़ेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने अरावली में जंगलों की परिभाषा को लेकर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। अब राज्य सरकारें पहाड़ियों की ऊंचाई के आधार पर जमीन का स्वामित्व निर्धारित करेंगी, जिससे अरावली के क्षेत्र में वन्यजीवों और पर्यावरण का संकट पैदा हो सकता है। इस फैसले का सीधा असर दिल्ली-एनसीआर के वायुमंडल, जलस्रोत और गर्मी पर पड़ेगा।

Food and Agriculture Organization की घोषणा: 2026 होगा अंतरराष्ट्रीय महिला किसान वर्ष। जानिए भारतीय महिला किसानों के लिए क्यों है यह ज़रूरी?
Food and Agriculture Organization की घोषणा: 2026 होगा अंतरराष्ट्रीय महिला किसान वर्ष। जानिए भारतीय महिला किसानों के लिए क्यों है यह ज़रूरी?

By Preeti Nahar

अगर महिला किसानों को पुरुषों के बराबर संसाधन मिलें, तो खेती की पैदावार 20-30% तक बढ़ सकती है। इससे दुनिया भर में भुखमरी 15% तक कम हो सकती है। महिला किसान सिर्फ़ परिवारों का पेट ही नहीं भरतीं, बल्कि ग्रामीण समुदायों को मज़बूत बनाती हैं और देश की अर्थव्यवस्था में भी बड़ा योगदान देती हैं।

अगर महिला किसानों को पुरुषों के बराबर संसाधन मिलें, तो खेती की पैदावार 20-30% तक बढ़ सकती है। इससे दुनिया भर में भुखमरी 15% तक कम हो सकती है। महिला किसान सिर्फ़ परिवारों का पेट ही नहीं भरतीं, बल्कि ग्रामीण समुदायों को मज़बूत बनाती हैं और देश की अर्थव्यवस्था में भी बड़ा योगदान देती हैं।

खाद संकट पर NSA का कवच, लेकिन किसान की समस्याएं हैं और भी गंभीर
खाद संकट पर NSA का कवच, लेकिन किसान की समस्याएं हैं और भी गंभीर

By Manvendra Singh

उत्तर प्रदेश में रबी सीजन अपने निर्णायक दौर में है। इस समय गेहूं, आलू, सरसों और दलहनों की फसल खेतों में खड़ी होती है और किसानों के लिए सबसे ज़रूरी होती है खाद। खासकर गेहूं में यूरिया की टॉप-ड्रेसिंग और आलू में डीएपी और एनपीके की जरूरत अचानक बढ़ जाती है। ऐसे वक्त में अगर खाद समय पर न मिले या ज़रूरत से कम मिले, तो पूरी फसल प्रभावित हो सकती है। इसी तर्ज़ पर उत्तर प्रदेश सरकार ने खाद की कालाबाज़ारी, नकली उर्वरकों की बिक्री और कृत्रिम कमी पैदा करने वालों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून यानी NSA लगाने का फैसला किया है। यह फैसला जितना सख़्त दिखता है, उतने ही सवाल भी खड़े करता है। NSA क्यों लगाया गया, सरकार क्या दावा कर रही है, ज़मीन पर क्या हो रहा है और किसान इस पूरे सिस्टम को कैसे देख रहे हैं।

उत्तर प्रदेश में रबी सीजन अपने निर्णायक दौर में है। इस समय गेहूं, आलू, सरसों और दलहनों की फसल खेतों में खड़ी होती है और किसानों के लिए सबसे ज़रूरी होती है खाद। खासकर गेहूं में यूरिया की टॉप-ड्रेसिंग और आलू में डीएपी और एनपीके की जरूरत अचानक बढ़ जाती है। ऐसे वक्त में अगर खाद समय पर न मिले या ज़रूरत से कम मिले, तो पूरी फसल प्रभावित हो सकती है। इसी तर्ज़ पर उत्तर प्रदेश सरकार ने खाद की कालाबाज़ारी, नकली उर्वरकों की बिक्री और कृत्रिम कमी पैदा करने वालों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून यानी NSA लगाने का फैसला किया है। यह फैसला जितना सख़्त दिखता है, उतने ही सवाल भी खड़े करता है। NSA क्यों लगाया गया, सरकार क्या दावा कर रही है, ज़मीन पर क्या हो रहा है और किसान इस पूरे सिस्टम को कैसे देख रहे हैं।

हिमालय की चेतावनी: क्या गंगोत्री घाटी जोशीमठ बनने के कगार पर है?
हिमालय की चेतावनी: क्या गंगोत्री घाटी जोशीमठ बनने के कगार पर है?

By Divendra Singh

गंगोत्री नेशनल हाईवे के चौड़ीकरण ने उत्तराखंड की संवेदनशील गंगोत्री घाटी को संकट में डाल दिया है। सदियों पुराने देवदार, भूस्खलन का बढ़ता खतरा और स्थानीय लोगों की ज़रूरतें, सवाल सिर्फ सड़क का नहीं, बल्कि हिमालय की सहनशीलता, आपदाओं के खतरे और विकास की दिशा का है।

गंगोत्री नेशनल हाईवे के चौड़ीकरण ने उत्तराखंड की संवेदनशील गंगोत्री घाटी को संकट में डाल दिया है। सदियों पुराने देवदार, भूस्खलन का बढ़ता खतरा और स्थानीय लोगों की ज़रूरतें, सवाल सिर्फ सड़क का नहीं, बल्कि हिमालय की सहनशीलता, आपदाओं के खतरे और विकास की दिशा का है।

क्या है VB-G RAM G योजना? मनरेगा से है कैसे अलग, मजदूरों को क्या मिलेगा?
क्या है VB-G RAM G योजना? मनरेगा से है कैसे अलग, मजदूरों को क्या मिलेगा?

By Gaon Connection

ग्रामीण परिवारों को सशक्त बनाने और टिकाऊ विकास सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने 125 दिन मजदूरी रोजगार की गारंटी वाला ऐतिहासिक विधेयक पेश किया।

ग्रामीण परिवारों को सशक्त बनाने और टिकाऊ विकास सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने 125 दिन मजदूरी रोजगार की गारंटी वाला ऐतिहासिक विधेयक पेश किया।

जब नृत्य बन जाता है साधना: भील समुदाय की आदिवासी होली
जब नृत्य बन जाता है साधना: भील समुदाय की आदिवासी होली

By Divendra Singh

होली से पहले उपवास, पहाड़ से लाए गए पत्थरों के रंग और ढोलक-नगाड़ों की थाप, महाराष्ट्र के भील आदिवासियों का होली नृत्य सिर्फ़ उत्सव नहीं, एक जीवित परंपरा है। नंदूरबार के कलाकार गौतम खर्डे और उनकी मंडली इस लोककला को गाँव से राष्ट्रीय मंच तक पहुँचा रहे हैं।

होली से पहले उपवास, पहाड़ से लाए गए पत्थरों के रंग और ढोलक-नगाड़ों की थाप, महाराष्ट्र के भील आदिवासियों का होली नृत्य सिर्फ़ उत्सव नहीं, एक जीवित परंपरा है। नंदूरबार के कलाकार गौतम खर्डे और उनकी मंडली इस लोककला को गाँव से राष्ट्रीय मंच तक पहुँचा रहे हैं।

MGNREGA हुआ पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना PBNREGA: मिलेगा 125 दिन का रोजगार, जानिए आवेदन प्रक्रिया और लाभ
MGNREGA हुआ पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना PBNREGA: मिलेगा 125 दिन का रोजगार, जानिए आवेदन प्रक्रिया और लाभ

By Preeti Nahar

मनरेगा का नाम बदलकर पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना कर दिया गया है। अब जरूरतमंद ग्रामीणों को 125 दिन का काम मिलेगा। संसद से मंजूरी मिलते ही यह लागू हो जाएगी। आसान आवेदन से गांवों में रोजगार बढ़ेगा और लोग शहरों की ओर कम भागेंगे।

मनरेगा का नाम बदलकर पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना कर दिया गया है। अब जरूरतमंद ग्रामीणों को 125 दिन का काम मिलेगा। संसद से मंजूरी मिलते ही यह लागू हो जाएगी। आसान आवेदन से गांवों में रोजगार बढ़ेगा और लोग शहरों की ओर कम भागेंगे।

मध्य हिमालय में संकट का सायरन: आने वाले दशकों में 100 साल वाली बाढ़ हर 5 साल में लौटेगी
मध्य हिमालय में संकट का सायरन: आने वाले दशकों में 100 साल वाली बाढ़ हर 5 साल में लौटेगी

By Gaon Connection

मध्य हिमालय में बारिश का पैटर्न बदल चुका है, कुछ घंटों में महीनों जितनी बारिश, और नदियाँ पहले से अधिक उफनती हुई। नई वैज्ञानिक स्टडी चेतावनी देती है कि आने वाले दशकों में बाढ़ सिर्फ बढ़ेगी ही नहीं, बल्कि पहाड़ों की ज़िंदगी की दिशा ही बदल देगी।

मध्य हिमालय में बारिश का पैटर्न बदल चुका है, कुछ घंटों में महीनों जितनी बारिश, और नदियाँ पहले से अधिक उफनती हुई। नई वैज्ञानिक स्टडी चेतावनी देती है कि आने वाले दशकों में बाढ़ सिर्फ बढ़ेगी ही नहीं, बल्कि पहाड़ों की ज़िंदगी की दिशा ही बदल देगी।

हिम तेंदुए अब संख्या में कितने बचे? जानिए किस राज्य में हैं सबसे ज़्यादा
हिम तेंदुए अब संख्या में कितने बचे? जानिए किस राज्य में हैं सबसे ज़्यादा

By Gaon Connection

भारत ने पहली बार हिम तेंदुओं की देशव्यापी वैज्ञानिक गणना पूरी की है, जिसमें कुल 718 तेंदुओं के होने की पुष्टि हुई। यह सर्वे हिमालयी इकोसिस्टम की सुरक्षा और इस दुर्लभ प्रजाति के संरक्षण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।

भारत ने पहली बार हिम तेंदुओं की देशव्यापी वैज्ञानिक गणना पूरी की है, जिसमें कुल 718 तेंदुओं के होने की पुष्टि हुई। यह सर्वे हिमालयी इकोसिस्टम की सुरक्षा और इस दुर्लभ प्रजाति के संरक्षण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।

उत्तराखंड में अब खेती की ज़मीन पर भी बन सकेंगे रिसॉर्ट
उत्तराखंड में अब खेती की ज़मीन पर भी बन सकेंगे रिसॉर्ट

By Gaon Connection

उत्तराखंड सरकार ने विकास, पर्यटन और नागरिक जीवन सुधार के लिए ऐसे फैसले किए हैं, जो सीधे आम लोगों की जिंदगी को बेहतर बनाएंगे। किसान, भूमिहीन, युवा प्रतियोगी परीक्षार्थी और शहरवासियों के लिए नई उम्मीदें और अवसर खुल रहे हैं

उत्तराखंड सरकार ने विकास, पर्यटन और नागरिक जीवन सुधार के लिए ऐसे फैसले किए हैं, जो सीधे आम लोगों की जिंदगी को बेहतर बनाएंगे। किसान, भूमिहीन, युवा प्रतियोगी परीक्षार्थी और शहरवासियों के लिए नई उम्मीदें और अवसर खुल रहे हैं

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