हमारे साथी पुलिसकर्मियों ने साथ नहीं दिया होता तो, आज मैं यहां नहीं होता -डीजीपी सुलखान सिंह 

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हमारे साथी पुलिसकर्मियों ने साथ नहीं दिया होता तो, आज मैं यहां नहीं होता -डीजीपी सुलखान सिंह DGP SULKHAN SINGH 

लखनऊ। यूपी के डीजीपी सुलखान सिंह को शुक्रवार सुबह लखनऊ के रिजर्व पुलिस लाइन में रिटायरमेंट से एक दिन पहले विदाई समारोह का आयोजन कर उन्हें परेड की सलामी दी गई। इस मौके पर डीजीपी ने यूपी की जमकर तारीफ़ की और सराहनीय कार्य करने के लिए कई पुलिस कर्मियों को सम्मानित किया। विदाई समारोह के दौरान प्रदेश भर के कई आईपीएस ऑफिसर भी समारोह में मौजूद रहे।

डीजीपी सुलखान सिंह 30 सितंबर को अपना कार्यकाल पूरा कर रिटायर हो रहे है। इस मौके पर उनका विदाई समारोह पुलिस महकमे ने एक दिन पहले आयोजित कर उन्हें परेड की सलामी दी। डीजीपी सुलखान सिंह के साथ उनकी पत्नी भी मौजूद थीं। इस मौके पर सुलखान सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि, " मेरे लिए यह गौरव का विषय है। मुझे यूपी पुलिस का डीजीपी बनने का गौरव मिला। आज की परेड का मुझे सौभाग्य मिला। यूपी पुलिस का इतिहास गौरवपूर्ण रहा है। हमारी पुलिस ने हर जगह नाम रोशन किया है। हर चुनौती से लड़ने के लिए प्रदेश की पुलिस तैयार है। मेरे सेवा काल में सबका सहयोग मिला। सभी लोगों को मेरी तरफ से धन्यवाद। मेरी कामयाबी पुलिस की देन है।

सुलखान सिंह ने अपने शुरुआती दौर का कार्यकाल याद करते हुए कहा कि, "1984 में पहली बार मेरी और बदमाशों के बीच मुठभेड़ हुई थी। जहां मशीन गन की मैगजीन निकलकर बाहर गिर गई थी। फिर भी हमारे साथी पुलिसकर्मियों ने डकैतों का डट कर सामना किया। अगर उन्होंने साथ नहीं दिया होता, आज मैं यहां नहीं होता। कोई अधिकारी तब तक कामयाब नहीं हो सकता है, जब तक उसके अंडर काम करने वाले उसके मातहत उसका पूरी निष्टा से साथ न दें। उन्होंने कहा कि, 1991-92 में पीलीभीत में हमने पुलिस के दम पर आतंकवाद का मुकाबला किया। 34 साल की पुलिस सेवा में सभी ने हमारा सहयोग किया। साथ ही फोर्थ क्लास कर्मचारियों की सराहना करते हुए कहा कि, उनका बड़ा योगदान रहा है मेरी पूरी नौकरी के कार्यकाल में। वर्दी और भोजन सभी की जिम्मेदारी इनके ही पास होती है।"

डीजीपी सुलखान सिंह का 1957 में जन्म बांदा जिले में हुआ था। इंटर तक की पढ़ाई उन्होंने बांदा जिले से ही पूरी की है। उसके बाद रुड़की कॉलेज ऑफ इंजीनयरिंग ( मौजूदा वक्त में आईआईटी) से इंजीनियरिंग से ग्रेजुएशन में किया। आईआईटी दिल्ली से एमटेक की पढ़ाई पूरी करने के बाद रेलवे में इंजीनियरिंग में सेवाएं दी। साल 1980 में सुलखान सिंह भारतीय पुलिस सेवा में चुने गये, तब से ले कर उन्होंने कई जिमेदारी संभाली है, वर्ष 2001 में वो लखनऊ के पुलिस उपमहानिरीक्षक बनाये गये इस दौरान वो कई भ्रष्ट पुलिस अफसर का तबादला करवा कर सुर्खियों में रहे हैं। साथ ही सुलखान सिंह को कड़क और ईमानदार छवि के लिए देश भर में जाना जाता है।

रेलवे की नौकरी छोड़ आये पुलिस सेवा

सुलखान सिंह बांदा जिले के तिंदवारी क्षेत्र के जौहरपुर गांव के रहने वाले हैं और इनकी छवि एक ईमानदार अधिकारी के रूप में मानी जाती है। शायद इसी की बदौलत सीएम ने इन पर भरोसा जताया है और यूपी की सुरक्षा का जिम्मा इनके हांथों में सौंपा था। सुलखान सिंह एक साधारण परिवार से हैं और उनका जन्म जौहरपुर गांव में 1957 में हुआ था। इंटर तक की पढ़ाई इन्होंने बांदा से की इसके बाद वह इंजीनियरिंग से ग्रेजुएशन के लिए रुढ़की चले गए। इसके बाद इन्होंने दिल्ली से एमटेक किया और फिर रेलवे में इंजीनियर के पद पर कुछ समय तक सेवाएं दीं। साथ ही वह सिविल सेवा की भी तैयारी करते रहे। इस दौरान उनका चयन पुलिस सेवा के लिए हो गया, जहां उन्होंने रेलवे की नौकरी छोड़ पुलिस सेवा ज्वाइन कर आम जनता की सेवा में लग गये।

1980 में पहले प्रयास में ही इनका चयन भारतीय पुलिस सेवा के लिए हो गया और तब से आज तक इनकी छवि एक तेज-तर्रार और बेहद ईमानदार पुलिस अधिकारी के रूप में रही है। हालांकि, पिछली सरकारों में उनकी काबिलियत को दरकिनार किया गया और उनका ज्यादातर समय केवल जल्दी-जल्दी होने वाले तबादलों में निकल गया। लेकिन योगी सरकार में उनकी ईमानदारी को सही मुकाम हासिल हुआ है, जिसे उन्होंने पूरी निष्ठा से निभाया।

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