यूपीकोका का इस्तेमाल गरीबों, दलितों, पिछड़ों और धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ होगा : मायावती

Sanjay SrivastavaSanjay Srivastava   20 Dec 2017 2:25 PM GMT

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यूपीकोका का इस्तेमाल  गरीबों, दलितों, पिछड़ों और धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ होगा : मायावतीमायावती, बसपा प्रमुख 

लखनऊ (भाषा)। बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने आज आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश में महाराष्ट्र के मकोका की तर्ज पर बनाए गए यूपीकोका का इस्तेमाल सर्वसमाज के गरीबों, दलितों, पिछड़ों और धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ होगा। उन्होंने कहा कि इस कारण बसपा इस नए कानून का विरोध करती है तथा व्यापक जनहित में इसे वापस लेने की मांग करती है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश विधानसभा में मकोका की तर्ज पर यूपीकोका का विधेयक पेश किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यूपीकोका विधेयक में भूमाफिया, खनन माफिया और संगठित अपराध से निपटने के लिए कड़े प्रावधान किए गए हैं।

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मायावती ने आज एक बयान में आरोप लगाया कि प्रदेश में वर्तमान में भाजपा सरकार की द्वेषपूर्ण और जातिवादी नीति के कारण पूरे प्रदेश में कानून का बहुत बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हो रहा है और खासकर निर्दोष दलितों, पिछड़ों और अन्य को झूठे मामलों में जेल भेजा जा रहा है।

यूपीकोका (उत्तर प्रदेश कंट्रोल ऑफ आर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट) के तहत संगठित रूप में होने वाले अपराध को निशाना बनाया जाएगा। इस कानून के तहत गिरफ़्तार व्यक्ति को 6 महीने से पहले ज़मानत नहीं मिले सकेगी। आरोपी की पुलिस रिमांड 30 दिन के लिए ली जा सकती है, जबकि बाकी क़ानूनों के तहत 15 दिन की रिमांड ही मिलती है। इसके अलावा अपराधी को पांच साल की सजा और अधिकतम फांसी की सजा का प्रावधान होगा।

बयान में कहा गया कि उर्दू में शपथ ग्रहण करने पर बसपा के अलीगढ़ के पार्षद पर साम्प्रदायिक भावना भड़काने का गलत आरोप लगाकर उनके विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर लिया गया है जो अन्याय है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार द्वारा अपराधियों और माफियाओं को चिह्नित करने का जो काम किया गया है, उसमें भी इसी प्रकार का राजनीतिक द्वेष और जातिगत भेदभाव किया गया है। इससे प्रदेश सरकार की असली मंशा बेनकाब हो जाती है और यह आशंका प्रबल होती है कि यूपीकोका का अनुचित और राजनीतिक इस्तेमाल अवश्य ही किया जाएगा।

मायावती ने कहा कि आज उत्तर प्रदेश में कानून का बहुत अधिक दुरपयोग हो रहा है, अगर यह सब नहीं रुका तो बसपा को अन्तत: कोई न कोई कठोर रास्ता अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

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