यूपी में पर्यटन के विकास को हजारों करोड़ रुपए की परियोजनाएं पाइपलाइन में: रीता

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यूपी में पर्यटन के विकास को हजारों करोड़ रुपए की परियोजनाएं पाइपलाइन में: रीतारीता बहुगुणा जोशी ने सोमवार को कहा कि उत्तर प्रदेश में पर्यटन के विकास के लिए हजारों करो़ड़ रुपए की परियोजनाएं पाइपलाइन में हैं

इलाहाबाद (भाषा)। उत्तर प्रदेश की पर्यटन मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने सोमवार को कहा कि उत्तर प्रदेश में पर्यटन के विकास के लिए हजारों करो़ड़ रुपए की परियोजनाएं पाइपलाइन में हैं और प्रदेश सरकार पर्यटन के लिहाज से महत्वपूर्ण 10 जनपदों पर खास ध्यान देगी जिनमें वाराणसी, इलाहाबाद, मथुरा आदि शामिल हैं।

इस संबंध में वह अगले सप्ताह केंद्रीय पर्यटन मंत्री के साथ बैठक करेंगी। यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए जोशी ने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तर प्रदेश में पर्यटन को बहुत आगे ले जाना चाहते हैं। स्वदेश दर्शन के तौर पर करोड़ों रुपए की योजना चलाने की तैयारी है। स्वदेश दर्शन के तहत इलाहाबाद में पडिला महादेव, भारद्वाज आश्रम, लक्षागृह, करछना के कई मंदिरों को विकसित करने की योजना है। खासतौर पर श्रृगवेरपुर से लेकर चित्रकूट तक राम गमन मार्ग के लिए करोड़ों रुपए की योजना है।'

उन्होंने कहा कि तीन तरह के पर्यटन-धार्मिक, ऐतिहासिक और स्वास्थ्य पर्यटन पर हमारा खास ध्यान है। ‘उत्तर प्रदेश के विभाजन होने और उत्तराखंड के अलग होने के बाद जो भी संभावनाएं यहां हैं, वह धार्मिक पर्यटन को लेकर अधिक हैं। हमारे जो भी धार्मिक स्थल हैं, उन्हें विकसित करके और आकर्षक बनाने के कार्य को गति देने का हमारा विचार है। चाहे वह कृष्ण परिपथ हो, बौद्ध परिपथ हो, राम गमन मार्ग हो। अवध क्षेत्र, वाराणसी, प्रयाग आदि को लेकर हमारी वृहद योजना है।’

पर्यटन मंत्री ने रीता बहुगुणा जोशी ने कहा, ‘मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहली मंत्रिमंडलीय बैठक में ही कुंभ (इलाहाबाद) को लेकर अपना मंतव्य रखा। वह चाहते हैं कि कुंभ के आठ महीने पहले ही सभी तैयारियां पूरी हो जानी चाहिए। जल्द ही अलग से एक बैठक इस पर (कुंभ) मंत्रिपरिषद की एक बैठक होगी।’ उल्लेखनीय है कि इलाहाबाद में वर्ष 2019 में अर्द्ध कुंभ का मेला होगा।

ऐतिहासिक पर्यटन के संदर्भ में उन्होंने कहा कि इलाहाबाद में स्थित किला जो अब सेना के नियंत्रण में, उसे आम पर्यटकों के लिए खोलने, उसका सौंदर्यीकरण कैसे किया जाए, इस संबंध में उन्होंने अपने विभाग के अधिकारियों को सेना के अधिकारियों से बात करने को कहा है। ‘साथ ही बुंदेलखंड पर हमारा खास जोर है जिसका इतिहास बहुत समृद्ध है। हमारा प्रयास है कि जैसे अन्य महोत्सव होते हैं, वैसे ही बुंदेलखंड महोत्सव हो।’

    

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