प्रदेश का किसान सरकार की ओर से जारी की गई सहायता राशि से अभी भी वंचित 

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प्रदेश का किसान सरकार की ओर से जारी की गई सहायता राशि से अभी भी वंचित सरकार ने किसानों की मदद के लिए जो सहायता राशि जारी की थी, उसे बांटा नहीं जा सका है।

अश्वनी कुमार निगम

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव सरकार ने किसानों की मदद के लिए जो सहायता राशि जारी की थी, उसे बांटा नहीं जा सका है। शुक्रवार को वित्तीय वर्ष की समाप्त हो गया पर कर्ज में डूबे किसानों को सहायता राशि नहीं मिल पाई। 2400 करोड़ से अधिक की सहायता राशि अब वापस चली जाएगी।

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सीतापुर जिले के पिसांवा ब्लॉक के बारामऊ कला गाँव के किसान योगेन्द्र कुमार कर्ज में डूबे हैं। साल 2015 में बेमौसम बरसात, ओलावृष्टि और सूखा से उनकी 10 बीघे में फसल बर्बाद हो गई।

राज्य सरकार ने इसके लिए मुआवजे की घोषणा की थी। सरकार ने इसके लिए पैसा भी जारी कर दिया लेकिन उनको आज तक पैसा नहीं मिला। यह सिर्फ एक बानगी है। इनके जैसे हजारों किसानों के साथ ऐसा ही हुआ है।

साल 2015 में उत्तर प्रदेश में फरवरी, मार्च और अप्रैल महीने में राज्य में ओलावृष्टि और अतिवृष्टि से बड़ी मात्रा में खेतों में खड़ी फसल बर्बाद हो गई थी। स्थिति ये थी कि तत्कालीन अखिलेश यादव सरकार ने राज्य के 75 में से 52 जिलों को आपदाग्रस्त घोषित कर दिया था। राज्य सरकार ने किसानों को मुआवजा देने के लिए 2917 करोड़ रुपए की मंजूरी दी थी। इसमें से अभी तक मात्र 488 करोड़, 38 लाख और 33 हजार रुपए ही किसानों को बांटा गया। इसमें से सिर्फ आठ जिलों अम्बेडकर नगर, बागपत, बलिया, गौतमबुद्धनगर, कासगंज, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर और सहारनपुर ही ऐसे जिले हैं जो राहत की पूरी रकम बांट सके, बाकी जिलों में छिटपुट मुआवजा ही किसानों को मिला।

31 मार्च को वित्तीय वर्ष को पूरा होते देख विभिन्न जिलों से इस राशि को सरेंडर किया जा रहा है। इस बारे में उत्तर प्रदेश राजस्व परिषद के प्रमुख सचिव अरविंद कुमार ने बताया, ‘’किसानों की सहायता करना और उनका मुआवजा की राशि बांटना सरकार की प्राथमिकता है। जिन जिलों में किसानों को मुआवजा नहीं बांटा है उसकी जानकारी ली जा रही है। बची हुई रकम को सरेंडर करने के लिए जिला अधिकारियों का निर्देश दिया गया है।’’

गोरखपुर जिले के खजनी ब्लाक के सैरो गाँव के किसान रामनारायण यादव की भी फसल साल 2015 में बर्बाद हो गई थी। सरकार से मदद के लिए उन्होंने लेखपाल के माध्यम से सारे कागजात जमा किए लेकिन उनको मुआवजा नहीं मिला। सीतापुर के मच्छैरता ब्लाक की महिला किसान सुधा रानी ने बताया, ‘’दो साल पहले ओलावृष्टि से गूहें की पूरी फसल बर्बाद हो गई। लेखपाल ने आकर जांच भी करी खतौनी भी जमा कराया लेकिन मुआवजा के पैसा नहीं मिला। पूछने पर हर बात बताया गय कि जल्दी ही पैसा आएगा लेकिन पैसा नहीं आया।”

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फसल की बर्बादी के बाद सरकार की तरफ से किसानों के लिए मुआवजा की राशि जारी होने के बाद भी किसानों को यह पैसा नहीं मिलना अधिकारियों की असंवेदनशीलता दिखाता है। इस बारे में भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत का कहना है, ‘’किसानों को लेकर सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों का रवैया ठीक नहीं होता है। किसानों को सरकार की तरफ से जो भी सहायता दी जाती है वह कभी भी समय से किसानों तक नहीं पहुंच पाती है।

’’उन्होंने कहा कि बात चाहे फसल बर्बादी के बाद मिलने वाले मुआवजा राशि की हो या किसानों के लिए चलाई जा रही योजनाओं की। किसानों को लाभ मिले यह सरकारी अधिकारियों के एजेंडे में ही नहीं है। इसलिए हम लोगों को बार-बार किसानों के हक के लिए आंदोलन करना पड़ता है।

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