यूपी में यमुना नदी के घाटों का होगा विस्तार

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यूपी में यमुना नदी के घाटों का होगा विस्तारgaonconnection

लखनऊ। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद ने मथुरा वृन्दावन स्थित यमुना नदी के घाटों के विस्तार, नवीनीकरण एवं सौन्दर्यीकरण की परियोजना को मंजूरी प्रदान कर दी है। इस परियोजना पर आने वाले 177.81 करोड़ रुपए के प्रस्ताव को भी अनुमोदित कर दिया गया है।

वृन्दावन में मंदिरों के दर्शन के लिए पूरे वर्ष श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा रहता है। यहां यमुना नदी के किनारे श्रद्धालुओं के स्नान करने के लिए एक मात्र पक्का केसीघाट जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है। इस घाट के अपस्ट्रीम में 4 अन्य घाट-चीर घाट, बिहार घाट, जुगल घाट और भ्रमण घाट कच्चे हैं। यमुना नदी के दायें किनारे पर कोसी नाला और शहर की ओर से 5 गन्दे नाले नदी में मिलते हैं।

इन नालों के पानी से घाटों के पास का पानी अत्यन्त दूषित रहता है। सभी नालों को टेप करके परिक्रमा मार्ग के साथ-साथ लगभग 2000 मीटर लम्बाई में  इण्टरसेप्टिंग ड्रेन का निर्माण कर इस प्रदूषित पानी को केसी घाट के नीचे तक लाया जाएगा, जिससे शहरी क्षेत्रों में घाटों पर प्रदूषित जल न पहुंचे। भविष्य में इस स्थल से पानी को द्वितीय चरण में एसटीपी तक जोड़ने का कार्य किया जाना प्रस्तावित है। वृन्दावन स्थित केसी घाट व अन्य घाटों का 225 मीटर लम्बाई में पुनरोद्धार करते हुए 500 मीटर लम्बाई में नये घाटों को पक्का कराने और नदी के किनारे पर लैण्डस्केप तथा सौन्दर्यीकरण का कार्य कराया जाएगा।

वरुणा नदी के तट का होगा विकास

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की अध्यक्षता में गुरुवार को सम्पन्न मंत्रिपरिषद की बैठक में वाराणसी शहर में वरुणा नदी के चैनलाइजेशन और तटीय विकास की परियोजना को मंजूरी प्रदान कर दी गयी है। इस परियोजना पर व्यय वित्त समिति द्वारा आंकलित 20165.85 लाख रुपए की लागत को भी अनुमोदित कर दिया गया है।

वाराणसी शहर ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व का प्राचीनतम नगर है। वरुणा नदी जो गंगा की सहायक नदी है नगर के मध्य से होकर बहती है। इस नदी में शहर के दोनों तरफ से 14 मुख्य नालों और 44 छोटे-छोटे नालों का दूषित जल प्रवाहित होता है। इस परियोजना से इन नालों को चैनलाइज किया जाएगा। विगत 60 वर्षों से नदी की सफाई न होने के कारण वरुणा नदी गन्दे नाले के रूप में परिवर्तित हो गयी है, जिससे गंगा नदी भी प्रदूषित हो रही है। इसको ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री ने वरुणा नदी के पुनर्जीवीकरण के निर्देश दिए थे।

मंत्रिपरिषद की बैठक में लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय

  • नगर निकायों में 40 हजार सफाई कर्मियों की संविदा पर भर्ती के संशोधन के प्रस्ताव को मंत्रीमंडल ने मंजूरी दे दी है। इस संशोधन के अनुसार नगर निकायों में सफाई कर्मियों के रिक्त 35 हजार 744 पदों के स्थान पर कुल 40 हजार संविदा सफाई कर्मचारियों की भर्ती की जाएगी।
  • मंत्रिपरिषद ने नगर पालिका परिषद, रामपुर में जेल रोड स्थित झील के विकास और सौन्दर्यीकरण से सम्बन्धित अनुमोदित 2152.20 लाख रुपए पर सहमति प्रदान कर दी है।
  • मंत्रिपरिषद ने जनपद आजमगढ़ की नगर पालिका परिषद, मुबारकपुर का सीमा विस्तार किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। ग्राम पंचायत अमिलों को नगर पालिका परिषद, मुबारकपुर की सीमा में शामिल करते हुए सीमा विस्तार किए जाने के संबंध में कोई आपत्ति और सुझाव शासन में प्राप्त न होने के बाद इस अधिसूचना को अन्तिम रूप देते हुए यह निर्णय लिया गया है।
  • मंत्रिपरिषद ने राज्य सहायता प्राप्त अरबी फारसी मदरसों के नियमित वेतन वितरण के उद्देश्य से वेतन वितरण विधेयक पारित कराए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। इन संस्थाओं के कर्मचारियों को नियमित वेतन भुगतान सुनिश्चित किए जाने तथा इसमें पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश मदरसा (अध्यापकों और अन्य कर्मचारियों के वेतन का भुगतान) विधेयक, 2016 पारित कराया जाएगा। मंत्रिपरिषद द्वारा विधेयक के प्रारूप को भी अनुमोदित कर दिया गया है।
  • मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक पूर्वदशम छात्रवृत्ति नियमावली-2016 के प्रख्यापन को मंजूरी प्रदान कर दी है। यह नियमावली शैक्षणिक सत्र 2016-17 से लागू होगी। नियमावली के अनुसार वित्तीय वर्ष 2016-17 से अल्पसंख्यक वर्ग के अभिभावकों की वार्षिक आय अधिकतम दो लाख रुपए कर दी गई है। पूर्व में यह एक लाख रुपए निर्धारित थी। 
  • मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश ग्रामीण आयुर्विज्ञान और अनुसंधान संस्थान सैफई, इटावा में 500 बेडेड सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के निर्माण से सम्बन्धित प्रस्ताव को अनुमोदित करते हुए वित्त समिति द्वारा मूल्यांकित 463.2829 करोड़ रुपए के व्यय की स्वीकृति भी प्रदान कर दी है।
  • मंत्रिपरिषद ने जनपद महोबा में अर्जुन सहायक पुनरीक्षित परियोजना के लिए 2593.93 करोड़ रुपए के व्यय प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। इस परियोजना के अन्तर्गत लहचूरा बांध का आधुनिकीकरण करते हुए धसान नदी के दाएं किनारे से 2600 क्युसेक क्षमता एवं 41.60 किमी. लम्बाई की अर्जुन फीडर के निर्माण के फलस्वरूप प्रतिवर्ष अर्जुन बांध को पूरी क्षमता तक भरा जाना तथा अर्जुन बांध से कबरई बांध तक 2200 क्युसेक क्षमता एवं 31.80 किमी. लम्बाई की कबरई फीडर के निर्माण के फलस्वरूप चन्द्रावल तथा कवरई बांध को पूरी क्षमता तक भरा जाना सम्भव हो सकेगा।
  • मंत्रिपरिषद ने नई दिल्ली स्थित दिल्ली विकास प्राधिकरण की द्वारका योजना के अन्तर्गत सेक्टर-13 में राज्य अतिथि गृह का निर्माण कराए जाने तथा योजना में शामिल उच्च विशिष्टियों सम्बन्धी कार्य और योजना की लागत 4532.39 लाख रुपए के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
  • मंत्रिपरिषद ने स्वयंसेवी संगठनों (एनजीओ) के साथ सहभागिता के लिए प्रोसीजर्स तय किए जाने से सम्बन्धित एनजीओ प्रकोष्ठ, नियोजन विभाग द्वारा तैयार किए गए प्रोसीजर्स पर सहमति प्रदान कर दी है।
  • मंत्रिपरिषद ने जैव विविधता की दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण होने के कारण, केन्द्र सरकार द्वारा जारी जैव विविधता अधिनियम, 2002 (द बायोलॉजिकल डाइवर्सिटी एक्ट, 2002) में इंगित प्राविधानों के तहत, घड़ियाल पुनर्वास केन्द्र, कुकरैल लखनऊ को ‘जैव विविधता विरासतीय स्थल’ घोषित किए जाने का निर्णय लिया है। 
  • मंत्रिपरिषद ने अहेरिया जाति को उत्तर प्रदेश की अनुसूचित जातियों की सूची में सम्मिलित किए जाने के लिए भारत सरकार को संस्तुति प्रेषित किए जाने का निर्णय लिया है। अहेरिया जाति अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्ग आदि में से किसी वर्ग में वर्गीकृत नहीं है। ‘अहेरिया’ और ‘बहेलिया’ जाति की सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक और शैक्षिक स्थिति लगभग समान है। ‘अहेरिया’ जाति अनुसूचित जाति की सूची में सम्मिलित किए जाने के लिए निर्धारित मानदण्डों के अनुरूप पायी गयी है।  
  • मंत्रिपरिषद ने जनपद मऊ की ग्राम सभा चिरैयाकोट, जनपद बलिया की ग्राम सभा बैरिया, जनपद प्रतापगढ़ के कस्बा लालगंज और जनपद फिरोजाबाद के ग्राम एका को नगर पंचायत बनाने का निर्णय लेते हुए इनसे सम्बन्धित अधिसूचना निर्गत करने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है।
  • मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार लाने के उद्देश्य से जनपद लखीमपुर खीरी के फरदान एवं नकहा तथा सीतापुर के महमूदाबाद विकास खण्ड में पायलेट परियोजना चलाने की अनुमति प्रदान कर दी है। इस परियोजना के प्रबन्धन एवं क्रियान्वयन के लिए सिफ्सा को नामित किया गया है। इसके लिए बिल एण्ड मिलिण्डा गेट्स फाउण्डेशन, सिफ्सा एवं महानिदेशक चिकित्सा और स्वास्थ्य के मध्य एक त्रिपक्षीय मेमोरेण्डम ऑफ अण्डरस्टैण्डिंग पर हस्ताक्षर किया जाएगा। सम्पूर्ण कार्यक्रम के क्रियान्वयन के लिए खुली निविदा द्वारा सिफ्सा एक गैर सरकारी संस्था का चयन करेगी।

 

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