'चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य 36 रुपए होगा तभी मिलों के घाटे की भरपाई हो पाएगी'

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य 36 रुपए होगा तभी मिलों के घाटे की भरपाई हो पाएगी

नई दिल्ली। चीनी उद्योग संगठन इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के महानिदेशक अविनाश वर्मा का कहना है कि चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) 29 रुपए प्रति किलो से बढ़ाकर 36 रुपए प्रति किलो करने पर ही मिलों के घाटे की भरपाई हो पाएगी। उन्होंने कहा कि इसके साथ-साथ चीनी निर्यात का कोटा 70 लाख टन किया जाना चाहिए। इस्मा महानिदेशक ने समाचार एजेंसियों से बातचीत में कहा कि चीनी का एमएसपी 29 रुपए से बढ़ाकर 36 रुपए प्रति किलो किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मौजूदा कीमत पर मिलों को घाटा हो रहा है, उनकी लागत ज्यादा है। वर्मा ने कहा कि 36 रुपये प्रति किलो चीनी का दाम होने पर मिलों की लागत की भरपाई हो पाएगी।

घरेलू बाजार में चीनी के दाम में काफी गिरावट आने के बाद सरकार ने कीमतों में स्थिरता लाने के मकसद से जून में चीनी का एमएसपी तय करने के साथ-साथ मिलों से चीनी की आपूर्ति के लिए मासिक कोटा का निर्धारण किया। बाजार सूत्र के अनुसार, सिंतबर महीने में चीनी की आपूर्ति का कोटा 22 लाख टन निर्धारित किया गया है।

ये भी पढ़ें- चीनी निर्यात कोटा की समय सीमा बढ़ी, कच्ची चीनी बाहर जाने से कीमतों में होगा सुधार

पिछले चीनी वर्ष 2017-18 में चीनी का निर्यात नहीं होने का मुख्य कारण अंतर्राष्ट्रीय बाजार में चीनी का दाम भारत के मुकाबले कम होना है। ऐसे में घरेलू बाजार में दाम में वृद्धि होगी तो अंतर्राष्ट्रीय बाजार के मुकाबले कीमतों में और अंतर बढ़ेगा तो फिर निर्यात कैसे संभव होगा, इस सवाल पर उन्होंने कहा कि निर्यात का कोटा अनिवार्य किया जाना चाहिए, जिसके बाद कोई बहाना नहीं मिलेगा।

अविनाश वर्मा ने कहा कि सरकार को अगले चीनी वर्ष 2018-19 (अक्टूबर-सितंबर) के लिए चीनी निर्यात नीति की भी घोषणा जल्द करनी चाहिए।

मालूम हो कि सरकार ने पहले ही वर्ष 2017-18 के लिए न्यूनतम सांकेतिक निर्यात कोटा (एमआईईक्यू) के तहत तय 20 लाख टन चीनी निर्यात की समय सीमा तीन महीने बढ़ाकर 31 दिसंबर तक कर दिया है। लेकिन वर्मा ने कहा कि इससे कोई फायदा नहीं मिला है क्योंकि निर्यात महज 4.5 लाख टन ही हो पाया है।

वर्मा ने कहा कि अगले साल की चीनी निर्यात नीति की घोषणा होने से मिलें कच्ची चीनी बनाएगी जिसका निर्यात करना आसान होगा। उन्होंने कहा कि सफेद चीनी की मांग कम है, मगर कच्ची चीनी विदेशी बाजार में बेची जा सकती है।

उन्होंने कहा कि अगले सीजन के लिए 70 लाख टन चीनी निर्यात अनिवार्य किया जाना चाहिए।

ये भी पढ़ें- गन्ने की खेती से क्यों दूर हो गए पूर्वांचल के किसान

इस्मा के अनुसार, इस साल 2017-18 में देश में चीनी का उत्पादन 320 लाख टन से ज्यादा है और 2018-19 में 350-355 लाख टन चीनी का उत्पादन होने का अनुमान है। देश में चीनी की खपत करीब 250-260 लाख टन है। ऐसे में अगले साल स्टॉक में भारी इजाफा हो सकता है।

खपत के मुकाबले चीनी का उत्पादन ज्यादा होने के कारण कीमतों पर लगातार दबाव देखा जा रहा है। मिलों का कहना है कि मौजूदा भाव पर उनको घाटा हो रहा है जिससे उनको गन्ना किसानों के बकाये का भुगतान करने में कठिनाई हो रही है। देश के सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में चार सिंतबर तक चीनी मिलों पर गन्ना किसानों के बकाये की रकम 10,066 करोड़ रुपए थी।

(एजेंसियों से इनपुट)

   

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.