चीनी निर्यात कोटा की समय सीमा बढ़ी, कच्ची चीनी बाहर जाने से कीमतों में होगा सुधार
केंद्र सरकार ने मौजूदा चीनी वर्ष 2017-18 में 20 लाख टन चीनी का निर्यात करने का कोटा तय किया था, जिसके लिए सरकार प्रति कुंतल गन्ने की पेराई पर मिलों को 5.50 रुपए की दर से गन्ने की लागत मूल्य में राहत प्रदान करते हुए यह राशि सीधे किसानों के खाते में जमा करती है
गाँव कनेक्शन 25 Aug 2018 5:36 AM GMT

नई दिल्ली। सहकारी चीनी मिलों का शीर्ष संगठन राष्ट्रीय सहकारी चीनी कारखाना संघ लिमिटेड (एनएफसीएसएफ) ने गुरुवार को चीनी निर्यात कोटा की समय सीमा बढ़ाने के सरकार के फैसला का स्वागत किया है। चीनी उद्योग संगठन ने कहा कि इससे अगले सीजन की कच्ची चीनी का निर्यात करना आसान हो जाएगा। केंद्रीय खाद्य मंत्रालय की ओर से गुरुवार को चीनी मिलों को जारी नोटिस के अनुसार, न्यूनतम सांकेतिक निर्यात कोटा (एमआईईक्यू) के तहत चीनी निर्यात की समय सीमा 30 सितंबर 2018 से तीन महीने बढ़ाकर 31 दिसंबर तक कर दी गई है। नोटिस में कहा गया कि इस दौरान चीनी उत्पादन वर्ष 2017-18 (अक्टूबर-नवंबर) और अगले सीजन 2018-19 की चीनी निर्यात की जा सकती है।
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एनएफसीएसएफ के प्रबंध निदेशक, प्रकाश नाइकनवरे ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में कहा कि सरकार ने जो एमआईईक्यू स्कीम के तहत चीनी निर्यात की समयसीमा तीन महीने बढ़ाई है, इससे अगले पेराई सीजन में कच्ची चीनी बनाकर बेचना संभव होगा।
उन्होंने कहा, "हमारे पास चालू सीजन में पर्याप्त परिमाण में सफेद चीनी है, लेकिन वैश्विक बाजार में इसकी मांग बहुत कम है और हम चीनी बेच नहीं पा रहे हैं। अब तक महज चार लाख टन निर्यात का सौदा हुआ है और 30 सितंबर को सीजन के आखिर तक ज्यादा से ज्यादा पांच लाख टन चीनी का निर्यात हो सकता है।"
नाइकनवरे के अनुसार, सरकार के इस फैसले से मिलें अब कच्ची चीनी बनाकर बेच सकती हैं जिसकी विदेशों में मांग है। उन्होंने कहा, "कच्ची चीनी हम चीन, मलेशिया, इंडोनेशिया, श्रीलंका और खाड़ी देशों को बेच सकते हैं।" उन्होंने कहा कि किसी भी तरह देश से चीनी बाहर जाएगी और स्टॉक में कमी आएगी तो घरेलू कीमतों में सुधार होगा।
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केंद्र सरकार ने मौजूदा चीनी वर्ष 2017-18 में 20 लाख टन चीनी का निर्यात करने का कोटा तय किया था, जिसके लिए सरकार प्रति कुंतल गन्ने की पेराई पर मिलों को 5.50 रुपए की दर से गन्ने की लागत मूल्य में राहत प्रदान करते हुए यह राशि सीधे किसानों के खाते में जमा करती है। नाइकनवरे ने कहा कि 31 दिसंबर तक संभव है कि यह लक्ष्य हासिल हो जाए, क्योंकि कच्ची चीनी का निर्यात आसानी से किया जा सकता है।
उन्होंने कहा, "हमने सरकार से 31 दिसंबर तक इस स्कीम को बढ़ाने की मांग करते हुए यही तर्क भी दिया था, जिसे सरकार ने स्वीकार किया है। हम सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हैं।" देश में इस साल 322 लाख टन चीनी का उत्पादन होने का अनुमान है जबकि अगले साल के लिए चीनी उद्योग ने 350-355 लाख टन उत्पादन होने का अनुमान लगाया है।
(एजंसियों से इनपुट)
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