कोरोना वायरस की दूसरी लहर: एक बार फिर लागत भी नहीं निकाल पा रहे मुर्गी पालक
कोरोना की दूसरी लहर के चलते परेशान मुर्गी पालन करने वालों ने बताई अपनी परेशानी। पिछले साल से उठा रहे नुकसान, इस साल लॉकडाउन में मीट-अंडे की दुकानों को खुलने की इजाजत नहीं मिलने से बढ़ी दिक्कत।
Divendra Singh 27 May 2021 9:12 AM GMT

पोल्ट्री फार्मर (बॉयलर) वेलफेयर फेडरेशन ने किसानों को नुकसान से बचाने के लिए राज्य सरकार के साथ ही केंद्र सरकार को भी चिट्ठी लिखी है, लेकिन अभी तक दुकान खोलने की परमिशन नहीं मिल पाई है। फोटो: अरेंजमेंट
पांच हजार ब्रायलर मुर्गियों का फार्म चलाने वाले मोहम्मद आबिद के फार्म पर इस समय एक भी मुर्गा नहीं है। पिछले साल कोरोना फिर बर्ड फ्लू और इस साल फिर कोरोना की दूसरी लहर के चलते आबिद जैसे मुर्गी पालकों को नुकसान उठाना पड़ रहा है
मोहम्मद आबिद (42) उत्तर प्रदेश के मलीहाबाद में पोल्ट्री फार्म चलाते हैं। आबिद बताते हैं, "इस बार कोरोना के आने से पहले तक पांच हजार के लगभग ब्रायलर मुर्गे थे। मार्च के आखिर में सारे मुर्गों को बेचकर नए चूजे लाने वाला था। मुर्गे तो बिक गए, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर आ गई। इसके बाद से नए चूजे लाने की हिम्मत नहीं हुई। पिछले साल भी हम लोगों को काफी नुकसान उठाना पड़ा था।"
उत्तर प्रदेश में लॉकडाउन लगने के बाद दूसरी जरूरी वस्तुओं के साथ मीट और अंडा की दुकान खोलने की अनुमति नहीं है, जिसका नुकसान मुर्गी पालकों को उठाना पड़ रहा है। जबकि विशेषज्ञों के अनुसार कोरोना काल में अंडा और चिकन सबसे बढ़िया प्रोटीन का स्रोत है।
साल 2020 में कोरोना की शुरुआत में अफवाह फैल गई कि चिकन और अंडा खाने से भी कोरोना हो सकता है, बहुत से पोल्ट्री फार्म वालों ने अपनी मुर्गियों को मार दिया। इसके बाद बर्ड फ्लू की अफवाहों चलते मुर्गी पालकों का काफी नुकसान उठाना पड़ा। पिछले साल 2020 में लॉकडाउन के दौरान मीट और अंडे की दुकान खोलने की परमिशन थी, लेकिन इस बार ऐसा नहीं है।
पोल्ट्री फार्मर (ब्रॉयलर) वेलफेयर फेडरेशन के अध्यक्ष एफएम शेख कहते हैं, "इस बार ऐसी अफवाहें तो नहीं हैं, लेकिन सरकार ने इस बार फल, सब्जी, दूध और किराना की दुकानों को ही खुलने की परमिशन दी है। पोल्ट्री को परमिशन नहीं दी है। इसकी वजह से जो भी चिकन बिक रहा है वो चोरी छिपे ही बिक रहा है। इस समय जो उपभोक्ता हैं उसे तो चिकन महंगा मिल रहा है, लेकिन किसान के यहां से सस्ते में बिक रहा है। उसकी लागत भी नहीं निकल पा रही है। "
वो आगे कहते हैं, "अप्रैल में 60-65 रुपये में एक मुर्गा बिका था, जबकि लागत 100 से ज्यादा रुपये की आती है। इस बार तो 60 रुपये में भी माल बेचा है, सोचिए 60 रुपये में एक चूजा आता है। चूजे के दाम में मुर्गा बेचा जा रहा है। इस समय दूसरे राज्यों से लोग मुर्गे खरीदने आ रहे हैं। हमें मुर्गों को निकालना है, इसलिए हमें सस्ते दाम पर उन्हें बेचना पड़ रहा है। बाहर से आने वाले लोग कहते हैं कि अगर 70 रुपये में दोगे तभी आएंगे, अब हमारी मजबूरी है, इसलिए हमें सस्ते में ही बेचना पड़ रहा है।"
पोल्ट्री फार्मर (बॉयलर) वेलफेयर फेडरेशन ने किसानों को नुकसान से बचाने के लिए राज्य सरकार के साथ ही केंद्र सरकार को भी चिट्ठी लिखी है, लेकिन अभी तक दुकान खोलने की परमिशन नहीं मिल पाई है।
शेख कहते हैं, "पोल्ट्री किसान पिछले 14 महीने में 4 आपदाएं झेल चुके हैं, जिसमें दो आपदाएं जारी है। पहला पिछले साल आया कोरोना, दूसरा जनवरी-फरवरी 2021 में बर्ड फ्लू, तीसरा सोया मील के बढ़ते दाम, उसके बाद चौथा कोरोना की दूसरी लहर, जो अब भी जारी है। फिर भी तक सरकार की तरफ से कोई आदेश नहीं आया है।"
10 मई को मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय, पशुपालन एवं डेयरी विभाग, भारत सरकार के सचिव अतुल चतुर्वेदी ने सभी प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र भी भेजा है। पत्र में मछली, चिकन, मटन और अंडे को आवश्यक वस्तुओं में शामिल करने और दुकान खोलने के लिए लिखा गया है। इसमें कहा गया है कि पोल्ट्री उत्पाद प्रोटीन का मुख्य स्रोत होने के साथ ही लाखों लोगों की जीविका भी साधन है।
एफएम शेख बताते हैं, "10 मई को सभी प्रदेशों के मुख्य सचिव को पत्र भेजने के बाद आज 26 मई हो गई है। अब तक चिकन और अंडे को न ही जरूरी वस्तुओं में शामिल किया गया और न ही दुकान खोलने की परमिशन मिली है। हमने प्रदेश सरकार को इसके बाद भी कई बार लेटर लिखे, लेकिन उसका कोई फर्क नहीं पड़ा।"
मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के अनुसार देश में प्रमुख पोल्ट्री मीट उत्पादक राज्यों में पहले नंबर पर आंध्र प्रदेश, उसके बाद पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और महाराष्ट्र जैसे राज्य आते हैं।
यूपी की तरह ही दूसरे राज्यों में भी हालात ठीक नहीं हैं। होटल-रेस्टोरेंट बंद होने और मार्केट न खुलने से भी काफी नुकसान हो रहा है। संजय शर्मा पंजाब के लुधियाना में 75 हजार क्षमता का पोल्ट्री फार्म चलाते हैं, लेकिन लगातार नुकसान की वजह से इस समय 20 हजार के लगभग ही ब्रॉयलर रखे हुए हैं।
संजय शर्मा कहते हैं, "हर जगह वही हाल है, फीड के रेट बढ़ने से पहले से ही काफी नुकसान हो रहा था। अब लॉकडाउन और कोरोना की सेकंड वेब में और नुकसान हो रहा है। एक ब्रायलर को तैयार करने में 90-95 रुपये की लागत आ जाती है, लेकिन इस समय बिल्कुल बिक्री नहीं हो रही है। अब जब धीरे-धीरे केस कम हो रहे हैं, हालात ठीक हो रहे हैं तो कोरोना प्रोटोकॉल के साथ दुकान खोलने की परमिशन दे देनी चाहिए। होटल और रेस्टोरेंट की वजह से भी अच्छी खासी बिक्री हो जाती थी, लेकिन अभी सब बंद है। ऐसे में लोग क्या करेंगे।"
आदर.@narendramodiजी @AmitShahजी @girirajsinghbjpजी
— Poultry Farmers Broilers Welfare Federation (@pfbwfindia) May 25, 2021
कृषि-पशुपालन पूरक है, 73% से अधिक लोगों के पोषण में प्रोटीन की कमी तथा कोरोना काल व इम्युनिटी के लिए प्रोटीन आवश्यक है।तथाकथित NGO's देश को भ्रमित कर रहे है। उद्योग,किसान व जनहित में इन्हे प्रतिबंधित व देश से बाहर फेंकना मांग है। pic.twitter.com/WJUZL4yalP
कोविड काल में इम्युनिटी, संक्रमण से शरीर रिकवरी, वैक्सीन स्ट्रैस में चिकन-अंडा किफायती प्रोटीन स्रोत है। राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय उच्च मेडिकल संस्थान, डॉक्टर्स, भारत सरकार, स्वास्थ मंत्रालय, पशुपालन मंत्रालय भारत सरकार आदि इम्युनिटी बढ़ाने, कोविड संक्रमण से रिकवरी, वैक्सीन-स्ट्रैस के लिए पोल्ट्री उत्पाद "चिकन व अंडे" के सेवन की सिफारिश कर रहें हैं। पोल्ट्री उत्पाद उच्च प्रोटीन, आसान उपलब्ध व सबसे किफायती प्रोटीन स्रोत है।
पोल्ट्री फ़ार्मर्स ब्रॉयलर्स वेलफेयर फेडरेशन के अध्यक्ष एफएम शेख कहते हैं, "हमने उत्तर प्रदेश सरकार को 26 अप्रैल, 13 मई, 19 मई 2021 को पत्र व ईमेल द्वारा निवेदन किया गया है, लगातार ट्वीट व निवेदन किया जा रहा है कि चिकन और अंडे के गुणों पर सरकार वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाए। कोविड काल/संक्रमण व लड़ाई में चिकन अंडे शरीर निर्माण/इम्युनिटी ब्रह्मास्त्र है। उपभोक्ता हित, पोल्ट्री किसान व कृषि किसान हित में इनकी उपयोगिता पर सरकार संज्ञान लें और पिछले साल की तरह ही इसा बार भी दैनिक आवश्यक खाद्य वस्तुओं में "चिकन अंडा" को शामिल कर इसके विक्रय चैनल को सुचारु करने का तत्काल आदेश जारी करें।"
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