इस युवा ने पहले देसी गाय के बारे में लोगों को किया जागरूक, अब 80 रुपए लीटर बेच रहा दूध

Diti BajpaiDiti Bajpai   11 Jun 2019 6:19 AM GMT

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इस युवा ने पहले देसी गाय के बारे में लोगों को किया जागरूक, अब 80 रुपए लीटर बेच रहा दूध

देहरादून। इंजीनियरिंग करने के बाद राहुल वत्स ने नौकरी करने की बजाय डेयरी की शुरुआत की। आज वह अपनी डेयरी में देसी गाय को पालकर अच्छा मुनाफा तो कमा ही रहे हैं साथ ही लोगों को देसी गाय पालन के लिए जागरूक भी कर रहे हैं।

देहरादून जिले में कृष्णा गिर डेयरी फार्म से राहुल ने लगभग एक एकड़ में डेयरी बनाई हुई है। डेयरी के बाहर ए1, ए2 के अंतर से लेकर देसी गाय के दूध के फायदे के बारे में लिखा हुआ है। अपनी डेयरी को दिखाते हुए राहुल बताते हैं, "ज्यादातर लोगों को देसी और संकर गाय के दूध में क्या अंतर है इसके बारे में पता ही नहीं है और लोग सस्ता दूध खरीद लेते हैं। किसान एचएफ और जर्सी गाय इसलिए पाल लेता है क्योंकि वह ज्यादा मात्रा में दूध देती है। दूध की मात्रा के बजाय अगर उसकी गुणवत्ता पर ध्यान दें तो किसान को दूध की कीमत मिलेगी, साथ ही लोगों को शुद्ध दूध मिलेगा।"


उन्नीसवीं पशुगणना के मुताबिक उत्तराखंड में पशुधन की कुल आबादी मुर्गियों सहित 96.64 लाख है, जिसमें गोवंश की संख्या 20.06 लाख है।

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राहुल की डेयरी फार्म में गिर नस्ल की 11 गाय और 11 (बछड़े-बछिया) हैं। डेयरी में 11 गायों से रोजाना 40 से 45 लीटर दूध का उत्पादन होता है। राहुल बताते हैं कि हम एक लीटर दूध 80 रुपए में बेचते हैं और लोग हमसे इसलिए खरीदते हैं क्योंकि हम उनको दूध की गुणवत्ता के बारे में बताते हैं साथ ही देसी गायों की क्या खसियतें है उसे भी बताते हैं।


डेयरी शुरू करने के पीछे कहानी का जिक्र करते हुए राहुल बताते हैं, "साल 2012 में मेरी बेटी हुई, उसके डेढ़ साल के बाद जब हमने उसे बाहर का दूध पिलाना शुरू किया तो उसको इंफेक्शन हो गया, जिस पर डॉक्टर ने बोला इसको दूध नहीं पिलाना है। उसके बाद मैंने बहुत रिसर्च की और देसी गाय पालन करने का सोचा। आज मुझे देखकर शहर में और भी लोगों ने देसी गायों को पालना शुरू कर दिया।"

हरे चारे की होती है समस्या

पहाड़ी क्षेत्र होने से उत्तराखंड़ में हरे चारे की काफी समस्या है। यहां किसान ज्यादातर बाहर के राज्यों से हरे चारे को मंगवाते हैं। हरे चारे की समस्या के चलते है इस राज्य में लोग डेयरी व्यवसाय से धीरे-धीरे मुंह मोड़ रहे हैं। राहुल हरे चारे की समस्या के बारे में बताते हैं, "यहां पर हरा चारा मिलना सबसे बड़ी चुनौती है। हमारे यहां सहारनपुर से हरा चारा आता है।" एक दिन में गाय पर आने वाले खर्च के बारे में राहुल बताते हैं, "रोजाना एक गाय पर 200 से 300 रुपए का खर्चा आता है लेकिन इनसे दूध की जो गुणवत्ता होती है वह विदेशी गायों में नहीं होती है।"


फेसबुक के माध्यम से भी करते हैं जागरूक

राहुल ने फेसबुक में कृष्णा डेयरी फार्म का पेज भी बनाया हुआ है, जिसके माध्यम से वह लोगों को जागरुक भी करते हैं। राहुल बताते हैं, "लोग जागरुक होंगे तभी देसी गायों का दूध खरीदेंगे और किसान को रेट मिलेगा तो वह उसे पालेगा। डेयरी के बाहर मैंने बोर्ड लगाकर लोगों को इसके फायदे बताए हैं। फेसबुक से भी लोगों को बताते हैं। साथ जो गाय (गिर) मैंने रख रखी है उनकी विशेषताओं के बारे में भी बताया है।"

डेयरी में हर गाय का है अपना नाम

राहुल ने बताया कि "मेरी डेयरी में सभी गायों के नाम है इन सभी से दिल से जुड़े है तो इनको नाम दिया है और अपने नाम पर यह रिस्पॉस भी करती है। राधा, रोहिनी, जनक, रुपा जैसे कई नाम मैंने रखे है।"

विदेशी गायों से देसी गाय ज्यादा बेहतर

राहुल ने बताया कि विदेशी गायों की अपेक्षा देसी गाय ज्यादा बेहतर हैं क्योंकि यह किसी भी परिस्थतियों में रह लेती हैं लेकिन विदेशी गाय के साथ ऐसा नहीं है और मेहनत भी बहुत ज्यादा है। राहुल बताते हैं, डेयरी में पंखे की व्यवस्था है लेकिन देसी गाय बिना पंखे के भी रह सकती है। इनको बीमारियां न के बराबर होती हैं और ये न्यूनतम डाइड लेती हैं इसलिए खाने का ज्यादा खर्च नहीं आता है। दूध की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए हम इन्हें अच्छा से अच्छा चारा खिलाते हैं।"

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