आम से बढ़िया उत्पादन पाने के लिए बौर लगते ही निपटा लें ये ज़रूरी काम

आम की बागवानी करने वाले किसानों को बौर लगने से लेकर फल के पकने तक कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए, जिससे उत्पादन भी ज़्यादा मिले और लागत भी कम हो जाए।

Dr SK SinghDr SK Singh   31 Jan 2024 9:57 AM GMT

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आम से बढ़िया उत्पादन पाने के लिए बौर लगते ही  निपटा लें  ये ज़रूरी काम

भारत के कृषि मंत्रालय की एक रिपोर्ट (2020-21) के मुताबिक देश में 2316.81 हज़ार हेक्टेयर में आम की खेती होती है, जिससे 20385.99 हज़ार टन उत्पादन प्राप्त होता है।

फरवरी महीने में आम में बौर आने शुरु हो जाते हैं, आम की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए ज़रूरत है कि मंजर में फल लगने के बाद बाग का वैज्ञानिक ढंग से प्रबंधन किया जाए।

आम में फूल आना एक महत्वपूर्ण चरण है, क्योंकि यह सीधे फल की पैदावार को प्रभावित करता है। आम में फूल आना विविधता और पर्यावरणीय परिस्थितियों पर अत्यधिक निर्भर है। इस प्रकार, आम के फूल आने की अवस्था के दौरान अपनाई गई उचित प्रबंधन रणनीतियाँ फल उत्पादन को सीधे प्रभावित करती हैं।

आम (मैंगीफेरा इंडिका) भारत में सबसे महत्वपूर्ण उष्णकटिबंधीय फल है। भारत में उत्तर प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश और बिहार में आम की खेती प्रमुखता से होती है।

भारत के कृषि मंत्रालय की एक रिपोर्ट (2020-21) के मुताबिक देश में 2316.81 हज़ार हेक्टेयर में आम की खेती होती है, जिससे 20385.99 हज़ार टन उत्पादन प्राप्त होता है। आम की राष्ट्रीय उत्पादकता 8.80 टन प्रति हेक्टेयर है।

आम के फूल का आना

आम के पेड़ आमतौर पर 5-8 वर्षों के विकास के बाद परिपक्व होने पर फूलना शुरू करते हैं, इसके पहले आए फूलों को तोड़ देना चाहिए। उत्तर भारत में आम पर फूल आने का मौसम आम तौर पर मध्य फरवरी से शुरू होता है। आम के फूल की शुरुआत के लिए तेज़ धूप के साथ दिन के समय 20-25 डिग्री सेल्सियस और रात के दौरान 10-15 डिग्री सेल्सियस की ज़रूरत होती है। हालाँकि, फूल लगने के समय के आधार पर, फल का विकास मई-जून तक शुरू होता है।


फूल आने की अवधि के दौरान उच्च आर्द्रता, पाला या बारिश फूलों के निर्माण को प्रभावित करती है। फूल आने के दौरान बादल वाला मौसम आम के हॉपर और पाउडरी मिल्ड्यू एवं एंथ्रेक्नोज बीमारियों के फैलने में सहायक होता है, जिससे आम की वृद्धि और फूल आने में बाधा आती है।

फल उत्पादन पर प्रभाव

आम के फूल छोटे, पीले या गुलाबी लाल रंग के आम की प्रजातियों के अनुसार, गुच्छों में होते हैं, जो शाखाओं से नीचे लटकते हैं। वे उभयलिंगी फूल होते हैं लेकिन परागणकों द्वारा क्रॉस-परागण अधिकतम फल सेट में योगदान देता है।

आम परागणकों में मधुमक्खियाँ, ततैया, पतंगे, तितलियाँ, मक्खियाँ, भृंग और चींटियाँ शामिल हैं। उत्पादित फूलों की संख्या और फूल आने की अवस्था की अवधि सीधे फलों की उपज को प्रभावित करती है।

हालाँकि, फूल आना कई कारकों से प्रभावित होता है जैसे तापमान, आर्द्रता, सूरज की रोशनी, कीट और बीमारी का प्रकोप और पानी और पोषक तत्वों की उपलब्धता।


ये कारक फूल आने के समय और तीव्रता को प्रभावित करते हैं। अगर फूल आने की अवस्था के दौरान ये कारक पूरे नहीं हैं, तो इसके परिणामस्वरूप कम या छोटे फल लगेंगे। उत्पादित सभी फूलों पर फल नहीं लगेंगे। फल के पूरी तरह से सेट होने और विकसित होने के लिए उचित परागण ज़रूरत है।

पर्याप्त परागण के बाद भी, मौसम की स्थिति और कीट संक्रमण जैसे कई कारकों के कारण फूलों और फलों के बड़े पैमाने पर गिरने से केवल कुछ अनुपात में ही फूल बनते हैं। इससे आखिर में फलों की उपज और गुणवत्ता प्रभावित होती है।

आम के फूलों का प्रबंधन

फल की तुड़ाई के बाद आम के पेड़ों की ठीक से कटाई - छंटाई करने से अच्छे और स्वस्थ फूल आते हैं। कटाई - छंटाई की कमी से आम की छतरी घनी हो जाती है, जिससे प्रकाश पेड़ के आंतरिक भागों में प्रवेश नहीं कर पाता है और इस प्रकार फूल और उपज कम हो जाती है। टहनियों के शीर्षों की छंटाई करने से फूल आने शुरू होते हैं।

छंटाई का सबसे अच्छा समय फल तुड़ाई के बाद होता है, आमतौर पर जून से अगस्त के दौरान। टिप प्रूनिंग, जो अंतिम इंटरनोड से 10 सेमी ऊपर की जाती है, फूल आने में सुधार करती है। गार्डलिंग आम में फलों की कलियों के निर्माण को प्रेरित करने के लिए उपयोग की जाने वाली एक विधि है। इसमें आम के पेड़ के तने से छाल की पट्टी को हटाना शामिल है। यह फ्लोएम के माध्यम से मेटाबोलाइट्स के नीचे की ओर स्थानांतरण को अवरुद्ध करके करधनी के ऊपर के हिस्सों में पत्तेदार कार्बोहाइड्रेट और पौधों के हार्मोन को बढ़ाकर फूल, फल सेट और फल के आकार को बढ़ाता है।


पुष्पक्रम निकलने के समय घेरा बनाने से फलों का जमाव बढ़ जाता है। गर्डलिंग की गहराई का ध्यान रखना चाहिए। ज़्यादा घेरेबंदी की गहराई पेड़ को नुकसान पहुँचा सकती है। यह काम विशेषज्ञ की देखरेख या ट्रेनिंग के बाद ही करना चाहिए।

इन दवाइयों का करें छिड़काव

पादप वृद्धि नियामक (पीजीआर) का उपयोग पौधों की वृद्धि और विकास को नियंत्रित करने वाली शारीरिक प्रक्रियाओं को प्रभावित करके फूलों को नियंत्रित करने और पैदावार बढ़ाने के लिए किया जाता है। एनएए फूल आने, कलियों के झड़ने और फलों को पकने से रोकने में भी मदद करते हैं। वे फलों का आकार बढ़ाने, फलों की गुणवत्ता और उपज बढ़ाने और सुधारने में मदद करते हैं।

प्लेनोफिक्स 1 मिली दवा प्रति 3 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव फूल के निकलने से ठीक पहले और दूसरा छिड़काव फल के मटर के बराबर होने पर करना चाहिए। यह छिड़काव टिकोलो (आम के छोटे फल) को गिरने से रोकने के लिए आवश्यक है।

लेकिन यहाँ यह बता देना ज़रूरी है कि आम के पेड़ के ऊपर शुरुआत में जितने फल लगते हैं उसका मात्र 5 प्रतिशत से कम फल ही आखिर में पेड़ पर रहता है, यह पेड़ की आंतरिक शक्ति द्वारा निर्धारित होता है। यानी फलों का झड़ना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है इसे लेकर बहुत घबराने की जरुरत नहीं है।

पौधों की वृद्धि और विकास पर नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए पीजीआर का सावधानीपूर्वक प्रबंधन किया जाना चाहिए, जैसे अत्यधिक शाखाएं, फलों का आकार कम होना, या फूल आने में देरी।

पोषक तत्व प्रबंधन भी है ज़रूरी

आम के पेड़ों में फूल आने के लिए पोषक तत्व प्रबंधन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। नाइट्रोजन पौधों की वृद्धि और विकास के लिए आवश्यक है। हालाँकि, ज़्यादा नाइट्रोजन फूल आने के बजाय वानस्पतिक विकास को बढ़ावा देकर आम के फूल आने में देरी करती है। इससे फास्फोरस(पी) और पोटाश (के) जैसे अन्य पोषक तत्वों में भी असंतुलन हो सकता है जो फूल आने के लिए महत्वपूर्ण हैं। नाइट्रोजन के अधिक उपयोग से वानस्पतिक वृद्धि के कारण कीट संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है।


फूलों के प्रबंधन के लिए नत्रजन (एन) की इष्टतम मात्रा का उपयोग किया जाना चाहिए। फास्फोरस आम के पेड़ों में फूल लगने और फल लगने के लिए आवश्यक है। फूल आने को बढ़ावा देने के लिए फूल आने से पहले की अवस्था में फॉस्फोरस उर्वरक का प्रयोग करें। पर्याप्त पोटेशियम का स्तर आम के पेड़ों में फूलों को बढ़ा सकता है और फूलों और फलों की संख्या में वृद्धि करता है।

पोटेशियम फल तक पोषक तत्वों और पानी के पहुंचाने में मदद करता है, जो इसके विकास और आकार के लिए ज़रूरी है। यह पौधों में नमी के तनाव, गर्मी, पाले और बीमारी के प्रति प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी मदद करता है।

कैसे करें कीट और रोग प्रबंधन

फूल और फल बनने के दौरान, कीट और बीमारी के संक्रमण की संभावना अधिक होती है, जिससे फूल और समय से पहले फल झड़ने का खतरा होता है।

मैंगो हॉपर, फ्लावर गॉल मिज, मीली बग और लीफ वेबर आम के फूलों पर हमला करने वाले प्रमुख कीट हैं। मैंगो पाउडरी मिल्ड्यू, मैंगो मैलफॉर्मेशन और एन्थ्रेक्नोज ऐसे रोग हैं जो आम के फूलों को प्रभावित करते हैं, जिससे फलों का विकास कम हो जाता है।

फलों की पैदावार बढ़ाने के लिए आम के फूलों में कीटों और बीमारियों के लक्षण और प्रबंधन की जाँच करें - आम के फूलों में रोग और कीट प्रबंधन करना चाहिए।

पिछले 4 – 5 वर्ष से मीली बग (गुजिया) की समस्या साल दर साल बढ़ते जा रही है। इस कीट के प्रबंधन के लिए आवश्यक है कि दिसम्बर- जनवरी में बाग के आस पास सफाई करके मिट्टी में क्लोरपायरीफास 1.5 डी. धूल 250 ग्राम प्रति पेड का बुरकाव कर देना चाहिए तथा मीली बग (गुजिया) कीट पेड़ पर न चढ़ सकें इसके लिए एल्काथीन की 45 सेमी की पट्टी आम के मुख्य तने के चारों तरफ सुतली से बांध देना चाहिए। ऐसा करने से यह कीट पेड़ पर नहीं चढ़ सकेगा।

अगर आप ने पहले ऐसा नहीं किया है और गुजिया कीट पेड़ पर चढ़ गया हो तो ऐसी अवस्था में डाइमेथोएट 30 ई.सी. या क्वीनालफॉस 25 ई.सी. 1.5 मीली दवा प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए।

जिन आम के बागों का प्रबंधन ठीक से नही होता है, वहाँ पर हापर या भुनगा कीट बहुत सख्या में हो जाते हैं , इसलिए ज़रूरी है कि सूर्य का प्रकाश बाग में ज़मीन तक पहुँचे।

पेड़ पर जब मंजर आते हैं तो ये मंजर इन कीटों के लिए बहुत ही अच्छे खाद्य पदार्थ होते हैं, जिनकी वजह से इन कीटों की संख्या में भारी वृद्धि हो जाती है।


इन कीटों की उपस्थिति की दूसरी पहचान यह है कि जब हम बाग के पास जाते है तो झुंड के झुंड कीड़े पास आते हैं । अगर इन कीटों को प्रबंन्धित न किया जाय तो ये मंजर से रस चूस लेते है और मंजर झड़ जाता है। जब प्रति बौर 10-12 भुनगा दिखाई दे तब हमें इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल.1मीली दवा प्रति 2 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करना चाहिए।

यह छिड़काव फूल खिलने से पहले करना चाहिए अन्यथा बाग में आने वाले मधुमक्खी के कीड़े प्रभावित होते हैं जिससे परागण कम होता है तथा उपज प्रभावित होती है।

पाउडरी मिल्डयू/ खर्रा रोग के प्रबंधन के लिए आवश्यक है कि मंजर आने के पहले घुलनशील गंधक 2 ग्राम / लीटर पानी मे घोलकर छिड़काव करना चाहिए। जब पूरी तरह से फल लग जाय तब इस रोग के प्रबंधन के लिए हेक्साकोनाजोल 1 मिली लीटर प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए। जब तापक्रम 35 डिग्री सेल्सियस से ज़्यादा हो जाता है तब इस रोग की उग्रता में कमी अपने आप आने लगती है।

गुम्मा व्याधि से ग्रस्त बौर को काट कर हटा देना चाहिए। बाग में अगर तना छेदक कीट या पत्ती काटने वाले घुन की समस्या हो तो क्विनालफॉस 25 ई.सी. 2 मीली दवा / लीटर पानी मे घोलकर छिड़काव करना चाहिए। लेकिन ध्यान देने योग्य बात यह है की फूल खिलने के ठीक पहले से लेकर जब फूल खिले हो उस अवस्था में कभी भी किसी भी रसायन, खासकर कीटनाशकों का छिडकाव नहीं करना चाहिए।

परागण है एक ज़रूरी प्रक्रिया

आम के फूल में एक ही फूल में नर और मादा दोनों प्रजनन अंग होते हैं। हालाँकि, आम के फूल अपेक्षाकृत छोटे होते हैं और बड़ी मात्रा में पराग का उत्पादन नहीं करते हैं। इसलिए, फूलों के बीच पराग स्थानांतरित करने के लिए वे मक्खियों, ततैया और अन्य कीड़ों पर अधिक निर्भर होते हैं।


परागण के बिना आम के फूल फल नहीं दे सकते हैं, या फल छोटा या बेडौल हो सकता है। पर-परागण से आम की पैदावार बढ़ती है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि पूर्ण ब्लूम(पूर्ण रूप से जब फूल खिले होते हैं ) चरण के दौरान कीटनाशकों और कवकनाशी का छिड़काव नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि इस समय कीटों द्वारा परागण प्रभावित होगा जिससे उपज कम हो जाएगी।

उत्पादन पर मौसम की स्थिति का असर

फूल आने के दौरान अनुकूलतम मौसम की स्थिति से सफल फल लगने की दर और पैदावार में वृद्धि होती है। उदाहरण के लिए, अत्यधिक हवा की गति के कारण फूल और फल बड़े पैमाने पर गिर जाते हैं। इस प्रकार, विंड ब्रेक या शेल्टर बेल्ट लगाकर आम के बागों को हवा से सुरक्षा प्रदान करना आवश्यक है।

सिंचाई पर रखें विशेष ध्यान

आम के पेड़ों को विशेष रूप से बढ़ते मौसम के दौरान पर्याप्त मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है। उचित जल प्रबंधन बीमारियों और कीटों को रोकने में भी मदद करता है, जो नम वातावरण में पनपते हैं।

गर्म और शुष्क जलवायु में, सिंचाई आर्द्रता के स्तर को बढ़ाने और तापमान में उतार-चढ़ाव को कम करने में मदद कर सकती है, जिससे आम की वृद्धि के लिए अधिक अनुकूल वातावरण मिलता है। ज़्यादा सिंचाई से मिट्टी का तापमान कम हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप पौधों की वृद्धि और विकास कम हो जाता है।

दूसरी ओर, अपर्याप्त पानी देने से मिट्टी का तापमान बढ़ सकता है, पौधों की जड़ों को नुकसान पहुँच सकता है और पैदावार कम हो सकती है। इस प्रकार, स्वस्थ पौधों की वृद्धि और फल उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी जल प्रबंधन आवश्यक है।

फूल निकलने के 2 से 3 महीने पहले से लेकर फल के मटर के बराबर होने के मध्य सिंचाई नहीं करना चाहिए। कुछ बागवान आम में फूल लगने और खिलने के समय सिंचाई करते है इससे फूल झड़ जाते हैं। इसलिए सलाह दी जाती है सिंचाई तब तक न करें जब तक फल मटर के बराबर न हो जाए।

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