भू-जलस्तर को ऊपर लाने का अनोखा तरीका

Neetu SinghNeetu Singh   10 July 2016 5:30 AM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
भू-जलस्तर को ऊपर लाने का अनोखा तरीकाgaonconnection

मुंहपोछा (कानपुर नगर)। पिछले दो साल में सूखे की वजह से भूजल का दोहन बढ़ा है, इस वजह से प्रदेश के ज्यादातर क्षेत्रों में भूजल का स्तर तेजी से घट रहा है। ऐसे में भूजल स्तर को बनाए रखने के लिए कई जिलों में ग्राउंड वाटर रिचार्ज बोर बनाकर वर्षा जल का संचयन करने के लिए पहल की जा रही है।

बुन्देलखण्ड ही नहीं बल्कि प्रदेश के भी हजारों गाँव आज पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं। सूखे की वजह से ये स्थिति और ज्यादा गम्भीर हो गई है। पानी की इस किल्लत से कैसे बचा जाए इस दिशा में एक सराहनीय प्रयास एक गैर सरकारी संस्था डब्लूडब्लूएफ कर रहा है। इस संस्था के माध्यम से गाँवों में ग्राउंड वाटर रिचार्ज बोर बनाए जा रहे हैं, जिससे वर्षा जल का संचयन हो सके और जल स्तर सही हो जाए। संस्था के माध्यम से शाहजहांपुर, फतेहपुर, मुरादाबाद, बरेली और कानपुर जिले के कई गाँवों में ग्राउंड वाटर रिचार्ज बोर बनाए जा रहे हैं।

कानपुर नगर जिला मुख्यालय से लगभग 25 किमी दूर पश्चिम दिशा में मुंहपोछा गाँव में पिछले कुछ साल में तेजी से जलस्तर कम हुआ है। हैंडपम्प का पानी बार-बार छोड़ देता है, तो खेत की सिंचाई करने के लिए ट्यूबवेल भी कम पानी देने लगे हैं। मुंहपोछा गाँव के रहने वाले सत्यपाल यादव (30 वर्ष) कहते हैं, “आज से आठ साल पहले तक पूरा गाँव इन्हीं कुओं से पानी भरा करता था, तब गाँव में ज्यादा नल नहीं थे और कुओं से जितना पानी भरना हो भरो कभी पानी खत्म नहीं होता था। लेकिन जब से गाँव में खूब सारे नल और सब-मर्सिबल लग गये हैं। तब से कुंओं पर लोगों ने ध्यान देना बंद कर दिया है। जगह-जगह नल लग जाने से वाटर लेवल नीचे चला गया है और पानी की समस्या से जूझना पड़ रहा है।

गैर सरकारी संस्था डब्लूडब्लूएफ के वरिष्ठ जिला समन्वयक राजेश वाजपेयी बताते हैं, “वर्षा के पानी को कैसे संचयन किया जाए, इस दिशा में कानपुर जिले के काकूपुर निहाल, दहारुद्रपुर, हरनू, सीताराम मानाताला, मुंहपोछा जैसे पांच गाँवों में ग्राउंड वाटर रिचार्ज बोर बनाए जा रहे हैं। इन गाँवों में अभी तक आठ ग्राउंड वाटर रिचार्ज बोर बन गये हैं।” वो आगे कहते हैं, “इन ग्राउंड वाटर रिचार्ज बोर बनाने का उद्देश्य ये है कि गाँव का पानी गाँव में ही रहे, बरसात का पानी इस रिचार्ज बोर से फिल्टर होकर जमीन के नीचे जाये जिससे वाटर लेवल ऊंचा बना रहे।”

गाँव वाले भी बोर बनाने में पूरी मदद कर रहे हैं। काकूपुर निहाल गाँव के गंगा नारायण शुक्ल (64 वर्ष) बताते हैं, “हम लोग इस रिचार्ज बोर बनने में पूरा सहयोग कर रहे हैं, क्योंकि ये रिचार्ज बोर बनने से आने वाले समय में पानी की किल्लत से हम ग्रामीणों को मुक्ति मिलेगी। अभी तक बरसात का पानी ऐसे ही बहकर बेकार चला जाता था।”

वाटर रिचार्ज बोर बनाने की विधि

सीमेंटेड का दो मीटर चौड़ा और दो मीटर गहरा ढाई मीटर लम्बा गढ्ढा बनाते हैं, गढ्ढे के दो भाग किये जाते हैं पहला एक मीटर का दूसरा डेढ़ मीटर का। एक मीटर वाले गढ्ढे में पानी स्टोर होता है और दूसरा गढ्ढा इससे जुड़ा हुआ होता है। दुसरे वाले गढ्ढे में अमरुद के आकार के ईट के टुकड़े तोड़कर 100 फीट तक डालते हैं फिर 26 फीट आरसीसी गिट्टी और 13 फुट मौरम डाली जाती है। इन गढ्ढ़ों को सीमेंटेड ढक्कन से ढक दिया जाता है। इसके बाद इन गढ्ढ़ों से करीब डेढ़ मीटर दूर बोरिंग करके चार इंच पीबीसी पाइप वाटर लेवल के अनुसार आधा प्लेन और आधा जालीदार लगाते है।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

 

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.