बिहार: एक रात की बारिश ने सब कुछ बर्बाद कर दिया, किसानों की लागत भी निकलना मुश्किल

बिहार में मानसून के दौरान आई बाढ़ में करीब 6.64 लाख हेक्टेयर फसल बर्बाद हुई थी जबकि 1.41 लाख हेक्टेयर खेती नहीं हो पाई थी, जिन किसानों की फसलें 4 दौर के बाढ़ में किसी तरह बच गई थीं वो 18-20 अक्टूबर को हुई बारिश में तबाह हो गईं। इन किसानों में लाखों वो किसान हैं, जिन्हें कोई मुआवजा भी नहीं मिलेगा क्योंकि वो बटाई खेती करते हैं।

Rahul JhaRahul Jha   27 Oct 2021 12:04 PM GMT

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बिहार: एक रात की बारिश ने सब कुछ बर्बाद कर दिया, किसानों की लागत भी निकलना मुश्किल

18-19 की बारिश में बिहार के सुपौल जिला की वीना पंचायत के सुरेंद्र मंडल की पूरी फसल चौपट हो गई। फोटो- राहुल झा

बिहार के सुपौल जिला के वीना पंचायत के सुरेंद्र मंडल लगभग 2 बीघा (2 एकड़ से थोड़ी कम) जमीन पर धान की खेती कर रहे हैं। 19 अक्टूबर के दोपहर तक उन्हें इस बात का भरोसा था कि धान की फसल लागत से अच्छा मुनाफा देगी। फिर एकाएक शाम 6:00 बजे से जो बारिश शुरू हुई वह 20 तारीख के सुबह 8:00 बजे तक पड़ती रही। बारिश भी ऐसी जो इस सीजन में किसी ने ना देखी हो। रात भर की बारिश ने सुरेंद्र मंडल के तैयार फसल को बर्बाद कर दिया। 14000 रुपए की लागत एक रात की बारिश में खत्म हो गया।

बटाईदार किसान की कहानी उसकी जुबानी:

वीणा पंचायत के हरिशंकर मंडल गांव कनेक्शन को बताते हैं कि "19 अक्टूबर के दिन गांव में कोजागरा (लक्ष्मी पूजा) का मेला लगता है। उस दिन सुबह से ही बूंदा-बांदी बारिश हो रही थी। 2 से 3 दिन पहले भी थोड़ी-थोड़ी बारिश हुई थी। लेकिन उस शाम 7 बजे जो घनघोर बारिश शुरू हुई वो लगभग 11 बजे तक चलती रही। फिर बूंदाबांदी सुबह तक रही। ऐसी बारिश इस वर्ष के सीजन में कभी नहीं हुई थी। इस बारिश ने हमारा पूरा धान बर्बाद कर दिया। सिर्फ हमारा नहीं बल्कि पूरे गांव का"

हरिशंकर मंडल की परेशानी ये है कि वो एक बटाईदार किसान हैं, उनके पास खुद की बिल्कुल जमीन नहीं है। बीज औऱ खाद का पूरा पैसा लगाने के बाद उन्हें आधी फसल मिलती। लेकिन अब वो भी गई।

हरीशंकर मंडल मायूसी के साथ कहते हैं, "गांव के अनिल मिश्र का तीन बीघा खेत मैं बटिया पर करता हूं। इसमें मुझे पूरा रुपए यूरिया और खाद का देना पड़ता है और सिंचाई का रुपया दोनों में आधा-आधा बटता है। तीन बीघे मे करीब 15000 औऱ अनिल मिश्रा के 7000 रुपए खर्च हुए। फसल आधी आधी बंटती लेकिन अब मुझे कुछ नहीं मिलेगा। मुआवजे की भी आस नहीं क्योंकि क्योंकि मेरे पास जमीन का कोई पेपर नहीं।"आंखों में उदासी लिए हरिशंकर मंडल अपनी कहानी के जरिए बटियादार किसान का दुख बता रहे थे।

मंडल खाद का पूरा पैसा इसलिए देते हैं ताकि उन्हें धान कटने के बाद मवेशियों के लिए पुवाल मिल जाएगी, लेकिन इस बार धान तो दूर पुवाल भी खाने लायक नहीं बचेगा।

बिहार में करीब 32 लाख हेक्टेयर में होती है धान की खेती, करीब 7 लाख हेक्टेयर फसल हुई बर्बाद

धान उत्पादन के लिए देश के शीर्ष राज्यों में से एक बिहार की कुल 79.46 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि में से लगभग 32 लाख हेक्टेयर (40 प्रतिशत से अधिक) में चावल की खेती होती है। राज्य में सालाना लगभग 80 लाख टन धान का उत्पादन होता है। बिहार के कुछ हिस्सों में धान की कटाई शुरू हुई है। लेकिन बड़े हिस्से में आने वाले 10 से 12 दिन में कटाई शुरू होती। इससे पहले बारिश ने पूरे धान को ही बर्बाद कर दिया।

18 अक्टूबर को जारी एक रिपोर्ट में बिहार सरकार ने कहा कि मानसून के दौरान चार चरणों में आई बाढ़ में 31 जिलों के 294 प्रखंडों के लगभग 79.31 लाख की आबादी प्रभावित हुई है। कृषि विभाग के हवाले दे दी गई जानकारी के मुताबिक 6.64 लाख हेक्टेयर में लगी फसल खराब हुई। प्रभावित किसानों के इनपुट आदान के भुगतान के लिए 902.08 करोड़ रुपए की स्वीकृति सरकार ने दी।

बिहार के सुपौल जिले में धान की फसल।

बाढ़ से बची फसल बारिश में गई

कोसी बांध के बगल वाला प्रखंड महिषी, जो सहरसा जिला में पड़ता है, प्रत्येक साल बाढ़ से प्रभावित रहता है। इस साल बांध दूसरी तरफ टूट जाने से गांव में बाढ़ नहीं आई।

सहरसा में महिषी प्रखंड में करीब 500 हेक्टेयर में धान की खेती हुई है। महिषी उत्तर पंचायत के रामचंद्र कुम्हार (73 वर्ष) बताते हैं,"इस बार बाढ ना आने की वजह से लोग धान की खेती बढ़िया से किए थे। धान की फसल इस बार काफी अच्छी भी थी। किसानों को इस बार की फसल देख बीते वर्ष हुए नुकसान की भरपाई की भी उम्मीद थी। लेकिन बेमौसम के इस बारिश ने किसानों के मंसूबों पर पूरी तरह पानी फेर दिया।"

वो आगे कहते हैं, "बारिश के बाद खेतों में धान की बालियां झुकी हुई थीं, और पानी की धार उसके उपर से बह रही थी। ऐसे में अब धान की उपज तो पूरी तरह नष्ट हो ही गई। लागत मूल्य भी निकालना मुश्किल हो जाएगा।"

सुपौल जिला के कुशहर पंचायत के किसान 70% धान और 30% पटसन की खेती कर अपनी रोजी-रोटी चलाते हैं। इस एक-दो दिन के बारिश का असर यह रहा कि जो धान खेत में थे वह गिर गए और जो तैयार थे, वे उठाए नहीं जा सके। सैकड़ों एकड़ में सुखाया जा रहे पटवा (पटसन) भी पानी में बह गया है।

धान के साथ-साथ सब्जी की खेती को भारी नुकसान

सुपौल के त्रिवेणीगंज प्रखंड के दीप नारायण यादव और प्रेम लाल यादव ने सब्जी और गन्ना फसल की बुआई के लिए बैंक से दो लाख रुपए लोन लिया था।

प्रेम लाल यादव गांव कनेक्शन को बताते हैं कि,"आंधी और बारिश से गन्ना लगभग बेकार हो गया है। आलू जो बोया जा चुका था, वो भी खेत में सड़ जाएगा। सब्जियों की फसलों में फूल और पत्ता गोभी, बैंगन, कुम्हड़ा और कद्दू की फसल पर भी बारिश और तेज हवाओं का काफी गहरा असर पड़ा है। सोचा था फसल उठते ही बैंक का लोन चुका देंगे लेकिन लोन तो दूर अब लागत ही निकल आए बड़ी बात है।"

वहीं सुपौल जिला के मारोना पंचायत के किसान जय कृष्ण यादव का कहना है कि, "20000 रुपए प्रति क्विंटल की दर से परवल की लती खरीद कर एक एकड़ खेती की थी सब डूब गया।"

किसानों को मुआवजे की आस

बिहार के सुपौल जिला के किशनपुर प्रखंड के सुखदेव महतो गांव कनेक्शन को बताते हैं कि, "बाढ़ की वजह से हमारे क्षेत्र के निचले हिस्से में वैसे भी खेती नहीं होती है। बाकी ऊपरी क्षेत्र में जो होती थी उसे इंद्र देवता ने ले लिया। अब प्रकृति के इस कहर के सामने अब सरकारी सहायता का ही आसरा बचा हुआ है। अगर सरकारी सहायता नहीं मिल पाई तो किसान यहां जीते जी मर जाएंगे।"

आपदा प्रबंधन विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार, साल 2010 से 2019 के बीच बाढ़ के कारण 2165.7 करोड़ रुपए की फसल का नुकसान हुआ था, जबकि अकेले इस अक्टूबर 2021 के बारिश से हुए नुकसान को हटा दिया जाए तो 998 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था। जो पिछले 10 साल के आंकड़ों का लगभग 50 प्रतिशत है। इस दो-तीन दिन के बारिश से हुए नुकसान का सरकार के तरफ से कोई आंकड़ा नहीं दिया गया है।

सुपौल जिला में कार्यरत ग्राम्यशील एनजीओ जो किसानों के लिए काम करता है उनके संस्थापक चंद्रशेखर झा के अनुसार 17 अक्टूबर से 20 अक्टूबर के बीच हुए बारिश की वजह से 30,000 से 35,000 हजार हेक्टेयर में फसल को नुकसान पहुंचने की आशंका है। जबकि जिले में करीब 86000 हेक्टेयर भूमि में धान की फसल लगाई गई है।

सरकारी महकमों का क्या कहना है

सुपौल में जिला कृषि पदाधिकारी समीर कुमार गांव कनेक्शन को सरकारी सहायता के सवाल पर बताते हैं कि, "जिले में करीब 86000 हेक्टेयर भूमि में धान की फसल लगाई गई है। इस बारिश में हुए नुकसान का आंकलन करने का सभी बीईओ एवं कृषि समन्वयक को निर्देश दे दिया गया है। सर्वे किया जा रहा है। सर्वे के बाद जो भी रिपोर्ट आएगी उसको विभाग को भेज कर आगे की प्रक्रिया की जाएगी।"


बारिश ने बीते 5 वर्ष का रिकॉर्ड तोड़ दिया

बिहार के सुपौल जिले में 19अक्टूबर यानी मंगलवार को बीते 24 घंटे के दौरान 50 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई। इससे पहले अक्टूबर 2016 में 24 घंटे में 72 पॉइंट 8 मिलीमीटर बारिश का रिकॉर्ड था।

सुपौल में भगवानपुर स्थित कृषि अनुसंधान केंद्र के मौसम वैज्ञानिक अशोक पंडित को कनेक्शन को बताते हैं कि, "बंगाल की खाड़ी में साइक्लोनिक सरकुलेशन के कारण टर्फ बना था। जो उड़ीसा होते हुए बिहार से गुजरा है इसी के परिणाम स्वरुप बारिश हुई थी।"



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