एक और प्रवासी मजदूर की घर पहुंचने से पहले रास्ते में भूख से मौत

Ajay MishraAjay Mishra   17 May 2020 1:41 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
एक और प्रवासी मजदूर की घर पहुंचने से पहले रास्ते में भूख से मौत

कन्नौज (उत्तर प्रदेश)। कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए लगाए गए देशव्यापी लॉकडाउन की की वजह से शहरों में फंसे मजदूर किसी भी तरह अपने गाँव लौटना चाहते हैं। लेकिन हर दिन बहुत से मजदूरों की मौत घर पहुंचने से पहले हो जा रहर है।

उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के सैतियापुर गाँव के विक्रम (60 वर्ष) भी किसी तरह अपने घर पहुंचना चाहते थे, लेकिन उन्हें क्या पता था कि वो नहीं उनकी लाश घर पहुंचेगी। विक्रम मुंबई में रहकर दिहाड़ी मजदूरी करते थे, लॉकडाउन के चलते उसको वहां पर काम नहीं मिल रहा था। जब वहां गुजारा करने का कोई रास्ता नहीं बचा तो वह अपने कुछ साथियों के साथ 14 मई को ट्रक से मुंबई से हरदोई के लिए निकल पड़े।


शनिवार की रात तीन बजे विक्रम व उसके साथियों को ट्रक ड्राइवर ने कन्नौज में जीटी रोड पर मेंहदीघाट मोड़ के पास उतार दिया। कोई सवारी न मिलने पर सभी लोग पैदल ही कन्नौज से हरदोई के लिए निकल पड़े। इस दौरान सभी साथी धीरे-धीरे कर आगे निकल गए। लेकिन विक्रम वाणिज्यकर भवन के पास थक कर बैठ गए, जहां पर उनकी मौत हो गई।

कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए लगाये गये देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से देश में प्रतिदिन 10 से ज्यादा लोगों की मौत हो रही है। 51 दिनों में (14 मई तक) अब तक 516 लोगों की जान चुकी है। इसमें पैदल जा रहे मजदूरों की संख्या सबसे ज्यादा है। पिछले तीन दिन में (14 से 16 मई के बीच) देश के अलग-अलग हिस्सों में हुई सड़क दुर्घटनाओं में 50 से ज्यादा मजदूरों की जान जा चुकी है।

भांजे के साथ वापस घर जा रहा था बुजुर्ग

बताया जा रहा है कि मृतक अपने भांजे नरेंद्र के साथ मुंबई में दिहाड़ी मजदूरी का काम करता था। लेकिन भांजे ने भी थककर मामा के बैठ जाने के बाद उसकी सुध नहीं ली। सभी लोग उसको रास्ते में बैठा छोड़कर घर चले गए थे।


फोन करने पर परिजनों को हुई हादसे की जानकारी

रविवार की सुबह जब सभी लोग अपने-अपने घर पहुंच गए तो विक्रम के परिजनों को चिंता हुई। इस पर वापस आए लोगों से जब उसके बारे जानकारी ली तो बताया कि वह थककर कन्नौज में ही बैठ गए। इस पर परिजनों ने फोन कर हाल चाल जाना तो किसी राहगीर ने फोन रिसीव कर मौत होने की जानकारी दी। सूचना मिलते ही मृतक का भाई रामकुमार व अन्य लोग मौके पर पहुंच गए।

कौन थे मृतक के साथ नहीं हुई जानकारी, प्रशासन की सतर्कता पर सवाल

मुम्बई से कन्नौज तक का सफर उसके बाद हरदोई जा रहे प्रवासी मजदूरों का हुजूम यहां पर बिना जांच कराए ही अपने-अपने घरों के लिए चले गए। मृतक के साथ कौन-कौन साथ आया था इसका अभी तक कोई पता नहीं चल सका है। मजदूर की मौत से प्रशासन की ओर से बरती जा सतर्कता पर भी सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं।

बिस्कुट और पानी के सहारे तय किया था मुम्बई से कन्नौज तक का सफर

सदर एसडीएम शैलेष कुमार ने बताया कि वह 14 मई को अपने साथियों के साथ ट्रक से हरदोई के लिए मुम्बई से चला था। रास्ते में वह बिस्कुट और पानी के सहारे ही सफर करता रहा। अभी तक किसी बीमारी की बात सामने नहीं आई है। मामले की जांच की जा रही है। कोरोना की जांच के लिए सैंपल ले लिया गया है।

ये भी पढ़ें: लॉकडाउन की वजह से देश में प्रतिदिन हो रही 10 से ज्यादा मौतें, पैदल घर जा रहे मजदूरों की संख्या सबसे ज्यादा

ये भी पढ़ें: औरैया सड़क हादसा : पांच दिन के बच्चे ने अपना पिता तो एक माँ ने अपना सहारा खोया, एक बदहवास पिता उधारी लेकर बेटे को ढूढने निकल पड़ा

    

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.