इस लड़की ने अकेले फाइटर प्लेन उड़ाकर रच दिया इतिहास
गाँव कनेक्शन 22 Feb 2018 6:31 PM GMT
इंडियन एयरफोर्स की फ्लाइंग ऑफिसर अवनी चतुर्वेदी ने लड़ाकू विमान को अकेले उड़ाकर इतिहास रच दिया। इसी के साथ अवनी विमान उड़ाने वाली देश की पहली महिला फाइटर पायलट बन गई हैं। अवनी ने गुजरात के जामनगर में अपनी पहली ट्रेनिंग में अकेले मिग-21 बाइसन फाइटर प्लेन उड़ाया।
अवनी रीवा जिले से है जो मध्य प्रदेश में है। 18 जून 2016 को महिला फाइटर पायलट बनने के लिए पहली बार तीन महिलाओं अवनि चतुर्वेदी, मोहना सिंह और भावना कांत को वायुसेना में शामिल किया गया था।
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अवनी ने हैदराबाद की वायु सेना अकादमी से पढ़ाई की है। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा दियोलैंड से की जो कि मध्य प्रदेश के शहडोल जिले में स्थित एक छोटा सा शहर है। साल 2014 में राजस्थान के वनस्थली यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर साइंस में बीटेक किया है। जिसके बाद उन्होंने भारतीय वायु सेना की परीक्षा पास की।
अवनि की खुशखबरी के बाद अब थोड़ी जानकारी भारत की महिला पायलटों के बारे में हो जाए, क्या आपको पता है कि दुनिया में सबसे ज्यादा महिला पायलट भारत में हैं। आइए जानते हैं अलग-अलग क्षेत्रों में भारत की पहली पायलटों के बारे में :
भारत की पहली महिला पायलट सरला ठकराल
सरला ठकराल (1914-2008) हवाई जहाज उड़ाने वाली भारत की पहली महिला हैं । सरला के पति भी पायलट थे। उनके पति के परिवार में नौ पायलट पहले से ही थे और शायद यहीं से सरला को पायलट बनने की प्रेरणा मिली| सरला को 1936 में 21 वर्ष की उम्र में विमान पायलट लाइसेंस मिला। जब पहली बार सरला ने अकेले जिप्सी मॉथ उड़ाया, उस वक़्त वह चार साल की एक बच्ची की माँ थी| लाइसेंस मिलने के बाद सरला ने लाहौर फ्लाइंग क्लब के विमान से एक हज़ार घण्टे की उड़ान पूरी की। सरला कमर्शल पायलट बनना चाहती थीं लेकिन अफसोस एक एयर क्रैश में उनके पति की मृत्यु हो गई और उनका सपना अधूरा रह गया। बंटवारे के बाद सरला भारत आईं और पेंटिंग व कपड़े और जूलरी डिजाइन करने लगीं। 2008 में उनकी मौत हो गई।
भारत की पहली महिला कॉमर्शियल पायलट दूर्बा बनर्जी
दूर्बा बनर्जी 1966 में इंडियन एयरलाइन्स से जुड़ने के बाद भारत की पहली महिला कमर्शियल पायलट बनीं। दूर्बा बचपन से की पायलट बनना चाहती थीं। 1959 में एयर सर्वे ऑफ़ इंडिया के साथ डकोटा प्लेन उड़ाकर अपने करियर की पहली उड़ान भरी| इसके बाद 1966 में कलकत्ता आकर उन्होंने इंडियन एयरलाइन्स में काम शुरू किया और नवंबर 1988 में रिटायर हो गईं। 18,500 घंटे की उड़ान के साथ सबसे ज़्यादा देर की उड़ान का रिकॉर्ड भी दूर्बा के नाम ही है।
भारतीय वायुसेना में पहली महिला पायलट हरिता कौर देओल
2 सितम्बर 1994 को अकेले Avro HS-748 उड़ाकर फ्लाइट लेफ्टिनेन्ट हरिता कौर देओल ने 22 साल की उम्र में भारतीय वायुसेना में पहली महिला पायलट बनी। चंडीगढ़ के सिख परिवार से आने वाली हरिता कौर 1993 में भारतीय वायुसेना में चुनी गईं, वह पहली सात महिला कैडेट्स में एक थी। शुरूआती दौर की ट्रेनिंग एयर फ़ोर्स एकडेमी डुंडीगल से पूरी करने के बाद उन्होंने येहलांका एयर फ़ोर्स स्टेशन से ट्रेनिंग ली। अफसोस 24 सितबर 1994 को नेल्लोर के पास हुए एक विमान हादसे में हरिता की जान चली गई।
भारतीय नौसेना में पहली महिला पायलट शुभांगी स्वरुप
हालाँकि भारतीय नौसेना में बहुत पहले से महिलाएं एयर ट्रैफिक कंट्रोलर जैसे तकनीकी पद संभालती आ रही हैं पर बतौर पायलट शुभांगी स्वरुप पहली महिला अधिकारी हैं। एक नेवल कमांडर की बेटी होते हुए भी नौसेना में पायलट बनना शुभांगी के लिए एक सपने के सच होने जैसा था। नवंबर 2017 में शुभांगी के साथ आस्था सहगल, रूपा और शक्ति माया ने भी ऐज़ीमाला नेवल एकडेमी से अपना कोर्स सफलतापूर्वक पूरा किया है। अब ये एयर फ़ोर्स एकडेमी हैदराबाद से पायलट ट्रेनिंग लेने के बाद नौसेना की पहली महिला पायलट होने का रिकॉर्ड अपने नाम करेंगी।
युद्धक्षेत्र में उड़ान भरने वाली पहली भारतीय महिला पायलट गुंजन, श्रीविद्या
गुंजन सक्सेना, श्रीविद्या राजन के साथ भारतीय वायुसेना के पहले प्रशिक्षु महिला पायलट बैच की पच्चीस महिलाओं में से एक थी। हालाँकि भारतीय वायुसेना ने इनको बतौर फाइटर पायलट नहीं शामिल किया था पर 1999 के कारगिल युद्ध में इन ट्रेनी महिला पायलट्स की ज़रूरत आन पड़ी। तब गुंजन सक्सेना और श्रीविद्या राजन को पहाड़ियों के बीच द्रास व बटालिक सेक्टर में अपने छोटे चीता हेलीकॉप्टर्स में उड़ान भरकर घायल सैनिकों को बचाने और वहां ज़रूरी सामान पहुँचाने का मौका मिला। अपनी इस बहादुरी की वजह से फ्लाइट अफसर गुंजन सक्सेना वह पहली महिला बनी जिसको शौर्य वीर पुरस्कार मिला।
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