व्यापम घोटाला: ढाई बजे रात तक चली सुनवाई,सामने आए ये बड़े नाम  

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व्यापम घोटाला: ढाई बजे रात तक चली सुनवाई,सामने आए ये बड़े नाम  मध्यप्रदेश व्यापम की बिल्डिंग

लखनऊ। व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) घोटाले की जांच कर रही केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत में गुरुवार को चार्जशीट दाखिल करने के बाद कार्यवाही देर रात ढाई बजे चली। सीबीआई ने यहां प्री मेडिकल टेस्ट (पीएमटी 2012) में अनियमितताओं के सिलसिले में 592 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की है। इस दौरान निजी मेडिकल कालेज के संचालकों समेत 30 आरोपियों की अग्रिम जमानत की याचिका खारिज कर दी गई।

विशेष न्यायाधीश डी पी मिश्रा की अदालत में जिन आरोपियों की अग्रिम जमानत की याचिका खारिज की गयी है, अब उनके समक्ष हाईकोर्ट जाने का विकल्प खुला है। इन आरोपियों में निजी मेडिकल कालेज संचालक डॉ अजय गोयनका, सुरेश एन विजयवगीर्य, कैप्टन अंबरीश शर्मा, डॉ डी के सत्पथी, डॉ विजय कुमार पांडे और अन्य लोग शामिल हैं। हांलाकि अदालत ने उसके समक्ष पेश हुए पंद्रह आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिका स्वीकार कर ली।

रात तक चली सुनवाई

भोपाल के इतिहास में पहली बार सुबह 10:30 बजे शुरू हुई अदालत देर रात चली। इस दौरान अदालत ने चिरायु मेडिकल कालेज के डायरेक्टर अजय गोयनका, पीपुल्स ग्रुप के चेयरमैन एसएन विजयवर्गीय सहित 30 आरोपियों की अग्रिम जमानत खारिज कर दी। मामले में सीबीआई ने जुलाई 2015 में केस पंजीबद्ध किया था।

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क्या है आरोप

इन निजी मेडिकल कॉलेजों पर आरोप है कि इन्होंने व्यापम अधिकारियों और बिचौलियों की मिलीभगत से राज्य सरकार के कोटे की सीटों की भी सेंधमारी की और कुल 292 ऐसे व्यक्तियों को प्रवेश दिया, जो पीएमटी परीक्षा में शामिल भी नहीं हुए थे। ये सीटें 50 लाख से एक करोड़ रुपये में बेची गयीं। जांच एजेंसी ने ऐसे 292 व्यक्तियों के नामांकन में हेराफेरी का मामला राज्य सरकार को आवश्यक कार्रवाई के लिए भेजने का फैसला किया है।

245 आरोपियों के नाम पहली बार शामिल

आरोपपत्र में 245 आरोपियों के नाम पहली बार शामिल किए गए हैं। पीएमटी 2012 घोटाला मामले में अब तक कुल मिलाकर 22 बिचौलियों, 46 परीक्षा निरीक्षकों, चिकित्सा शिक्षा विभाग के दो अधिकारियों और चार निजी मेडिकल कॉलेजों के 26 पदाधिकारियों के नाम सीबीआई के आरोपपत्र में शामिल किए जा चुके हैं।

काउंसलिंग के दौरान भरी हुई दिखती थी सीट

जांच में पाया गया कि डीएमई और निजी मेडिकल कॉलेजों की मिलीभगत रही। 10 जून 2012 को पीएमटी की जो परीक्षा हुई थी, उसमें काउंसलिंग के दौरान बिचौलियों ने सॉल्वर्स को चार निजी मेडिकल कॉलेजों में ही प्रवेश लेने के लिए प्रोत्साहित किया। निजी कॉलेज में सीट आवंटित कराने के बाद सॉल्वर्स उनमें प्रवेश नहीं लेते थे, लेकिन ये सभी चार निजी कॉलेज प्रबंधन डीएमई को सीटों पर प्रवेश की झूठी सूचना देते थे। इससे राज्य के कोटे की सीटें काउसिंलिंग में भरी दिखती थीं। इससे प्रतीक्षा सूची के परीक्षार्थियों को प्रवेश नहीं मिलता था। बदले में बिचौलिए उन सॉल्वर्स को पैसे देते थे, जिनके द्वारा निजी मेडिकल कॉलेज की सीट खाली की जाती थी।

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बिना प्रक्रिया के दिए एडमिशन

सॉल्वर्स की खाली सीटें 28 से 30 सितंबर 2012 को इन चारों मेडिकल कॉलेजों ने पूरी प्रक्रिया को अपनाए बिना भर दीं। इस प्रवेश में इन मेडिकल कॉलेजों उन लोगों को एडमिशन दे दिया, जिन्होंने पीएमटी दी ही नहीं थी।

भौतिक सत्यापन किया ही नहीं

डीएमई की ओर से कभी भी इन चार निजी कॉलेजों में हो रही गड़बड़ी को रोकने के लिए एडमिशन का भौतिक परीक्षण नहीं किया गया। कॉलेजों द्वारा दी जा रही गलत जानकारी की पुष्टि भी नहीं की गई। उल्टा इस गलत तरीके से प्रवेश पाने वाले छात्रों का यूनिवर्सिटी में चिकित्सा शिक्षा संचालनालय ने नामांकन भी करा दिया।

कौन-कौन आरोपी

  • व्यापमं के चार पूर्व अधिकारी।
  • चिकित्सा शिक्षा विभाग के दो पूर्व अधिकारी जिसमें एक पूर्व संचालक भी है।
  • तीन साजिशकर्ता।
  • 22 बिचौलए।
  • 334 सॉल्वर्स और जिन्हें गिरोह से फायदा हुआ।
  • 155 फायदा लेने वाले उम्मीदवारों के अभिभावक।
  • 46 परीक्षा पर्यवेक्षक।
  • 26 आरोपियों में चार निजी मेडिकल कॉलेज के चेयरमेन और अधिकारी।

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