बिहार बाढ़ 2021: सर्वे में शामिल 90% लोगों के पास न तो पीने का साफ पानी है और न ही खाने के लिए पर्याप्त खाना, आधे से ज्यादा शौचालय क्षतिग्रस्त

बिहार के तीन सबसे अधिक बाढ़ प्रभावित जिलों पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण और मुजफ्फरपुर में एक संयुक्त रैपिड नीड्स असेसमेंट सर्वे किया गया। इसमें पता चला कि घर टूट गए हैं, शौचालय पानी में बह गए हैं, भूख बढ़ रही है, फसलें बर्बाद हो गई हैं, मवेशी मारे गए हैं और बाढ़ के अन्य प्रभाव राज्य के 15 जिलों पर भी दिख रहे हैं।

Nidhi JamwalNidhi Jamwal   17 July 2021 12:30 PM GMT

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बिहार बाढ़ 2021: सर्वे में शामिल 90% लोगों के पास न तो पीने का साफ पानी है और न ही खाने के लिए पर्याप्त खाना, आधे से ज्यादा शौचालय क्षतिग्रस्त

बिहार में कई जिले बाढ़ की चपेट में हैं। इसकी वजह से लोगों को बुनियादी जरूरतों के लिए जूझना पड़ रहा। (फोटो- अरेंजमेंट)

बिहार के 15 जिलों में कम से कम आठ लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हैं और आठ से ज्यादा लोग पहले ही जान गंवा चुके हैं। पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण और मुजफ्फरपुर जिले बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं, जहां लाखों लोग अपना घर छोड़ कहीं और रहने के लिए मजबूर हैं। पिछले कई दिनों से राज्य में उफान पर चल रही नदियों के बढ़ते पानी से बचने के लिए वे ऊंचाई पर स्थित सड़कों या फिर तटबंधों पर रह रहे हैं।

जून 2021 के मध्य से राज्य बाढ़ का सामना कर रहा है, जिसमें भारत-नेपाल सीमा से लगे गांवों में अचानक आई बाढ़ भी शामिल है। हालांकि जमीनी स्तर पर वहां कैसी स्थिति है, इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है और सरकारी अधिकारियों ने भी बाढ़ प्रभावित आबादी के आधिकारिक आंकड़े साझा नहीं किए है।

अभी हाल ही में राज्य के बाढ़ग्रस्त गांवों में एक रैपिड असेसमेंट सर्वेक्षण किया गया जो स्थानीय लोगों पर बाढ़ के प्रभावों के बारे में बताता है। यह सर्वेक्षण बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित तीन जिलों पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण और मुजफ्फरपुर में किया गया था। इसमें 27 गावों के 318 घरों, छह अस्पतालों, दस स्कूलों और पांच राहत शिविरों को शामिल किया गया।

सर्वे रिपोर्ट 'ज्वाइंट रैपिड् नीड्स असेसमेंटः बिहार बाढ़ 2021' को बिहार इंटर एजेंसी ग्रुप और स्फीयर इंडिया ने 13 जुलाई को संयुक्त रूप से जारी किया।

रैपिड् नीड्स असेसमेंट के मुख्य निष्कर्ष

सर्वे रिपोर्ट में पाया गया कि इन इलाकों में पीने के साफ पानी की किल्लत सबसे बड़ी चिंता है, क्योंकि सर्वे में शामिल 90 प्रतिशत लोगों के पास पीने का साफ पानी नहीं है।

सर्वे में शामिल आधे से ज्यादा लोगों ने बताया कि उनके इलाके के शौचालय क्षतिग्रस्त हो चुके हैं और 33.5 प्रतिशत ने निजी स्नानघर ना होने की बात कही।

बाढ़ की वजह से कोविड टीकाकरण में भी दिक्कतें आ रही हैं। (फोटो- अरेंजमेंट)

बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में खुले में शौच करने के मामले बढ़े हैं। सर्वेक्षणकर्ताओं ने पाया कि जिन गांवों में सर्वे किया गया वहां बाढ़ से 2,000 से ज्यादा शौचालय क्षतिग्रस्त हो गए जिसमें से 1448 तो इस्तेमाल लायक ही नहीं रहे।

सर्वेक्षण के अनुसार, सर्वे में शामिल लोगों में से 65 प्रतिशत मुजफ्फरपुर में ऊंचाई पर बनी सड़कों या तटबंध पर रह रहे हैं और पूर्वी चंपारण के भी 12 प्रतिशत लोग भी ऐसे ही हालात में रह रहे हैं।

इसके अलावा पूर्वी चंपारण में सर्वे में शामिल आधे से ज्यादा लोगों के घर या तो जलमग्न हो गए या पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं। मुजफ्फरपुर में सर्वे में शामिल 70 प्रतिशत लोगों के घर पूरी तरह से बाढ़ के पानी में डूब गए थे और पश्चिम चंपारण में 70 प्रतिशत लोगों के घर पूरी तरह क्षतिग्रस्त थे जिन्हें फिर से बनाए जाने की जरूरत है।

स्वास्थ्य और शिक्षा संकट

सर्वेक्षण में शामिल 340 लोगों में से 22 प्रतिशत ने बताया कि वे या तो खुद या फिर उनके परिवार के सदस्य सेहत से जुड़ी समस्याओं का सामना कर रहे हैं। इनमें लगभग 76 प्रतिशत लोग संक्रामक रोगों से जूझ रहे हैं जबकि नौ प्रतिशत ने कोरोना पॉजिटिव होने की बात कही।

महिलाएं और किशोरियां बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित लोगों में शामिल हैं। रैपिड असेसमेंट रिपोर्ट के अनुसार, "76 प्रतिशत व्यस्क महिलाओं और किशोरियों के पास मासिक धर्म के दौरान इस्तेमाल किए जाने वाले पैड या अन्य चीजें उपलब्ध नहीं थी और सर्वे में शामिल 54 प्रतिशत महिलाओं और किशरियों ने बताया कि इस्तेमाल हो चुके पैड या कपड़ों को फेंकने के लिए कोई जगह नहीं बची है और उन्हें खुले में ही फेंकना पड़ रहा है।"

सर्वे में शामिल लगभग आधे लोगों ने शिकायत की कि उनके इलाके में कचरे के निबटारे के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। आमतौर पर कचरे को या तो सड़क पर फेंक दिया जाता है या फिर उसे जला दिया जाता है।

सर्वे में पाया गया कि कोविड-19 महामारी के चलते पढ़ाई रुक जाना बाढ़ प्रभावित इलाकों में लोगों की एक बड़ी चिंता है। लगभग 22 प्रतिशत लोगों ने माना कि स्कूल उनकी पहुंच से दूर हो चुके हैं जबकि 27 प्रतिशत ने बताया कि बिजली ना होने से ऑनलाइन कक्षाएं नहीं हो पा रही हैं। अन्य 27 प्रतिशत ने बाढ़ के कारण स्कूलों में बुनियादी ढांचे के नुकसान की बात कही।

पोषण और रोजगार की कमी

रैपिड सर्वेक्षण से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में भोजन की उपलब्धता एक बड़ी चिंता थी। सर्वे में शामिल आधे से थोड़े से ज्यादा- 53 प्रतिशत- लोगों के पास अनाज का भंडारण नहीं था। 78 प्रतिशत लोग सब्जी और खाद्य पदार्थ नहीं खरीद पा रहे थे।

सर्वे में शामिल लगभग 85 प्रतिशत लोगों के अनुसार बाढ़ ग्रस्त इलाकों में पर्याप्त भोजन नहीं मिल पाना उनकी सबसे बड़ी चिंता थी। 60.4 प्रतिशत घरों में खाना पकाने के लिए जरूरी बर्तन तक नहीं थे। 95 प्रतिशत से ज्यादा लोगों ने बताया कि उन्हें फिलहाल सबसे ज्यादा जरूरत खाने की है, जिसकी व्यवस्था की जानी चाहिए।

लगभग 90 प्रतिशत परिवारों ने फसलों के नष्ट होने से खेती की जमीन को नुकसान पहुंचने की बात कही। वहीं बाढ़ ने 26 प्रतिशत लोगों के मवेशियों को नुकसान पहुंचाया।

बिहार बाढ़ 2021

इस साल राज्य के कई जिले बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। दरभंगा जिले में करीब एक पखवाड़े से बागमती, गेहुमी और कमला नदियां उफान पर हैं। अधिकारियों ने बताया कि जिले के छह ब्लॉक के 79 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं और 58,000 की आबादी पर इसका असर पड़ा है।

भारी वर्षा के कारण गंडक नदी का जलस्तर बढ़ने से पूर्वी चंपारण जिले में अचानक से कई बार बाढ़ आई। जिले में अब तक 52 गांवों के कम से कम 45,061 निवासी बाढ़ से प्रभावित हुए हैं।

इस बार दक्षिण पश्चिम मॉनसून के कारण बिहार में भारी बारिश हुई है। इस साल एक जून से दस जुलाई के बीच राज्य में 69 फीसदी 'भारी' हुई है। सामान्य से 46 प्रतिशत अधिक बारिश होने के कारण, राज्य को 15 जुलाई तक अधिक वर्षा श्रेणी में रखा गया, जैसा कि भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़ों में दर्शाया गया है।

इसके अलावा इस बार के मॉनसून में एक जून से 15 जुलाई तक पश्चिम चंपारण जिले में सामान्य से 194 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है। दरभंगा में 111 फीसदी, मधुबनी में 78 फीसदी, सुपौल में 73 फीसदी, सीवान में 71 फीसदी, सारण में 77 फीसदी, वैशाली में 64 फीसदी, समस्तीपुर में 77 फीसदी और भउआ में 70 फीसदी सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गई है।

इनमें से कई जिले बाढ़ का सामना कर रहे हैं।

रिपोर्ट की सिफारिशें

सर्वे और बाढ़ प्रभावित लोगों के साथ विस्तृत बातचीत के आधार पर रैपिड अससमेंट रिपोर्ट में तत्काल, मध्य अवधि और दीर्घकालिक सिफारिशें दी गई है। बाढ़ प्रभावित लोगों तक पीने का साफ पानी पहुंचाने के लिए तुरंत कदम उठाने की जरूरत है।

रिपोर्ट में कहा गया है, "प्रभावित गांव में टैंकरों के माध्यम से तुरंत पानी की आपूर्ति की जानी चाहिए। लोगों को पूरी जानकारी के साथ क्लोरीन की गोलियां या ड्रॉप उपलब्ध कराई जाए ताकि कुछ समय के लिए पीने योग्य पानी की उपलब्धता बढ़ाई जा सके।" यह रिपोर्ट टूटे या काम नहीं कर रहे हैंडपंप और ट्यूबवेल आदि को तत्काल ठीक करने का सुझाव भी देती है।

चंपारण में आई बाढ़ की वजह से लोगों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है। (फोटो- अरेंजमेंट)

रिपोर्ट में तुरंत अस्थायी या मोबाइल शौचालय की व्यव्स्था करने की सिफारिश की गई है। और सुझाव दिया गया है कि पंचायत को रात में रोशनी और पर्याप्त पानी की व्यवस्था के साथ-साथ इन सुविधाओं की सफाई और रख रखाव की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। इसमें कोविड-19 के दिशानिर्देशों को ध्यान में रखते हुए मलबे, फसल के कचरे, पशुओं के शव और अन्य खतरनाक कचरे को साफ कराए जाने का सुझाव भी दिया गया है।

रिपोर्ट के लेखक यह भी मांग करते हैं कि स्वास्थ्य केंद्र सही ढंग से काम करते रहें, इसका ध्यान रखा जाए, क्योंकि महामारी के दौर में यहां बीमारियां फैलने की संभावना अधिक है। असेसमेंट रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि नियमित टीकाकरण और आउटपेशेंट परामर्श जैसी सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित की जानी चाहिए। दूर दराज के क्षेत्रों में घूम-घूम कर स्वास्थ्य सेवाएं देने वाली मोबाइल वैन सुविधा उपलब्ध करानी चाहिए।

अनुवाद: शंघप्रिया मौर्य

इस खबर को अंग्रेजी में यहां पढ़ें-

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