बजट 2021-22 : स्वास्थ्य बजट में 137% की बढ़ोत्तरी का सच क्या है?

आम बजट 2021-22 में इस बार केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में 137 फीसदी बढ़ोत्तरी की घोषणा की है, मगर बजट के दस्तावेज बताते हैं कि पिछले साल के बजट की तुलना में स्वास्थ्य बजट में 9.5 प्रतिशत की कमी आई है।

Kushal MishraKushal Mishra   3 Feb 2021 4:47 AM GMT

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बजट 2021-22 : स्वास्थ्य बजट में 137% की बढ़ोत्तरी का सच क्या है?आम बजट 2021-22 में केंद्रीय वित्त मंत्री ने स्वास्थ्य और कल्याण के लिए 137 फीसदी बढ़ोत्तरी का किया ऐलान। फोटो : गाँव कनेक्शन

आम बजट में स्वास्थ्य के लिए आवंटन की घोषणा करते हुए वित्त मंत्री ने ऐलान किया कि इस बार स्वास्थ्य और कल्याण के बजट में 137 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की गई है। गांव कनेक्शन ने जब स्वास्थ्य के बजट की पड़ताल की तो पाया कि असल में स्वास्थ्य के आवंटन में अगले वित्त वर्ष के लिए 7,843 करोड़ रुपए की कमी आई है।

कोरोना वायरस महामारी के बीच पेश हो रहे इस बजट से उम्मीद थी कि इस बार स्वास्थ्य को बड़ी राशि का आवंटन होगा। स्वास्थ्य के लिए आवंटन करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसका इशारा भी किया। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य और कल्याण के बजट में पिछले साल की तुलना में 137 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की गई है। लेकिन जब गांव कनेक्शन ने बजट के दस्तावेज़ देखे तो पाया कि असल में तो पिछले साल की तुलना में स्वास्थ्य के बजट में 9.5 प्रतिशत की कमी आई है।

तो फिर वित्त मंत्री ने 137 प्रतिशत की जिस बढ़ोत्तरी का ऐलान किया वो कहां है? दरअसल वित्त मंत्री ने स्वास्थ्य के बजट का जब ऐलान किया तो उन्होंने सिर्फ़ स्वास्थ्य नहीं कहा बल्कि इसके साथ कल्याण का बजट भी शामिल कर लिया। ये जो 137 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की बात कही गई है इसमें पेयजल, स्वच्छता, पोषण, यहां तक कि राज्यों को दी जाने वाली फ़ाइनेंस कमीशन ग्रांट को भी इसमें शामिल कर लिया गया है। इसके अलावा 64,180 करोड़ रुपए की जिस प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना की बात बजट भाषण में ज़ोर-शोर से की गई थी बजट दस्तावेज़ों में उसके लिए कोई राशि आवंटित नहीं की गई है।

बजट दस्तावेज़ों के अनुसार इस साल आम बजट में स्वास्थ्य के लिए कुल 74,602 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। पिछले साल आम बजट में स्वास्थ्य के लिए 67,484 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे, जिसे संशोधित बजट में बढ़ाकर 82,445 करोड़ रुपए कर दिया गया था। चूंकि संशोधित अनुमान आने के बाद उसे ही बजट माना जाता है, इसलिए उससे तुलना करने पर इस साल के स्वास्थ्य बजट में 7,843 करोड़ की कमी आई है। संशोधित अनुमानों की तुलना में यह कमी 9.5 प्रतिशत है।

प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना के तहत प्राथमिक, द्वितीय और तृतीय देखभाल स्वास्थ्य प्रणालियों की क्षमताओं को विकसित किया जाना है। इसके तहत 17,788 ग्रामीण और 11,024 शहरी स्वास्थ्य और वैलनेस केंद्रों को मजबूत किया जाएगा। साथ ही देश के 602 जिलों और 12 केंद्रीय संस्थानों में क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल ब्लॉक स्थापित करना शामिल है, लेकिन इस बजट में इसके लिए कोई राशि आवंटित नहीं की गई है।

बजट 2021-22 में कोविड-19 वैक्सीन के लिए 35,000 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि जरूरत पड़ने पर इस आवंटित धनराशि को और बढ़ाया जा सकता है। हालांकि अब तक भारत में दो कोरोना के टीकों के साथ टीकाकरण अभियान शुरू हो चुका है। ऐसे में इस धनराशि को कैसे वितरित किया जाएगा और क्या समय सीमा होगी, इस बारे में फिलहाल जानकारी नहीं दी गयी है।

देश के कई जन स्वास्थ्य अभियानों से जुड़े और जाने-माने जन स्वास्थ्य कार्यकर्ता, रवि दुग्गल वित्त मंत्री की 137 फीसदी की बढ़ोत्तरी की घोषणा को आंकड़ों की बाजीगरी करार देते हैं।

रवि दुग्गल ने 'गाँव कनेक्शन' से कहा, "वास्तव में स्वास्थ्य और कल्याण के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री ने 2.23 लाख करोड़ रुपए का ऐलान बजट में किया है, मगर इसमें स्वास्थ्य के अलावा जल आपूर्ति, स्वच्छता और पोषण के लिए भी धनराशि आवंटित की गयी है और यह मूल स्वास्थ्य बजट से अलग है। भले ही सरकार पीएम आत्मनिर्भर स्वस्थ योजना को शुरू करेगी, मगर स्वास्थ्य बजट में इसके लिए कोई प्रावधान नहीं है।"

स्वास्थ्य और कल्याण के लिए 2,23,846 करोड़ का किया गया ऐलान।

बजट में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के लिए 71,268 करोड़, स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के लिए 2,663 करोड़ रुपए और आयुष के लिए 2,970 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। कोरोना महामारी के प्रभाव को लेकर स्वास्थ्य अनुसंधान की राशि इस साल बढ़ाई गई है, पिछले साल ये 2,100 करोड़ रुपए थी।

जन स्वास्थ्य अभियान से जुड़े अमूल्य निधि 'गाँव कनेक्शन' से बताते हैं, "पहली बात यह समझने की है कि बजट एक साल के लिए आता है और जिस तरह से स्वास्थ्य क्षेत्र में 137 फीसदी की बात कही गयी है, उससे तो लगता है कि यह आवंटित धनराशि एक साल में ही खर्च कर देंगे, मगर ऐसा नहीं है। छह वर्षों में यह राशि खर्च की जानी है और कैसे की जाएगी, इस बारे में भी नहीं बताया गया है। सिर्फ बढ़ा-चढ़ा कर आंकड़े पेश किये गए हैं।"

"दूसरी बात यह है कि स्वास्थ्य में 2.23 लाख करोड़ रुपयों में पेयजल, स्वच्छता और टीकाकरण को भी जोड़ा गया है, जबकि ये अलग होने चाहिए थे क्योंकि जब बीमारी और इलाज की बात आती है तो स्वास्थ्य बजट पर ज़ोर देना जरूरी था, आम जनता को उम्मीद होती है कि उसे बेहतर इलाज मिले, अस्पतालों में डॉक्टर उपलब्ध हों, ऐसे में स्वास्थ्य बजट को बढ़ाया जाना चाहिए था।"

इससे पहले 29 जनवरी को संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण-2020-21 में स्वास्थ्य सेवाओं पर सार्वजनिक ख़र्च को जीडीपी के 1 प्रतिशत से बढ़ाकर 2.5-3 प्रतिशत करने की सिफारिश की गई थी। मगर आम बजट में स्वास्थ्य के लिए दिए गए बजट पर स्वास्थ्य विशेषज्ञ सवाल उठा रहे हैं। फिलहाल इस आम बजट में ग़ौर करें तो आयुष मंत्रालय का बजट 2,970 करोड़ रुपए है जो पिछले वर्ष के 1,784 करोड़ रुपये से 66 फीसदी ज्यादा है। इसके अलावा आयुष्मान भारत प्रधान मंत्री जन आरोग्य योजना का आवंटन 6,400 करोड़ रुपए ही है। जबकि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के लिए 37,130 करोड़ रुपये आवंटित किये गए हैं जो पिछले साल से 1,576 करोड़ ज्यादा है।

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