जानिए गूगल डूडल में ऐसी बालिका वधू को जो बनी देश की पहली महिला डॉक्टर
Astha Singh 22 Nov 2017 11:37 AM GMT
लखनऊ। ब्रिटिश भारत की पहली महिला डॉक्टरों में से रहीं डॉ. रखमाबाई का आज 153वां जन्मदिन है। इस मौके पर गूगल ने डूडल बनाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है। गूगल ने डॉ. रखमाबाई और उनके पीछे अस्पताल का चित्रण कर उन्हें ये सम्मान दिया है। रखमाबाई ने महिलाओं के लिए भी लंबी लड़ाई लड़ी है। उन्होंने तब होने वाले बाल विवाह के खिलाफ भी आवाज उठाई थी।
डॉ रखमाबाई राउत के बारे में खास बातें
22 नवंबर, 1864 को जन्मीं रखमाबाई की शादी बचपन में ही हो गई। उनकी मर्जी के बगैर 11 साल में उनकी शादी दादाजी भिकाजी राउत से करा दी गई। रखमाबाई इस शादी से खुश नहीं थीं। उन्हें अपनी पढ़ाई पूरी करनी थी। वो अपने मां-बाप के साथ रहकर ही पढ़ाई करने लगीं लेकिन फिर उनके पति भिकाजी राउत ने उन्हें जबरदस्ती अपने साथ रहने के लिए कहा।
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इसके लिए भिकाजी ने मार्च 1884 में बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका डाली। उन्होंने पति को पत्नी के ऊपर वापस से वैवाहिक अधिकार देने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने रखमाबाई को दो ऑप्शन दिए, या तो वो इसका पालन करें या फिर जेल जाएं।
कैसे बनीं देश की दूसरी महिला डॉक्टर
रखमाबाई ने पति के साथ वैवाहिक रिश्ते में आने की बजाय जेल जाना चुना। रखमाबाई के तर्कों ने उन्हें जेल जाने से बचा लिया और अंत में वो जबरदस्ती की शादी से मुक्त हो गई। इसके बाद रखमाबाई ने इस दौरान अपनी पढ़ाई जारी रखी। जब उन्होंने डॉक्टर बनने की इच्छा व्यक्त की तो उन्हें लंदन भेजने के लिए फंड तैयार किए गए। रखमाबाई ने लंदन स्कूल ऑफ मेडिसिन से पढ़ाई पूरी की और देश की दूसरी महिला डॉक्टर बनीं।
समाज में व्याप्त कुरीतियों से लिया लोहा
रखमाबाई ने समाज में व्याप्त कुरीतियों जैसे- बाल विवाह और पर्दा प्रथा का भी जमकर विरोध किया। उन्हे एक प्रखर नारीवादी के रूप में भी जाना जाता है। रखमाबाई ने डॉक्टर के रूप में 35 साल तक अपनी सेवा दी। उन्होंने इसके बाद बाल विवाह और महिलाओं के हक में भी काफी काम किया। 25 सितंबर, 1991 को 91 साल की उम्र में उनका निधन हो गया।
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