ओलावृष्टि से परेशान किसानों को अब भी स्थाई समाधान का इंतजार

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ओलावृष्टि से परेशान किसानों को अब भी स्थाई समाधान का इंतजारचमत्कार की उम्मीद में बुंदेलखंड के हजारों किसान।

अमित

बुंदेलखंड... नाम सुनते ही मन में कंकड़-पत्थर वाली, सूखे से प्रभावित इलाके की तस्वीर उभरती है, जहाँ सूखे ने खेती-किसानी को चौपट कर दिया है। महोबा में इस बार या कहें तो पिछले दो बार से किसानों पर प्रकृति रूठी हुई है। कम पानी और सूखे के लिए कुख्यात बुंदेलखंड के महोबा में किसानों को पहले कम बारिश के कारण बुवाई करने में परेशानी हुई, फिर जैसे-तैसे कुछ किसानों ने बुवाई की भी तो ओलावृष्टि ने रही-सही कसर पूरी कर दी। जनपदीय प्रशासन के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार जनपद में इस बार पिछले साल के मुक़ाबले 40 फ़ीसदी बुवाई कम हुई है।

ओलावृष्टि और त्वरित राहत

फरवरी की 12 तारीख़ को हुई ओलावृष्टि से महोबा के कुल 158 गाँव प्रभावित हुए हैं जिनमें से 78 गाँवों में 33 फीसदी या उससे अधिक नुकसान दर्ज किया गया है, यही गाँव राहत राशि के हकदार हैं। किसानों को राहत राशि सीधे उनके खाते में भेजने की प्रक्रिया चल रही है।

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भूजल की अनुपलब्धता के चलते इस इलाक़े में सब कुछ लगभग बारिश के भरोसे है। बारिश हुई तो खेतों में बुवाई हो पाती है, ना हो तो खेत खाली ही पड़े रहते हैं।

ओलावृष्टि से बर्बाद चने की फसल।

महोबा में ग्राम लाड़पुर के किसान गोविंद दास का कहना है कि इस बार बहुत कम बारिश हुई, जिस कारण बमुश्किल 55-60 फ़ीसदी इलाके में ही बुवाई हो पाई थी। उन्होंने भी जैसे-तैसे अपने एक खेत में चना बोया था। पानी का इंतज़ाम सिर्फ एक बार हो पाया, पलेवा के समय, उसके बाद सब कुछ भगवान के भरोसे रहा था। पानी का इंतजाम किराए से करना पड़ता है लेकिन चूंकि बारिश नहीं हुई तो कुंए भी जवाब दे जाते हैं। अब फरवरी में ओलावृष्टि से फसल बर्बाद हो चुकी है। खेत की तरफ़ इशारा करते हुए बताते हैं कि ओलावृष्टि से नुकसान हुए खेत में बमुश्किल 30 फ़ीसदी ही कुछ हासिल हो पाएगा।

प्रशासन का कहना है जल्द ही इस नुकसान की राहत राशि मुहैया कराई जाएगी।

जबकि पड़ोसी गाँव अतरपाठा के 90 किसानों को ओलावृष्टि से हुए फसल-नुकसान पर तत्काल प्रभाव से राहत राशि मिल चुकी है। एक-दो किसानों को छोड़ दिया जाए, तो इस राशि से वे संतुष्ट भी दिखते हैं।

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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना?

नुकसान हुआ है और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की चर्चा ना हो, ऐसा नहीं हो सकता। इस बीमा योजना का क्या हाल है, इस पर गोविंद दास का कहना है कि पिछली साल भी कम बारिश हुई थी, जिस कारण बुवाई नहीं हो पाई थी। पिछली साल भी उनके केसीसी ऋण पर प्रीमियम काटा गया था, इस बार भी काटा गया है लेकिन इस ओलावृष्टि का लाभ कब मिलेगा, कैसे मिलेगा, इसका जवाब बैंक के पास नहीं है। बैंक के अनुसार, जो भी लाभ मिलेगा, वह ऊपर से ही आएगा, और सबको मिलेगा। इसके अलावा बैंक और कुछ कहने की स्थिति में नहीं हैं।

अतरपाठा के किसानों को भी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की अनिवार्यता से कोई आपत्ति नहीं है, बल्कि कई ने तो स्वेच्छा से इसे लिया है। बस उनका इतना भर कहना है कि प्रीमियम कटे तो कटे बस जरूरत पर उसका लाभ भी मिलना चाहिए। हाँ, इसमें एक तकनीकी पहलू भी शामिल है, जिसे लेकर अस्पष्टता बनी हुई है। किसान स्वामीदीन के अनुसार प्रदेश में कर्ज माफी की घोषणा लागू ना होने से अभी तक किसान बकाएदारों की सूची में शामिल हैं। फिर बकाएदारों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ कैसे मिलेगा इस पर स्वामीदीन कहते हैं कि यदि फसलों की यही स्थिति है तो फिर कैसे बैंक से लिए हुए क़र्ज़ की किस्त चुका पाएंगे और कैसे फसल बीमा का लाभ ले पाएंगे और कैसे योजना का प्रीमियम भुगत पाएंगे?

एक अन्य किसान का कहना है कि योजना अच्छी है लेकिन जिन लोगों पर इसकी जिम्मेदारी है, वे इसका ठीक से क्रियान्वयन नहीं कर रहे हैं।

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योजना पर प्रशासन का दावा

महोबा के इन गाँवों में ओलावृष्टि से हुए नुकसान की भरपाई के रूप में इस त्वरित राहत राशि के अलावा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ भी मिलेगा, ऐसा प्रशासन का दावा है। इस योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को आपदा आने के 48 घंटे के अंदर अपना दावा प्रस्तुत करना होता है। महोबा के जिलाधिकारी सहदेव के अनुसार 554 फसल नुकसान की शिकायतें फोन के माध्यम से दर्ज हुईं हैं, और 6,564 ऑफलाइन दर्ज हुई हैं। इन सबकी जांच की जा रही है, जिसके बाद प्रक्रिया पूरी होने संबंधित लाभ दिया जाएगा।

एक तरह जहाँ त्वरित राहत मिलने की प्रक्रिया चल रही है तो दूसरी ओर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लेकर पीड़ित किसानों का कहना है पहले सूखे में, फिर ओलावृष्टि में अगर किसानों को बीमा का लाभ नहीं मिलेगा तो कब मिलेगा?

2022 तक आमदनी दोगुनी हो पाएगी?

चलते-चलते जब मैंने कुछ किसानों से यह प्रश्न किया तो उनमें से एक अंबिका प्रसाद ने सबकी आवाज़ बनकर जवाब दिया कि सरकार और प्रशासन को सब कुछ छोड़ सिंचाई व्यवस्था पर ध्यान देना चाहिए। सिंचाई व्यवस्था के अभाव में जब पैदा ही नहीं होगा तो आमदनी दोगुनी नहीं होगी, बल्कि आधी हो जाएगी।

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