सुविधाओं की जानकारी तक नहीं, ट्रैक्टर को ही बना लिया 'एंबुलेंस'

आप जरा अंदाजा लगाइए, लेबर पेन शुरू हो चुका था, और प्रसव के लिए महिला को ट्रैक्टर पर अस्पताल ले ले जाया जा रहा था। ऐंबुलेंस को फोन करने की जहमत तक नहीं उठाई।

Deepanshu MishraDeepanshu Mishra   12 Sep 2018 9:42 AM GMT

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सुविधाओं की जानकारी तक नहीं, ट्रैक्टर को ही बना लिया एंबुलेंस

करपिया (बरेली)। बरेली मुख्यालय से लगभग 40 किमी. दूर फरीदपुर तहसील के करपिया गांव में अपने घर के दरवाजे पर ही एक ट्रैक्टर को दो लोग काफी समय से स्टार्ट करने की कोशिश में लगे थे। ट्रैक्टर पर दो महिलाएं बैठी थीं। एक की गोद में बच्चा था जबकि दूसरी की डिलीवरी होनी थी, इसीलिए उसे अस्पताल ले जाने का प्रयास किया जा रहा था। आप जरा अंदाजा लगाइए, लेबर पेन शुरू हो चुका था, और ऐसी स्थिति में प्रसूता को ट्रैक्टर पर कैसे ले जाया जा सकता है?

बरेली में स्वास्थ्य सुविधाओं का हाल क्या है और लोगों में कितनी जागरुकता है आप ये इस घटना से समझ जाएंगे। बरेली में बुखार से अब 20 लोगों की मौत हो चुकी है। रोज नये मामले आ रहे हैं, एक हजार से ज्यादा लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं जबकि सैकड़ों लोग अभी भी अस्पतालों में भर्ती हैं। ऐसे में भी लोग सावधानी नहीं बरत रहे हैं। ट्रैक्टर को ही 'एंबुलेंस' बनाकर अस्पताल निकल लेते हैं।

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प्रसूता के पति रामू सिंह (२६ वर्ष) जो ट्रैक्टर स्टार्ट करने की कोशिश कर रहे थे, कहते हैं "मेरी पत्नी शकुंतला (25) को लेबर पेन हैं, इसलिए मैं अस्पताल ले जा रहा हूं, एंबुलेंस आने में बहुत समय लगेगा।" जबकि साथ की दूसरी महिला के बारे में बताते हैं, "इनका नाम मीरा (२१ वर्ष) है, इनको और इनकी बेटी मोनिका को कई दिनों से बुखार आ रहा है।" ये घटना देखकर गांव कनेक्शन संवाददाता ने तुरंत 108 पर फोन किया और एंबुलेंस से दोनों को सरकारी अस्पताल फरीदपुर भिजवाया।

पिछले 20 दिनों में बुखार से इस गाँव में आठ लोगों की मौत हो गई है और पूरा गाँव बुखार से पीड़ित है। लेकिन बुखार कितना भी गंभीर हो जाये गाँव के लोग न ही अच्छा इलाज करवाते हैं और न ही एम्बुलेंस का प्रयोग करते हैं। इस गाँव में आज तक किसी ने एम्बुलेंस नहीं बुलवाई है। लोगों को गभीर समस्या होने पर मरीज को कोई साइकिल से लेकर चल देता है तो कोई ट्रैक्टर से। लोगों में जानकारी का अभाव उनकी जान की मुसीबत बन जाता है।

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