इफको ने किसानों को दिया तोहफा, प्रति बोरी खाद पर घटाया 50 रुपए
गाँव कनेक्शन 16 Aug 2019 6:51 AM GMT
रासायनिक उर्वरक कंपनी इफको (IFFCO) ने इस 15 अगस्त के मौके पर किसानों को एक बड़ा तोहफा दिया है। इफको ने डीएपी और एनपीके उर्वरक के दाम में प्रति बोरी 50 रुपये की कटौती कर दी है। इससे किसानों को इस मंहगाई में थोड़ी राहत मिली है।
इफको के एमडी यूएस अवस्थी ने एक ट्वीट के माध्यम से कीमतों में कटौती का एलान किया। अपने ट्वीट में उन्होंने कहा, 'PM मोदी के साल 2022 तक किसानों की आमदनी को दोगुना करने के लक्ष्य को प्राप्त करने में इससे मदद मिलेगी, क्योंकि कीमतों में कमी किसानों की उत्पादन लागत को घटाएगी।'
#इफको ने और घटाये सभी DAP और NPK खादों के दाम। ₹50/- प्रती बोरे में की कटौती। पूरे देश भर में लागू हुआ 73वें स्वतंत्रता दिवस के मौक़े पर #इफको का किसानों को तोहफ़ा। #JaiHind #IndependenceDay2019 #IndependenceDayIndia #IFFCO https://t.co/9ofnAov45V
— IFFCO (@IFFCO_PR) August 15, 2019
इफको का कहना है कि किसानों के हित को देखते हुए खाद की कीमतों की लगातार समीक्षा की जाती है। ताजा कटौती के बाद DAP खाद की प्रति बोरी की कीमत 1250 रुपये हो गई है। जबकि NPK 1 (नाइट्रोजन फास्फेट पोटाशियम) की कीमत प्रति बोरी 1200 रुपये कर दी गई है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस साल खाद की कीमतों में दो बार कटौती की जा चुकी है। दो महीने पहले ही इफको ने DAP खाद के दाम प्रति बोरी 1400 रुपये से घटाकर 1300 रुपये कर दिया था। जबकि NPK 1 के दाम 1365 रुपये से 1250 रुपये हो गया था। वहीं NPK 2 के दाम पहले 1375 रुपये से घटाकर 1260 रुपये प्रति बोरी किया गया था। जो अब 50 रुपये और कम करके 1210 रुपये प्रति बोरी किया गया है।
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इसी तरह NP (नाइट्रोजन फास्फेट) के दाम भी 1065 रुपये से घटाकर दो महीने पहले 1000 रुपये प्रति बोरी किए गए थे, जिसे अब 950 रुपये प्रति बोरी कर दिया गया है। गौरतलब है कि उर्वरक की एक बोरी 50 किलोग्राम की होती है।
क्या होता है डीएपी
डीएपी (डाइअमोनियम फॉस्फेट) में आधे से ज्यादा फास्फोरस होता है, इसका एक हिस्सा पानी में मिलाया जाता है जबकि दूसरा हिस्सा मिट्टी में मिलाया जाता है। खेतों में उर्वरक शक्ति को बढ़ाना, जिससे मिट्टी और ज्यादा उपजाऊ बने और फसल अच्छी से अच्छी हो, यहीं डीपीके का काम होता है।
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क्या होता है एनपीके
एनपीके में नाइट्रोजन फॉस्फोरस और पोटैशिम मिला होता है। इसका काम भी खेतों में उर्वरक बढ़ाना ही होता है। इसके इस्तेमाल से फसल मजबूत होती है। इसका उपयोग खासतौर पर फलों की खेती में किया जाता है। इसके प्रयोग से फलों को टूटना बंद हो जाता है।
इन दोनों का प्रयोग फसल की बुआई के समय किया जाता है। इन दोनों की मदद से मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ती है और फसलों की जड़ें ज्यादा फैलती हैं। इससे भरपूर फसल की पैदावार होती है।
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