2022 तक दोगुना हो जाएगा भारत का हरित भवन बाजार
Mithilesh Dhar 5 April 2018 12:07 PM GMT
भारत के हरित भवन (ग्रीन बिल्डिंग) बाजार वर्ष 2022 तक दोगुना होकर 10 अरब वर्गफुट हो जाने का अनुमान है। प्रॉपर्टी संबंधी परामर्श देने वाली कंपनी अनारॉक के अनुसार, जागरुकता स्तर में वृद्धि, पर्यावरण संबंधी फायदे तथा सरकारी समर्थन के कारण यह बढ़कर करीब 35-50 अरब डॉलर का हो जाएगा।
अनारॉक प्रॉपर्टी कंसल्टेंट के चेयरमैन अनुज पुरी ने ट्विट कर कहा, "शुरुआती चरण में होने के बाद भी भारत हरित भवन परियोजनाओं में अग्रणी बनकर उभरा है। हरित प्रौद्योगिकी परियोजनाओं तथा इसके विस्तार क्षेत्र के लिहाज से भारत सिर्फ अमेरिका से पीछे है।" अनारॉक ने अपनी रिपोर्ट‘ गो ग्रीन: द मंत्रा फोर सस्टेनेबल लिविंग’ में कहा कि सितंबर 2017 तक हरित प्रौद्योगिकी के तहत 4,300 से अधिक परियोजनाओं का पंजीयन हुआ है जो करीब 4.7 अरब वर्गफीट में फैले होंगे।
Indian green building market to double by 2022: ANAROCK#GreenBuildings #RealEstate@ANAROCKProperty @TheAnujPuri @IGBConline https://t.co/LZcjnqBAby
— Realty Plus (@RealtyPluse4m) April 2, 2018
पुरी ने कहा कि यह भारत में कुल भवनों का महज 5 प्रतिशत है और इसी कारण हरित भवन प्रौद्योगिकी के विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा, "शानदार दर से वृद्धि के कारण भारतीय हरित भवन बाजार के 2022 तक दोगुना होकर करीब 10 अरब वर्गफीट हो जाने का अनुमान है जिसका मूल्य 35-50 अरब डॉलर होगा।"
Anuj Puri, Chairman, ANAROCK Property Consultants says, "There is a pretty decent amount of space committed to ‘green’ certified building in India today, but it is insignificant in light of the spaces, which are under development" https://t.co/8Ic5ooAY4Q
— ANAROCK Property (@ANAROCKProperty) April 5, 2018
क्या होता है हरित भवन
हरित भवन एक प्रकार का ऐसा भवन, जो पर्यावरण के साथ मिल कर बना होता है। इसे बनाते समय इस तरह से बनाते हैं कि पर्यावरण को बहुत ही कम हानि हो। इसे बनाए के बाद आसपास के स्थान पर पेड़ पौधे लगाए जाते हैं। इसके अलावा कुछ लोग इसमें पूरी तरह से अपने भवन के ऊपर के भाग को गमलों और छोटे पौधों से सजाते हैं।
इसका मुख्य लक्ष्य ऊर्जा क्षय को रोकना है। इस तरह के भवन का निर्माण इस प्रकार से किया जाता है कि इससे प्रकृति को बहुत कम हानि हो। इसके अलावा इसमें छोटे छोटे पौधे लगाए जाते हैं। जिससे कई प्रकार के लाभ मिलते हैं। जीवाश्म ईंधन के कमी होने के कारण इस तरह से ईंधन के स्रोत बनाने से उसकी कमी की पूर्ति भी हो जाती है। कई पौधे कई प्रकार के ईंधन भी प्रदान करते हैं। जिससे पेट्रोल जैसे ईंधन की आवश्यकता भी नहीं पड़ती है और यह सभी ईंधन पर्यावरण को किसी प्रकार का अधिक हानि भी नहीं पहुंचाता है।
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