देश के हर कोने में पहुंचेगी मुजफ्फरनगर के गुड़ की मिठास

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देश के हर कोने में पहुंचेगी मुजफ्फरनगर के गुड़ की मिठास

डॉ. वीरेन्द्र आज़म

मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश)। गुड़ को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए और गन्ना भुगतान में चीनी मिलों की मनमानी से परेशान पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान अब गन्ने से बने 'गुड़' पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

गुड का बाजार विकसित करने के लिए मुजफ्फरनगर जिला प्रशासन ने एक नयी पहल करते हुए गुड़ को लेकर एक डिजिटल डायरी तैयार की है। डिजिटल डायरी में कोल्हू संचालकों, गुड़ ट्रेडर्स और मंडी व्यापारियों के नाम व मोबाइल नंबर और उनके पास किस क्वालिटी का गुड़ है यह सब जानकारी उपलब्ध रहेगी। यह डिजिटल डायरी प्रदेश व देश के सभी जिलाधिकारियों, सभी प्रदेश सरकारों के मुख्यालयों, एनआईसी व केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों को भेजी जायेगी। यानि मुजफ्फरनगर के गुड़ की मिठास अब देश के हर कोने तक पहुंचेगी। देश के किसी भी कोने से कोई भी व्यक्ति कोल्हू मालिकों से सीधे संपर्क कर गुड़ मंगा सकेगा।

किसान गन्ने से विभिन्न प्रकार के गुड़ उत्पाद बनाकर आकर्षक पैकिंग के साथ न केवल मार्केट में उतार रहे हैं, बल्कि मार्केटिंग के लिए अमेज़न जैसी ई कॉमर्स कंपनियों का भी सहारा ले रहे हैं। विशेष बात ये है कि ये किसान गन्ने की प्राकृतिक खेती कर उसी गन्ने से ये गुड़ उत्पाद बना रहे हैं।


किसानों की माने तो ऐसे गुड़ की देशभर में डिमांड बढ़ रही है और उपभोक्ता इसे पसंद कर रहा है। कुछ किसान ग्रुप बनाकर तो कुछ अपनी लिमिटेड कंपनी बनाकर भी गुड की मार्केटिंग कर रहे हैं। माना जा सकता है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश का किसान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के उस संकल्प के साथ भी जुड़ने लगा है जिसमें उन्होंने 2022 तक किसानों की आय दोगुणा करने का लक्ष्य रखा है।

102 प्रकार के गुड़ और गुड़ आधारित उत्पाद प्रदर्शित

गन्ने की जैविक व नेचुरल खेती करने वाले किसानों के ऐसे उत्पादों का मुजफ्फरनगर में आयोजित तीन दिवसीय 'गुड़ महोत्सव-2019'में प्रदर्शन किया गया। उत्तर प्रदेश सरकार की अति महत्वाकांक्षी 'एक जनपद-एक उत्पाद' योजना के अंतर्गत श्रीराम कॉलेज में 8 जून से 10 जून तक आयोजित 'गुड महोत्सव-2019' में 102 प्रकार के गुड़ और गुड़ आधारित उत्पाद प्रदर्शित करने के अतिरिक्त 437 कोल्हू संचालकों और गन्ने की जैविक व प्राकृतिक खेती करने वाले 326 किसानों तथा 37 गुड़ व्यापारियों ने शिरकत की। पांच हजार से अधिक किसानों व अन्य लोगों ने महोत्सव में पहुंचकर गुड़ का बाजार, गुड़ के महत्व, उसके बनाये जाने की प्रक्रिया, उसे खाने के लाभ सहित कई तरह की जानकारियां ली।


इन गांवों ने की महोत्सव में शिरकत

महोत्सव में ग्राम नगला राई, पीनना, तितावी, ढांसरी, लखान, मेहलकी, मुबारिकपुर, नावला, भूराहेड़ी, बुच्चा बस्ती, तेवड़ा, खुजेड़ा, मन्दवाड़ा, जोगियाखेड़ा, कूकड़ा, मुरादपुर, कासमपुर, कमालपुर, हरसौली, मुस्तफाबाद, फलौदा, सुवाहेड़ा, लुहारी, कुल्हेड़ा, मंसूरपुर, छपार, जंधेड़ा, दधेडू खुर्द, पचेण्डा कला व पचेण्डा खुर्द, बहेड़ी, गढ़ी देशराज, चरथावल, मखियाली, गोयला, छछरपुर, नूनाखेड़ा, जीवना,लछेड़ा, सैदपुर खुर्द, तावली व नरोत्तमपुर आदि करीब सौ गांवों के किसानों द्वारा निर्मित शक्कर, लड्डू, भेली, खुरपा, चौरसा आदि विभिन्न प्रकार के गुड प्रदर्शित किये गए। प्रदर्शित सभी गुड के प्रकार, जैविक व प्राकृतिक ढंग से उत्पादित गन्ने द्वारा तथा बिना किसी केमिकल का उपयोग किये बनाये गए थे।

जैविक खेती की ओर मुड़ रहे हैं किसान

महोत्सव में 'खुरपा' गुड़ लेकर आये नरोत्तमपुर के कुलदीप ने बताया, "मैं गन्ना उत्पादन में किसी तरह का कोई रासायनिक खाद या दवाओं का उपयोग नहीं करते और केवल जैविक खाद का ही उपयोग करते हैं। गुड़ बनाने में भी किसी केमिकल का उपयोग नहीं किया जाता। इसलिए मंडी में उनका गुड़ दूसरे गुड़ की अपेक्षा करीब तीन सौ रुपये कुंतल अधिक दाम पर और जल्दी बिकता है।"

कुलदीप की माने तो उनके क्षेत्र के अनेक गांवों के सैकड़ों किसान अब जैविक खेती की ओर मुड़ गये हैं।

मेहलकी गांव के जगदीश बताते हैं, "मैं जैविक व गोबर की खाद का प्रयोग गन्ने की खेती में करते हैं, परिणाम स्वरुप जो गुड़ बनता है वह दूसरे गुड़ की अपेक्षा बिना किसी केमिकल के अधिक साफ और बेहतर क्वालिटी का होता है और मंडी में उन्हें करीब डेढ़ सौ रुपए कुंतल अधिक दाम मिलता है।


बिना ब्याज का ऋण और बिजली की दरों में रियायत मिले

मुजफ्फरनगर के कस्बा भोपा से 7 किमी. दूर गडवाडा गांव में अपनी एक फैक्ट्री चला रहे योगेश कुमार ने बताया कि उन्होंने करीब चालीस लाख की लागत से वर्ष 2013 में अपनी यूनिट लगायी थी, जिसमें वह नेचुरल गुड, शक्कर व खांड बना रहे है और देश भर में आपूर्ति कर रहे है। अपने उत्पादों का आकर्षक पैकिंग दिखाते हुए वह बताते हैं कि मार्केटिंग के लिए वे अमेज़न का भी सहारा ले रहे है। उनका कहना है कि सरकार से कोई मदद उन्हें नहीं मिली, लेकिन वह चाहते हैं कि ऐसी यूनिट को बिना ब्याज का ऋण और बिजली की दरों में रियायत मिलनी चाहिए, इससे स्वदेशी बाजार मजबूत होगा। ग्राम छछरोली से आये राठी गुड उद्योग के स्वामी विनीत का कहना था कि गुड को टैक्स फ्री किया जाए और चर्खी इंजन पर बिजली में छूट दी जाए।

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मेरठ के सरधना क्षेत्र से सेब, अनार, खजूर, जामुन, अमरुद लीची, आंवला, अन्ननास और गन्ना तथा गन्ना-तुलसी व गन्ना-पुदीना आदि पर आधारित अपने आर्गेनिक सिरके के 16 फ्लेवर में उत्पाद लेकर आए थे। नरेश सिरोही बताते हैं, "गन्ना और फल आधारित उत्पादों को कृषि उत्पादों की श्रेणी में रखकर इन्हें टैक्स फ्री किया जाना चाहिए। उनका सुझाव था कि किसान समूह बनाकर खेती व उनसे उत्पाद तैयार करेंगे तो अधिक लाभ अर्जित कर सकते हैं।"

गंगोह के किसान संजय सैनी ने बताया कि वे दस किसानों के साथ मिलकर प्राकृतिक ढंग से गन्ने की खेती कर रहे हैं और उससे गुड, शक्कर, खांड व राब बना रहे है। उन्होंने बताया कि उनके साथ सहारनपुर जिले के गांव जहानपुर, नौरंगपुर, ताल्हापुर के भी दर्जनों किसान जुड़े है और प्राकृतिक खेती कर रहे हैं।


गुड़ से जीएसटी हटाने की मांग

तीन दिवसीय गुड महोत्सव में अधिकांश किसानों ने गुड़ को कृषि उत्पाद मानकर उससे जीएसटी हटाने, मंडी टैक्स समाप्त करने, गुड़ की टेस्टिंग के लिए एक उच्च स्तरीय लैब स्थापित करने, गुड़ लंबे समय तक खराब न हो इसके लिए तकनीकी व्यवस्था करने आदि की मांगे रखी।

मुजफ्फरनगर के गुड़ की अलग पहचान बनाना उद्देश्य

दरअसल 'चीनी का कटोरा' कहा जाने वाला मुजफ्फरनगर एशिया में गुड़ की सबसे बड़ी मंडी रही है। गुड यहां एक काफी फैला हुआ और स्थापित कुटीर उद्योग है जिससे लाखों किसानों की आर्थिक समृद्धि जुड़ी है। लेकिन पिछले कुछ सालों में गुड़ उद्योग में काफी गिरावट आयी है। जिला प्रशासन के सहयोग से आयोजित गुड महोत्सव का उद्देश्य मुजफ्फरनगर के गुड़ को विश्व पटल पर चर्चित और स्थापित करने के लिए किया गया। यानि जिस तरह देश-विदेश में चीनी बाजार स्थापित है उसी तरह गन्ने से बनने वाले गुड़ बाजार का विस्तारीकरण हो और उसकी एक अलग पहचान बनाना आयोजन का खास मकसद रहा है।

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जिलाधिकारी अजय शंकर पांडेय का कहना है कि इस आयोजन और डिजिटल डायरी से मुजफ्फरनगर के गुड‍़ की देशभर में एक खास पहचान बनेगी और उसे नया बाजार मिलने से व्यापार में काफी बढ़ोत्तरी होगी। जिसका सीधा लाभ किसानों को मिलेगा। उन्होंने बताया कि जिले में गन्ना किसानों, गुड व्यापारियों व अन्य प्रबुद्ध लोगों को शामिल कर गुड प्रोत्साहन एवं संवर्धन समिति का गठन भी किया जा रहा है।

31 तरह के व्यंजन

श्री राम कॉलेज की होम साइंस की छात्राओं ने गुड़, गज्जक, तिल की गज्जक, गुड़ की बरफी, गुड़ कोकोनट बरफी, गुड़ मूंगफली, गुड़ के समोसे, गुड़ केक, गुड़ चॉकलेट, गुड़ की टॉफी, गुड़ की नुगदी, गुड़ बेसन के लड्डू, चौलाई के लड्डू, मुरमुरे के लड्डू, तिल-गुड़ के लड्डू, आटा-गुड़ के लड्डू व गुड़ चूरमा के लड्डू सहित गुड़ से निर्मित कुल 31 व्यंजन महोत्सव में प्रदर्शित किये।

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