कृषि कानून: सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक कृषि कानूनों के लागू होने पर लगाई रोक, चार सदस्यीय कमेटी का गठन
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अगले आदेश तक कृषि कानूनों के लागू होने पर रोक लगा दी है। इस समस्या को सुलझाने के लिए चार सदस्यीय कमेटी का भी गठन किया गया है।
Arvind Shukla 11 Jan 2021 8:21 PM GMT
किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज दूसरे दिन भी सुनवाई हो रही है। सुप्रीम कोर्ट आज कृषि कानूनों पर रोक लगाने का अहम फैसला भी सुना सकता है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की जोरदार फटकार के बाद केंद्र सरकार ने सर्वोच्च अदालत में अपना हलफनामा पेश किया। वहीं किसान संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट की तरफ से प्रस्तावित समिति में पेश होने से इनकार कर दिया।
कोर्ट में किसानों का पक्ष रखते हुए किसानों के वकील ने एमएल शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री उनसे मिलने नहीं आये। हमारी जमीन बेच दी जाएगी। जिस पर चीफ जस्टिस ने पूछा कि जमीन बिक जाएगी ये कौन कह रहा है? वकील की ओर से बताया गया कि अगर हम कंपनी के साथ कॉन्ट्रैक्ट में जाएंगे और फसल क्वालिटी की पैदा नहीं हुई, तो कंपनी उनसे भरपाई मांगेगी।
एमएल शर्मा ने अदालत को बताया कि किसानों ने कहा है कि वे अदालत द्वारा गठित किसी भी समिति के समक्ष उपस्थित नहीं होंगे।
Farm laws: Sr advocate Harish Salve appearing for one of the petitioners says staying implementation of the laws shouldn't be seen as a political victory. It should be seen as a serious examination of concerns expressed over the legislations, he adds pic.twitter.com/Dww0mFL9Wn
— ANI (@ANI) January 12, 2021
इस पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा कि हम कानूनों की वैधता, विरोध प्रदर्शनों से प्रभावित नागरिकों के जीवन और संपत्ति की रक्षा के बारे में भी चिंतित है। हम अपने पास मौजूद शक्तियों के अनुसार समस्या को हल करने की कोशिश कर रहे हैं। हमारे पास जो शक्तियां हैं, उनमें से एक है कि हम कानून को निलंबित करें और एक समिति बनाएं।
चीफ जस्टिस ने कहा कि यह समिति हमारे लिए होगी। आप सभी लोग जो इस मुद्दे को हल करने की उम्मीद कर रहे हैं, इस समिति के समक्ष जाएंगे। यह न तो कोई आदेश पारित करेगा और न ही आपको दंडित करेगा, यह केवल हमें एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा।
सीजेआई ने आगे अपनी सुनवाई में कहा कि हम एक समिति इसलिए बना रहे हैं ताकि हमारे पास एक स्पष्ट तस्वीर हो। हम यह तर्क नहीं सुनना चाहते कि किसान समिति में नहीं जाएंगे। हम समस्या को हल करने के लिए देख रहे हैं। अगर आप (किसान) अनिश्चितकालीन आंदोलन करना चाहते हैं, तो आप ऐसा कर सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक कृषि कानूनों के लागू होने पर लगा दी है। यह रोक अगले आदेश तक जारी रहेगी। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने चार सदस्य कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी में कुल चार लोग शामिल होंगे, जिनमें भारतीय किसान यूनियन के जितेंद्र सिंह मान, डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, अशोक गुलाटी (कृषि विशेषज्ञ) और अनिल शेतकारी शामिल हैं।
Supreme Court stays the implementation of three farms laws until further orders pic.twitter.com/v3DdC4FEtQ
— ANI (@ANI) January 12, 2021
आंदोलनकारियों का समर्थन कर रहे वकील ने कहा कि लोगों को रामलीला मैदान में जगह मिलनी चाहिए। ऐसी जगह जहां प्रेस और मीडिया भी उन्हें देख सकें। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि रैली के लिए प्रशासन को आवेदन दिया जाता है। पुलिस शर्तें रखती है। पालन न करने पर अनुमति रद्द करती है। क्या किसी ने आवेदन दिया?
Supreme Court issues notice on the Delhi Police's application filed seeking to stop the proposed tractor rally by protesting farmers on Republic Day. pic.twitter.com/yMS9ckIlxC
— ANI (@ANI) January 12, 2021
सुप्रीम कोर्ट में अब ये मामला सोमवार को सुना जाएगा। अदालत ने किसान संगठनों को भी नोटिस जारी किया है, जिसमें उन्होंने दिल्ली पुलिस से ट्रैक्टर रैली निकालने की परमिशन मांगी है।
Farm laws: If there is infiltration by a banned organisation & somebody is making an allegation here before us, you have to confirm it. File an affidavit by tomorrow: CJI to Attorney General
— ANI (@ANI) January 12, 2021
We will file an affidavit in this regard and place the IB records, says Attorney General https://t.co/qy0UEuFAQ1
वरिष्ठ वकील पीएस नरसिम्हा ने कोर्ट को बताया कि प्रतिबंधित संगठन भी आंदोलन को शह दे रहे हैं। इसके चीफ जस्टिस ने एटॉर्नी जनरल से पूछा कि क्या आप इसकी पुष्टि करते हैं? एटॉर्नी ने कहा कि मैं पता करके बताऊंगा। इसके बाद सीजेआई ने कहा कि आप कल तक इस पर हलफनामा दीजिए। इसका मतलब यह नहीं कि हम पूरे मामले पर आज आदेश नहीं देंगे। आदेश आज ही आएगा।
किसान आंदोलन को खत्म करने के लिए की जा रहे उपायों पर सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी के बाद केंद्र सरकार ने सोमवार को अपना प्राथमिक हलफनामा कोर्ट में पेश किया था। केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे तीन बड़ी बातें कही हैं। केंद्र ने कहा कि कृषि कानून जल्दबादी में नहीं लाए हैं इसके लिए दो दशकों तक मंथन हुआ है।
केंद्र सरकार ने कहा कि कृषि कानूनों से देश के किसान काफी खुश हैं क्योंकि उन्हें अपनी फसलें बेचने के लिए मौजूदा विकल्प के साथ एक अतिरिक्त विकल्प दिया गया है। किसानों के किसी अधिकार को छीना नहीं गया है।
हलफनामें आगे कहा गया है कि केंद्र सरकार ने किसानों के साथ जुड़ने की पूरी कोशिश की लेकिन किसानों की यूनियन खुले मन से बातचीत के लिए नहीं आ रही हैं। किसान संगठन के प्रतिनिधि तर्कसंगत चर्चा के बजाए वो कृषि कानूनों को रद्द करने के हां या नहीं (Yes or No) के साथ पहुंच रहे हैं। केंद्र सरकार ने ये भी कहा कि कुछ लोग कृषि कानूनों के बारे में किसानों के बीच गलत अवधारणा पैदा कर रहे हैं।
ये भी पढ़ें- Farmers Protest: सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा- कृषि कानूनों पर आप रोक लगाएंगे या हम लगाएं
सोमवार को सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति बी रामा सुब्रमणियम ने कहा अपनी बातों में इस बात का इशारा किया था कि अदालत मंगलवार को कोई फैसला सुना सकती हैं। कोर्ट ने 2 संकेत दिए, इस कानून पर रोक लगाने के बाद अगर बातचीत की जाए तो शायद हल निकल सकता है और एक कमेटी बना दी जाए और कमेटी जबतक अपनी रिपोर्ट नहीं देती है तब तक कृषि कानून लागू होने पर रोक लगी दी जाए।
Centre says farmers unions are not coming for talks with open mind. Says :
— Live Law (@LiveLawIndia) January 11, 2021
'Representatives of Farmers' Unions came with pre-occupied mind & instead of discussing the dispute rationally they raised placards with "YES or NO" to repeal the stated three Farm Reform Laws'.
इससे पहले सोमवार को कृषि कानूनों की वापसी, कृषि कानूनों की वैद्यानिकता और किसानों को दिल्ली से हटाने समेत कई मुद्दों पर दायर सभी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार सरकार कई दलीलों को खारिज कर दिया।
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से बताया गया कि सरकार से बातचीत का हल निकालने का प्रयास किया गया। लेकिन सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार की दलील से संतुष्ट नहीं हुआ। कोर्ट ने कहा कि आपकी तरफ से जो प्रयास किए गए हैं वो निगोसिएशन वाले लगते हैं, समाधान वाले नहीं।
पढ़िए सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई की 10 बड़ी बातें
1.कृषि कानूनों के बारे में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप कोई बिल लाएं हैं तो क्या आपने किसानों से कोई सुझाव लिया है।
2.अगर इस समस्या को निपटाना है तो क्यों न इस कानून पर रोक लगा दी जाए। (रोक का मतलब कानून का रोक नहीं सिर्फ उसे लागू करने पर रोक है।)
जिस पर केंद्र सरकार की तरफ से अनुरोध किया गया कि ऐसा कोई आदेश अभी कोर्ट की तरफ से जारी न किया जाए।
3.सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को ये सुझाव दिया क्यों ना एक समिति बना दी जाए, जिसमें सुप्रीम कोर्ट का एक जज हो, जो हिंदी भाषी हो जो किसानों से सही तरीके से बात कर सके। किसान संगठन के प्रतिनिधि और सरकार के लोग हों।
4.इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख लहजे में कहा कि इस कानून पर आप रोक लगाएंगे या हम रोक लगाएं।
5.सॉलीसिटर जनरल ने कहा कि जो कानून है उस पर रोक नहीं लगाई जा सकती है। कोई कानून संविधान के खिलाफ नहीं है, मौलिक अधिकारों के खिलाफ नहीं है। जिस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि ये हमें पता है इसीलिए हम कानून पर रोक नहीं लगा रहे बस कानून लागू करने पर रोक लगाने की बात कर रहे। केंद्रीय सरकार ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी।
6.सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा कि किसान 26 जनवरी को राजपथ पर ट्रैक्टर रैली करने वाले हैं जिस पर रोक लगाई जाए। इसके जवाब में किसानों की तरफ से पेश हुए सीनियर वकील दुष्यंत दवे ने कहा किसान ऐसी कोई तैयारी नहीं कर रहे हैं। (यहां बात राजपथ पर परेड के संदर्भ में है।
(30 दिसंबर की वार्ता के बेनतीजा रहने के बाद किसान संगठनों ने कहा था अगर 4 जनवरी की वार्ता भी असफल रही तो 26 जनवरी को दिल्ली के अंदर ट्रैक्टर मार्च का किया जाएगा। जिसके बाद किसानों ने 7 जनवरी को दिल्ली के बाहरी इलाकों में ट्रैक्टर मार्च किया था, जिसे उन्होंने 26 जनवरी की परेड का रिहर्सल बताया था। 8 जनवरी की बेनतीजा वार्ता के बाद किसानों संगठनों ने फिर दोहराया था कि दिल्ली के अंदर ट्रैक्टर मार्च करेंगे। हालांकि संयुक्त किसान मोर्चा ने राजपथ का जिक्र नहीं किया था लेकिन कुछ किसान नेताओं ने राजपथ पर ट्रैक्टर मार्च की बात कही थी।)
7. सॉलिसिटर जनरल ने बेंच से कहा कि वो कोई ऐसा आदेश जारी कर दें, जिससे किसान ट्रैक्टर रैली न करें। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सॉलीलिटर जनरल से कहा अगर आप को कोई ऐसा आदेश पारित कराना है तो आप अलग से एक अर्जी दाखिल करें,हम उस पर विचार करेंगे।
8.सुप्रीम कोर्ट ने किसानों की तरफ से पेश वकीलों से कहा कि आप हमारी (सुप्रीम कोर्ट) की तरफ से ये अपील करें की आदोंलन में शामिल महिलाएं बुजुर्ग और बच्चे हैं वो प्रदर्शन में ना करें। हम चाहते हैं इस समस्या का हल निकले।
9.सोमवार केंद्र सरकार से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसानों कों आप मना नहीं पाए। किसानों को मनाने की जिस्मेदारी आप की है क्योंकि सरकार हैं।
10.सुप्रीम कोर्ट ने किसान संगठनों के वकीलों से पूछा अगर कोई कमेटी बनाई जाए तो क्या आप इसमें शामिल रहेंगे, जिस पर किसान संगठनों की तरफ से शामिल वकीलों ने कहा कि विरोध में 400 के करीब किसान संगठन शामिल हैं तो हमें कोई फैसला लेने से उन सबसे बात करनी होगी।
सोमवार की शाम को संगठन के भीजत चर्चा के बाद किसान संगठनों ने किसी समिति के सामने पेश होने से इनकार कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट की समिति वाले प्रस्ताव पर किसान संगठन की तरफ से दिया गया जवाब
किसान संयुक्त मोर्चा से जुड़े किसान नेता राजिंदर सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में जो इस मामले को सुलझाने के लिए जो समिति बनाने की बात चल रही है, वो हमें मंजूर नहीं है। किसान संगठनों का पहले से मत था कि कृषि कानून किसान और केंद्र सरकार के बीच का मामला है। केंद्र सरकार का रवैय बहुत घटिया रहा है। केंद्र सरकार चाहती है कि जो समिति बने उसके सामने भी किसान संगठन कृषि कानूनों की वापसी की बात न करें, ये केंद्र सरकार बेहद गैर जिम्मेदाराना बयान है, वो इस मुद्दे को हल नहीं करना चाहती।
किसान आंदोलन के 48 दिन
कृषि कानूनों को वापस लेने, न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी वाला कानून बनाने, प्रस्तावित बिजली विधेयक को वापस और पराली कानून 2020 को वापस लेने की मांग को लेकर किसानों के आंदोलन का मंगलवार को 48वां दिन है। किसान 27 नवंबर से दिल्ली-हरियाणा के बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं। इस दौरान टिकरी और सिंभू बॉर्डर पर कई किसानों की आदोंलन की दौरान मौत भी हो गई है। किसान संगठनों के बीच 8दौर की वार्ता हो चुकी है। लेकिन किसानों की मुख्य मांगों कृषि कानून और एमएसपी पर कोई हल नहीं निकला है। अगली बैठक 15 जनवरी को दोपहर 12 बजे विज्ञान भवन में प्रस्तावित है।
ये भी पढ़ें-किसान आंदोलन: 100 साल पहले जब किसानों के खून से लाल हो गई थी सई नदी, अवध की इस घटना को कहा जाता है छोटा जलियावांला बाग कांड
More Stories