महाराष्ट्र में कुओं से पानी निकालना चार गुना तक महंगा होगा, सरकार बढ़ाएगी टैक्स

यह टैक्स हर वित्तीय वर्ष में लगेगा और हर साल 31 मार्च से पहले वसूल लिया जाएगा। यह टैक्स अधिसूचित क्षेत्रों में वसूले जा रहे टैक्स का चार गुना होगा। गैर-अधिसूचित इलाकों में यह पहले से दोगुना हो जाएगा।

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महाराष्ट्र में कुओं से पानी निकालना चार गुना तक महंगा होगा, सरकार बढ़ाएगी टैक्स

भूमिगत जल के गिरते स्तर को रोकने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने गहरे कुओं से निकले पानी पर टैक्स बढ़ाने का फैसला किया है। दो से चार गुना तक यह बढ़ा हुआ टैक्स कृषि कार्यों और औद्योगिक इस्तेमाल के लिए निकाले गए पानी दोनों पर ही लगेगा। इससे संबंधित अधिसूचना महाराष्ट्र सरकार ने 25 जुलाई 2018 को जारी की थी। गौरतलब है कि महाराष्ट्र जल संसाधन नियामक प्राधिकरण (एमडब्ल्यूआरआरए) पहले ही से सूचित और गैर सूचित इलाकों में स्थित गहरे कुओं से निकले पानी पर टैक्स की वसूली कर रहा है।


अधिसूचना के मुताबिक, यह टैक्स हर वित्तीय वर्ष में लगेगा और हर साल 31 मार्च से पहले वसूल लिया जाएगा। यह टैक्स अधिसूचित क्षेत्रों में वसूले जा रहे टैक्स का चार गुना होगा। गैर-अधिसूचित इलाकों में यह पहले से दोगुना हो जाएगा। राज्य सरकार का वॉटर सप्लाई और सेनिटेशन विभाग इस प्रक्रिया पर नजर रखेगा। यह टैक्स राज्य के राजस्व अधिकारियों और राज्य भूजल प्राधिकरण के अधिकारियों की सहमति से वसूला जाएगा। महाराष्ट्र सरकार ने जनता से 1 सितंबर तक सुझाव और आपत्तियां मांगी हैं।

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पिछले साल, भूजल सर्वे और डिवेलपमेंट एजेंसी ने अपनी एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदेश की 60 पर्सेंट तहसीलों में भूजल का स्तर एक मीटर तक गिर चुका है। रिपोर्ट में कहा गया था, "महाराष्ट्र की 353 तहसीलों में से 218 में भूजल स्तर में कम से कम एक मीटर की कमी देखी गई है। गर्मियों के दौरान इन तहसीलों के 5,166 गांवों को पानी की कमी झेलनी पड़ सकती है।" इस रिपोर्ट में कहा गया था कि बहुत अधिक पानी इस्तेमाल करने वाली फसलों की खेती और पेय जल सप्लाई करने वाली प्राइवेट कंपनियों के पानी का दोहन करने की वजह से भूजल स्तर में यह गिरावट आई है।

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लेकिन जल संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वालों का मानना है कि महज टैक्स लगाने से कुछ नहीं होगा सरकार को गहरे कुएं खोदने वाले ड्रिलिंग ऑपरेटरों पर नियंत्रण लगाना होगा। यही लोग 180 फीट की स्वीकृत सीमा से नीचे खुदाई करने में अहम भूमिका निभाते हैं। कहीं-कहीं तो ये लोग 700 फुट की गहराई तक खुदाई करते हैं। इसके लिए सरकार को एक ऐसी व्यवस्था करनी होगी जो इन ड्रिलिंग मशीन वालों पर नजर रख सकें। चूंकि इनमें से अधिकतर के स्थानीय नेताओं से अच्छे संबंध होते हैं इसलिए सरकार ही इन पर नियंत्रण लगा पाएगी। सिर्फ कर लगाने से कुछ नहीं होगा।

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