"सरकार का पैसा वापस चला जाएगा"... इस अफवाह ने बढ़ा रखी है बैंकों के बाहर भीड़?

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत लोगों के खातों में पहुंचे 500 से 2000 रुपए ने लोगों को थोड़ी राहत दी है लेकिन, बैंकों के बाहर जो रोज भीड़ उमड़ रही है, उसके पीछे कई अफवाहें भी हैं..

Arvind ShuklaArvind Shukla   21 April 2020 5:40 PM GMT

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सरकार का पैसा वापस चला जाएगा... इस अफवाह ने बढ़ा रखी है बैंकों के बाहर भीड़?

तेज धूप के बाद एकाएक बारिश शुरु हो गई थी, लेकिन आशा देवी बैंक के बाहर लगी लाइन में खड़ी रहीं। उन्होंने अपना विड्राल फार्म पासबुक के अंदर रखकर पल्लू में छिपा लिया। आशा को न धूप से दिक्कत थी न बारिश से और ना ही भीड़ के चलते कोरोना से संक्रमित होने की आशंका, उन्हें अपने 500 रुपए की चिंता थी, जो सरकार ने उनके जनधन खाते में डाले हैं।

"सब कह रहे हैं, पैसा नहीं निकाले तो वापस चले जाएंगे, इसीलिए लाइन में लगे हैं।" यूपी के सीतापुर जिले के मीरानगर में बैंक की लाइन में खड़ी आशा देवी (30 वर्ष) कहती हैं। आर्यावर्त ग्रामीण बैंक के बाहर करीब 50 लोगों की भीड़ थी, जिनमें से 40 से ज्यादा महिलाएं थीं, जिनमें भी अधिकांश अपने जनधन खातों से 500 रुपए निकालने आईं थीं। कई महिलाओं से बात करने पर पता चला कि उन्हें डर है कि पैसा वापस न चला आए।

हर घर के लिए बैंक खाता की अवधारणा के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले कार्यकाल में 15 अगस्त 2014 को प्रधानमंत्री जनधन योजना की घोषणा की थी। 28 अगस्त को 2014 को इसकी शुरुआत के बाद ये पहला मौका था, ऐसे करोड़ों खातों में कोई लेनदेन हुआ था। इसलिए करोड़ों महिलाएं काफी खुश भी हैं।

यूपी के सीतापुर जिले के पिसावां ब्लॉक के पिपरी शादीपुर गांव में रहने वाली ने अप्रैल के पहले हफ्ते में 500 रुपए निकलवा लिए थे। वो कहती हैं, इस कठिन समय में 500 रुपए हमारे लिए बड़ी मदद बन गए हैं। पति अभी दूसरी जगह (महाराष्ट्र) ही फंसे हैं। उनका भी कामधंधा बंद है तो पैसे भी नहीं भिजवा पा रहे थे,लेकिन सरकार की मदद से कुछ काम चल गया।" मोनी जैसे करोड़ों लोगों की संकटकाल में सरकार के बैंकों में भेजे गए पैसे तो मदद मिली है। लेकिन पैसे निकालने, खाते में पैसे चेक करवाने के लिए पिछले 17-18 दिनों से जो भीड़ उमड़ रही है, उसने बैंक कर्मचारियों की मुश्किलें बढ़ा रखी हैं।

लॉकडाउन के दौरान 16.01 करोड़ लाभार्थियों के बैंक खातों में सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (PFMS) के माध्यम से प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) के जरिए 19 अप्रैल तक 36,659 करोड़ रुपये से अधिक रुपए ट्रांसफर किए गए।

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आशा देवी, जहां बैंक की लाइन में लगी थीं, उससे कुछ दूर पर बाराबंकी के बेलहरा कस्बे में भी ग्रामीण बैंक के बाहर भी भीड़ थी। बैंक के बाहर सीढ़ियों पर लोग बैठे थे। बैंक के गेट पर ही आधार कार्ड के जरिए भी पेमेंट किया जा रहा था। यहां के शाखा प्रबंधक बार-बार बाहर निकलकर लोगों को भीड़ न लगाने और सोशल डिस्टेसिंग का पालन करने की अपील कर रहे थे।

ग्रामीण बैंक बेलहरा के शाखा प्रबंधक अंसार जमाल कहते हैं, "बैंकों में सारा काम रोककर सिर्फ लोगों को पैसे देने का काम किया जा रहा है। प्रधानमंत्री जनधन, पीएम किसान, बुजुर्ग पेंशन, मनरेगा समेत कई तरह के पैसे आ गए हैं तो भीड़ काफी है। थोड़ा जागरुकता का अभाव है, इसलिए सब तुरंत पैसा निकाल लेना चाहते हैं। टीवी पर कहा जा रहा है कि पैसा कहीं नहीं जाएगा, थोड़ा आप (मीडिया) भी जागरुकता में सहयोग करे।"

कोरोना वायरस की महामारी के दौरान लोगों को पैसे की तंगी से उबारने के लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत सरकार ने महिलाओं के जनधन खातों में तीन महीने तक 500-500 रुपए, बुजुर्ग और विधवाओं को तीन महीने तक 1000-1000 रुपए, तीन महीने तक उज्जवला योजना के पैसे और गरीब रेहडी-पटरी वाले लोगों के खाते में 1000-1000 रुपए तीने महीने तक, इसके अलावा मनरेगा का भी पैसा लोगों के खातों में भेजा गया है। इन सबमें जनधन और पटरी दुकानदारों को पहली बार पैसे मिले हैं।

कोविड-19 महामारी के दौरान गरीबों की मदद के लिए केंद्र सरकार ने 1 लाख 70 हजार करोड़ का जो आर्थिक पैकेज जारी किया है, उसके तहत 3 अप्रैल से लेकर 9 अप्रैल तक केंद्र सरकार ने दो किस्तों में देश में महिलाओं के प्रधानमंत्री जनधन योजना के करीब20.60 करोड़ खातों में 500-500 रुपए भेजे हैं। जबकि उज्जवला योजना के तहत 800-800 रुपए दिए जा रहे हैं।

अपनी मां के खाते में पैसे आए या नहीं का पता लगाने पहुंचे उन्नाव जिले के शहनवाज।

सीतापुर के मीरानगर से करीब 100 किलोमीटर दूर उन्नाव जिले के न्योतनी नगर पंचायत में ग्रामीण बैंक के पास ही उपभोक्ता केंद्र (जहां आधार दिखाकर और थंब इंप्रेशन से पैसा निकल सकता है ) के बार खड़े शहनवाज इसलिए दूसरे दिन भी ये पता करने आए हैं कि अम्मी के खाते में गैस सिलेंडर और जनधन का पैसा आया कि नहीं। वो कहते हैं " मुहल्ले में कोई कह रहा था, पैसा निकाललाओ वर्ना फिर चले जाएंगे।'

शहनवाज, जहां पर गांव कनेक्शन से बात कर रहे थे, उसी के पास खड़े न्योतनी के पार्षद हसी उल्ला कहते हैं," लोगों का सारा काम तो बंद पड़ा है। इसलिए लोग सोच रहे हैं जो पैसा आया है वहीं निकाल लें इसीलिए बैंक के बाहर भीड़ लग रही है। लोगों को ये भी लग रहा है कि पैसा जल्दी नहीं निकाला तो वापस चला जाएगा। हम लोगों ने लोगों को समझाया तो बहुत है, लेकिन.."

अपनी बात को बीच में ही रोक देते हैं। गांव कनेक्शन ने उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में प्रधानमंत्री जनधन योजना, पीएम किसान, उज्जवला योजना लाभार्थी और अन्य ग्रामीणों से बात की, जिसमें उन्होंने माना कि कई जगहों पर लोगों को ये लगता है कि पैसे वापस चले जाएंगे।

उन्नाव के न्योतनी में स्थित आर्यावर्त ग्रामीण बैंक के शाखा प्रबंधक एसएम नकवी कहते हैं,"बैकों में हम कोरोना गाइडलाइंस का पूरी तरह पालन कर रहे हैं। पुलिस और जनता का सहयोग मिल रहा है। हम दिन में 200 के आसपास बैंक से ट्रांसजेशन कर रहे हैं और 300 लोगों को बैंक मित्र और सीसी से पैसा निकाल रहे हैं।"


सरकार और बैंक पिछले कई दिनों से लगातार लोगों से अपील ये भरोसा दिलाने की कोशिश की है उनका पैसा बैंकों में सुरक्षित है और जरुरत पड़ने पर ही निकालें। भारत में बैंकों के संगठन इंडियन बैंक एसोशिएशन ने 2 अप्रैल को जारी अपील में कहा था उनका पैसा खातों में सुरिक्षत है।" टीवी के साथ ही स्थानीय स्तर पर प्रशासन ने लोगों को ये बता रही है कि एक बार पैसा खाता में आ गया तो आप के अलावा कोई दूसरा निकाल नहीं सकता है, इसलिए पैसा न कोई निकाल सकता है और न ही वापस जाएगा।

बैंक और पुलिस कर्मियों ने मिलकर ज्यादातर बैंकों के बाहर एक-एक मीटर की दूरी पर चूने के सफेद गोले बनवाए हैं। कई जगह लोगों ने ईंट आदि सामान रखकर एक दूसरे से तय दूरी पर बैठने या खड़े होने की व्यवस्थाएं की हैं, लेकिन कई जगह भीड़ के आगे व्वयस्थाएं चरमराती नजर आईं।

कन्नौज में इंडियन ओवरसीज बैंक के बाहर अपने खाते में आए 1000 रुपए निकलाने आए चाट का ठेला लगाने वाले रेहड़ी दुकानदार।

महाराष्ट्र के उस्मानाबाद जिले के उमरगा में कोरोना पॉजिटिव तीन केस मिले थे, बावजूद इसके बैंकों में लगातार भीड़ उमड़ती रही। कई स्थानीय लोगों ने इस संबंध में पुलिस-प्रशासन से अपने तरीके से शिकायत भी की। लेकिन लोगों की भीड़ कम नहीं हुई।

मध्य प्रदेश के भोपाल में बैंक ऑफ इंडिया में शहरी क्षेत्र में स्थित शाखा के रही हैं। असिस्टेंट जनरल मैनेजर विनय कुमार अंजू फोन पर बताते हैं, शहरों की अपेक्षा ग्रामीण इलाकों की बैंकों में भीड़ ज्यादा है। बैंकों से जनधन खातों का पैसा 3 अप्रैल से ही निकालना शुरु हो गया था, शुरुआत में भीड़ काफी थी, पैसा वापस जाने का डर था, अब पहले से काफी बेहतर है लेकिन गरीब इलाकों में अभी अफवाह का असर है।'

यूपी के गाजीपुर जिले में मोहम्दाबाद इलाके के हुस्सेपुर कोठियां गांव में रहने वाले पत्रकारिता के छात्र पीषूय राय बताते हैं, "हमारे गांव में कई लोगों ने अपने घर की महिलाओं के खातों (जनधन) में आए पैसे इसलिए निकलवा लिए, क्योंकि उनके मुताबिक उन्होंने सुना था कि मोदी जी इन पैसों को निकालकर कोरोना के इलाज में खर्च कर देंगे।"

पीयूष कहते हैं, "ये सब अफवाह हैं लेकिन गांवों में जागरुकता का अभाव है।"

अफवाह को लेकर कई महिलाओं ने बिना नाम छापे कई तरह की कहानियां सुनाईं जो गांवों में चल रही हैं, लेकिन अख़बार में लिखने और वीडियो पर बोलने से मना कर दिया। कई बैंक कर्चमारियों ने भी नाम न छापने की शर्त पर कहा कि सरकार और स्थानीय प्रशासन लोगों को ये समझाने में नाकाम रहे हैं कि पैसा उनका है, जिस तरह से पैसे आ रहे हैं, जागरुकता पर भी काम होना चाहिए था।

यूपी के बाराबंकी जिले के बेलहरा कस्बे में ग्रामीण बैंक के बाहर लोगों से सोशल डिस्टेसिंग का पालन करने की अपील करते बैंक के शाखा प्रबंधक अंसार जमाल। फोटो- अरविंद शुक्ला

इन मदों में आया है पैसा

500-500 रुपए तीन महीने तक जनधन खाते से जुड़ी हर महिला खाता धारक (20.60 करोड़) को दिए जाएंगे। पहली किस्त पहुंच चुकी है। मई-जून की आना बाकी।

800-800 रुपए उज्वला योजना के तहत तीन महीने तक

2000-2000 रुपए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत 8.7 करोड़ किसान के खातों में।

1000-1000 रुपए तीन महीने तक 60 वर्ष से ज्यादा के बुजुर्ग और विधवाओं को पेंशन (अनुमानित बजट करीब 3 हजार करोड़)

1000-1000 रुपए तीन महीने तक रेहड़ी और पटरी दुकानदारों को

    

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