राजस्थान : लॉकडाउन से नदी, नहरों में बेहतर हुई पानी की गुणवत्ता
प्रदेश में नदी, नहर झील और बांधों में सतही जल प्रदूषण में कमी आई है। जलाशयों में पानी की गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है।
Madhav Sharma 10 Jun 2020 7:11 AM GMT
जयपुर। कोरोना वायरस के कारण लगाए गए लॉकडाउन ने प्राकृतिक संसाधनों को काफी फायदा पहुंचाया है। राजस्थान भी इससे अछूता नहीं है। प्रदेश में नदी, नहर झील और बांधों में सतही जल प्रदूषण में कमी आई है। जलाशयों में पानी की गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है।
हाल में राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल की ओर से जारी एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। मंडल ने अप्रैल 2020 के आखिरी हफ्ते में कराए सर्वे में 14 नदी, चार नहर, 16 झील और 11 बांधों को शामिल किया था। इन आंकड़ों का बोर्ड ने अप्रैल 2019 के आंकड़ों से तुलना की है और ये नतीजे सामने आए हैं।
राजस्थान में 21 मार्च को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने लॉकडाउन की घोषणा की। इससे सतही जल प्रदूषण में योगदान देने वाले उद्योग, घरेलू सीवरेज, घाटों पर स्नान, कपड़ा धुलाई, नौका विहार, तीर्थयात्रा जैसी गतिविधियों पर आंशिक रोक लग गई थी।
प्रदेश में अधिकतर जल निकायों का उपयोग सिंचाई, मछली पालन, घरेलू जल वितरण, पर्यटन और सामुदायिक स्नान जैसी गतिविधियों के लिए होता है। बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि लॉकडाउन में वाटर बॉडीज में सभी गैर-जरूरती गतिविधियां बंद कर दी गईं। इसी के परिणामस्वरूप प्रदेश के जलाशयों में सतही जल गुणवत्ता में सुधार हुआ है।
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नदी और नहरों की जल गुणवत्ता पर लॉकडाउन का असर
प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने नदी, नहर और बांध-झीलों के पानी में बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी), केमिकल ऑक्सीजन डिमांड, डिजाल्व ऑक्सीजन, टोटल कोलीफॉर्म और कंडक्टिविटी के पैमानों पर ये सर्वे किया है। सर्वे में शामिल 14 नदी (चंबल, काली सिंध, माही, पार्वती आदि) और चार नहर (नर्मदा मेन कैनाल, गंग नहर, इंदिरा गांधी फीडर) में सुधार हुआ है।
बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी)
बोर्ड के जारी आंकड़ों के अनुसार अप्रैल 2019 में राजस्थान की नदियों और नहरों में बीओडी की मात्रा 1.24 से 5.56 मिलीग्राम/लीटर थी। ताजा आंकड़ों के अनुसार यह 1.08 से 4.32 मिलीग्राम/ लीटर रही है। आठ स्टेशनों के अलावा सभी जगह नदी और नहरों में बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड की मात्रा में कमी देखी गई है। ये अच्छा सूचक है।
केमिकल ऑक्सीजन डिमांड
अप्रैल 2019 में इन नदी और नहरों में केमिकल ऑक्सीजन डिमांड की सांद्रता 13.94 से 70.89 मिलीग्राम/लीटर थी। अप्रैल 2020 में ये 8.28 से 41.20 मिलीग्राम/लीटर रहा है। हालांकि चार स्टेशनों को छोड़कर बाकी नदी और नहरों में सीओडी की मात्रा में कमी हुई है।
डिजाल्व ऑक्सीजन
प्रदेश की नदी-नहरों में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ी है। इसका मतलब है कि ये पहले की तुलना में साफ हुई हैं। वर्ष 2019 में ऑक्सीजन की सांद्रता 3.09 से 6.39 मिलीग्राम/लीटर के बीच थी जो अप्रैल 2020 में 2.59 से 7.02 मिलीग्राम/लीटर है।
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टोटल कोलीफॉर्म
नदियों में डाले जाने वाले औद्योगिक कचरे में कमी के चलते टोटल कोलीफॉर्म की सघनता में बढ़ोतरी हुई है। अप्रैल 2019 में इन 18 नदी और नहरों में कोलीफॉर्म की सघनता 7 से 210 मिलीग्राम/ मिली लीटर थी। सर्वे के दौरान अप्रैल 2020 में ये बढ़कर 20 से 210 मिलीग्राम/100 मिली लीटर हुई है।
कन्डक्टिविटी
आंकड़ों के विश्लेषण में यह देखा गया है कि अप्रैल 2019 में राजस्थान की नदियों और नहरों में चालकता 300 से 2100μmho/सेमी के बीच थी, जबकि अप्रैल 2020 में यही 230 से 1250 μmho/सेमी के बीच रही है।
राजस्थान के बांधों और झीलों की जल गुणवत्ता पर लॉकडाउन का प्रभाव
प्रदेश की झीलों में पर्यटन गतिविधियां बंद होने के कारण पानी की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। माउंटआबू, उदयपुर की झीलों में पर्यटन और पुष्कर झीलों में तीर्थ यात्रियों के स्नान और धुलाई नहीं होने के कारण सुधार देखा गया है। इनमें उदयपुर की पिछोला, स्वरूप सागर, उदयसागर, बड़ी का तालाब, अजमेर में नक्की झील, जोधपुर में कायलाना जैसी झील शामिल हैं।
बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड
राजस्थान की झीलों और बांधों में बीओडी की मात्रा अप्रैल 2019 में 0.23 से 12.36 मिग्रा/लीटर के बीच थी, जबकि अप्रैल 2020 में वही 0.21 से 12.96 मिग्रा/लीटर के बीच रही है।
केमिकल ऑक्सीजन डिमांड
मानवीय गतिविधियों में कमी के चलते झील और बांधों में केमिकल ऑक्सीजन डिमांड की स्थिति सुधरी है। प्रदेश की झीलों और बांधों में सीओडी की सांद्रता अप्रैल 2019 में 10.89 से 109.37 मिग्रा/लीटर के बीच थी, जबकि अप्रैल 2020 में ये 6.12 से 132.0 मिग्रा/लीटर रही है।
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डिजाल्व ऑक्सीजन
अप्रैल 2019 में प्रदेश की झील और बांधों में डिजाल्व ऑक्सीजन की मात्रा 0.21 से 7.20 मिलीग्राम/लीटर थी। अप्रैल 2020 में ये 0.0 से 9.0 मिलीग्राम/लीटर रही है।
टोटल कोलीफॉर्म
अप्रैल 2019 में 21 से 210 एमपीएन/100 मिली थी। सर्वे के दौरान ये 28 से 210 एमपीएन/100 मिली पाई गई है। प्रदेश की झील और बांधों में कोलीफॉर्म की मात्रा में वृद्धि देखी गई है।
कंडक्टिविटी
सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि झील और बांधों में अप्रैल 2019 में कंडक्टिविटी 220 से 2200 μmho/सेमी थी। वर्ष 2020 में ये 160 से 1590 μmho/सेमी के बीच रही है। कंडक्टिविटी में कमी देखी गई है जो अच्छे संकेत हैं।
प्रदूषण नियंत्रण के चीफ एनवायरमेंटल इंजीनियर डॉ. विजय सिंघल से 'गांव कनेक्शन' ने इस सर्वे के संबंध में बात की। सिंघल ने बताया, "पांच पैरामीटर्स पर हमने अपने जलाशयों की गुणवत्ता मापी है और 2019 के आंकड़ों से तुलना की। नतीजे काफी सुखद आए हैं। हमारी नहरों में कारखानों का पंजाब से आने वाला गंदा पानी लॉकडाउन के कारण आना बंद हुआ तो नहरें साफ हुई हैं। इसी तरह कोटा, धौलपुर में चंबल नदी, सागवाड़ा में माही नदी, खाटोली में पार्वती नदी पर सैंपल लिए गए।"
सिंघल आगे बताते हैं कि इंसानी गतिविधियों और इंड्रस्टीज का पानी नहीं आने से जलाशयों में पानी की गुणवत्ता अच्छी हुई है, हालांकि सीवरेज का पानी लॉकडाउन के दौरान भी आया है, लेकिन आंकड़ों से स्पष्ट हुआ है कि सीवरेज से ज्यादा प्रदूषण इंड्रस्टीज का वेस्ट करता है।
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