मैंने अयोध्या का विवादित ढांचा गिराया था - वेदांती 

Ashutosh OjhaAshutosh Ojha   29 Oct 2017 8:40 PM GMT

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मैंने अयोध्या का विवादित ढांचा गिराया था - वेदांती भाजपा के पूर्व सांसद डॉ. रामविलास दास वेदांती (फाइल फोटो)

लखनऊ। सम्भल के ऐंचोड़ा कंबोह में चल रहे कल्कि महोत्सव के पांचवे दिन पहुंचे भाजपा के पूर्व सांसद डॉ. रामविलास दास वेदांती ने कहा कि संभल में कल्कि महोत्सव के बाद कल्कि मंदिर बनेगा। योगी आदित्यनाथ भी कल्कि मंदिर बनने के विरोधी नहीं हैं। मंदिर बनवाना चाहते हैं।

डॉ. वेदांती ने कहा कि राममंदिर मामले में मध्यस्थता करने का अधिकार सिर्फ रामजन्मभूमि न्यास, विश्व हिंदू परिषद और अयोध्या के संतों को है।

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भारतीय जनता पार्टी के पूर्व सांसद डॉ. रामविलास दास वेदांती का दावा है कि अयोध्या में विवादित ढांचा गिराने में उनकी मुख्य भूमिका थी। संभल में चल रहे कल्कि महोत्सव में शिरकत करने आए वेदांती ने कहा कि विवादित ढांचा गिराने के आरोप में उनको फांसी लगा देनी चाहिए।

राम जन्म भूमि न्यास के सदस्य डा. राम विलासदास वेदांती ने कहा कि मैंने अयोध्या का विवादित ढांचा गिराया था, इसका मुझे कोई पछतावा नहीं है, चाहे मुझे फांसी ही क्यों न हो जाये। उन्होंने कहा कि भाजपा ने राम मंदिर बनाने का वादा किया था तो उसे पूरा करना होगा। राममंदिर आंदोलन रामजन्म भूमि न्यास व विश्व हिंदू परिषद ने चलाया है। इसमें हम जेल भी गए हैं। नजरबंद हमें किया गया। मुकदमे हम लड़ रहे हैं।

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आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर के बारे में उन्होंने कहा कि वह तो कभी भी राम जन्म भूमि आंदोलन से जुड़े नहीं रहे तो वह मध्यस्थता कैसे करा सकते हैं। वह तो एक बड़ा एनजीओ चलाते हैं। रविशंकर को राममंदिर निर्माण पर मध्यस्थता करने का कोई अधिकार नहीं है।

जिस व्यक्ति ने आज तक रामलला के दर्शन तक नहीं किये है तो वह निर्माण पर मध्यस्थता कैसे कर सकते हैं। तो फिर रविशंकर कैसे मध्यस्थता करने की पात्रता रखते है। यदि रविशंकर को इस मामले में मध्यस्थता करने की इतनी ही इच्छा है तो पहले उन्हें रामलला के दर्शन व पूजन करना चाहिए, इसके बाद हनुमानगढ़ी जाकर हनुमानजी का आशीर्वाद लेना चाहिए। इसके बाद ही वहां की मध्यस्थता की बात अपने जेहन में लाएं।

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हम तो चाहते हैं कि इस विषय पर सारी दुनिया के मुस्लिम धर्मगुरु आगे आएं, शिया और सुन्नी वफ्फ बोर्ड के लोग आएं वो लोग जगदगुरु शंकराचार्यों, रामानंदाचार्यों, वल्लभाचार्यों के साथ बैठकर वार्ता करें।

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