डेढ़ साल से बेटे के क़ातिल को ढूंढते पिता का दर्द सुनिए 

Ashutosh OjhaAshutosh Ojha   13 Sep 2017 10:52 PM GMT

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डेढ़ साल से बेटे के क़ातिल को ढूंढते पिता का दर्द सुनिए पिता प्रदीप दीक्षित (लेफ्ट साइड ) 

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ प्रदेश के हर पीड़ित के लिए न्याय की आस होती है। जब उसे जिलास्तर पर न्याय नहीं मिलता तो वह निकल पड़ते हैं मजबूरी में लखनऊ के बड़ी-बड़ी बिल्डिंगों में धक्के खाने के लिए। वहां उन्हें हर बार टका जवाब मिलता है, "साहब शासन में हैं।"

एक तो प्रार्थी का लखनऊ के दफ्तरों में चक्कर काटना जिला प्रशासन की नाकामी का आइना होता है। पीड़ित लखनऊ की सड़कों पर तभी चक्कर काटता है जब उसे जिले के अधिकारी से न्याय नहीं मिलता। राजधानी के दफ्तरों में भी उसे टरकाया जाता है। कुछ इसी तरह ही पीड़ित तीन से चार दिन तक राजधानी के होटलों या खुली सड़कों पर दिन रात काटता है, साहब के शासन में होने की वहज से अंत में फरियादी आत्मदाह के लिए विधानसभा या धरने के लिए लक्ष्मण मेला पार्क पहुंच जाता है। 'गाँव कनेक्शन' सामने लाएगा ऐसे पीड़ितों की फरियाद जो वर्षों से न्याय के लिए चक्कर काट रहे हैं, आखिर साहब इन आम लोगों की फरियाद सुनने के लिए शासन से कब बाहर निकलेंगे, और कब गाँव का गरीब उनसे मिल पाएगा।

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नाम : प्रदीप दीक्षित

पता: ग्राम-भगवानपुर, छतम्बा, थाना-डलमऊ, जिला-रायबरेली

क्या है मामला:

प्रदीप दीक्षित बताते हैं, "21 मई, 2016 को पुत्र मुकेश कुमार दीक्षित की हत्या की सूचना थाना धामपुर जिला बिजनौर की पुलिस ने दी, जिसके बाद एफआईआर कर्नलगंज जिला इलाहाबाद में मुकदमा संख्या 0583 धारा 364, 302, 201 में अजीत पाल व अज्ञात के नाम पर दर्ज कराई। मेरा बेटा इलाहाबाद में अपने रूम पार्टनर अजीत पाल पुत्र नंदू राम, निवासी-वाराणसी के साथ आर.के श्रीवास्तव न्यू बैहराना इन्द्रपुरी इलाहाबाद के मकान में किराए पर रहता था। हत्या के कुछ दिन पहले ही रूम पार्टनर द्वारा मेरे बेटे को कई बार फोन किए गए कि जल्दी इलाहाबाद आओ। जिसके बाद मेरा बेटा अजीत पाल के बुलाने पर इलाहाबाद चला गया, उसके बाद बेटे का कोई पता नहीं चला। जब मैंने अपने बेटे के रूम पार्टनर को फोन किया तो उसने हड़बड़ाते हुए जानकारी दी कि अभी वो इलाहाबाद पहुंचा ही नहीं है। जब मैंने रूम पार्टनर अजीत पाल से जीआरपी से बात कराने की बात कही तो उसने इनकार कर दिया तो मैंने 19 मई, 2016 को प्रयाग जाकर स्टेशन पर जीआरपी से घटना के संबंध में सूचना दी एवं जीडी पर मामला संज्ञान में लिया गया।"

रोते हुए प्रदीप दीक्षित ने बताया, "21 मई, 2016 को थानाध्यक्ष धामपुर, जिला बिजनौर ने फोन पर बेटे की मौत की जानकारी दी। जब मैं 22 मई को जिला चिकित्सालय बिजनौर पहुंचा तो बेटे का पोस्टमार्टम हो चुका था।"

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"हत्या के एक साल पांच महीने बीतने के बाद आज तक हत्यारों को सजा दिलवाने के लिए अधिकारियों से मिलने के लिए इलाहाबाद से लखनऊ और लखनऊ से रायबरेली के सैकड़ों चक्कर लगा चुका हूं, बस एक ही जवाब मिलता है, 'साहब शासन में हैं।'

थानाध्यक्ष ने दिया टरकाने वाला जवाब

जब गाँव कनेक्शन ने थाना कर्नलगंज (इलाहाबाद) के इंस्पेक्टर अवधेश प्रताप सिंह से इस केस के बारे में बात की तो उनका कहना था, "मैं अभी तीन महीने पहले ही ट्रान्सफर होकर आया हूं, अभी इस केस के बारे में कुछ नहीं कह सकता।"

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डीजीपी ऑफिस में है शिकायत सुनने का प्रकोष्ठ:

पुलिस महानिरीक्षक (लो.शि.यूपी) विजय सिंह मीना ने गाँव कनेक्शन को बताया, "हम प्रतिदिन सुबह दस बजे से दोपहर दो बजे तक और शाम को पांच बजे से शाम सात बजे तक समस्या सुनते हैं। पूरे उत्तर प्रदेश की हर वो शिकायत जो पुलिस से संबंधित है, सबको न्याय मिले यही हमारी पहली प्राथमिकता है। अगर किसी पुलिस अधिकारी के खिलाफ किसी भी व्यक्ति को कोई शिकायत है तो मुझे लिखित देता है, हम उस पर जांच करते हैं। अगर वो दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाती है।

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