पाकिस्तान का होश ठिकाने लगाने के लिए की गई थी सर्जिकल स्ट्राइक : रिटायर लेफ्टिनेंट जनरल

किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ पहुंचे रिटायर लेफ्टिनेंट जनरल दीपेन्द्र सिंह हुड्डा ने रक्षा सौदों को राजनीति से बाहर निकालकर जल्द से जल्द अत्याधुनिक उपकरणों को सेना को मुहैया कराने की बात कही

Chandrakant MishraChandrakant Mishra   23 Jan 2019 11:42 AM GMT

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पाकिस्तान का होश ठिकाने लगाने के लिए की गई थी सर्जिकल स्ट्राइक : रिटायर लेफ्टिनेंट जनरल

लखनऊ। " उड़ी हमले के बाद से सेना में गुस्सा बढ़ गया था। हमने सोच लिया था कि इसका बदला कुछ इस तरह लिया जाएगा कि पाकिस्तान का होश ठिकाने आ जाए। हमने सोच लिया था कि कुछ करना है तो तो करना है। परिस्थितियों को देखते हुए उड़ी हमले के तुरंत बाद ही सर्जिकल स्ट्राइक का फैसला ले लिया गया था। 29 सितंबर, 2016 को सर्जिकल स्ट्राइक कर पाकिस्तान को करारा जवाब दे दिया गया था।" ये कहना है भारतीय सेना के रिटायर लेफ्टिनेंट जनरल दीपेंद्र सिंह हुड्डा का। सर्जिकल स्ट्राइक को जब अंजाम दिया था, उस वक्त जनरल हूडा उत्तरी सैन्य कमान के कमांडर थे।

नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती के अवसर पर किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय, लखनऊ पहुंचे रिटायर लेफ्टिनेंट जनरल दीपेन्द्र सिंह हुड्डा ने सेना के जवान किस तहर विषम हालात में रहकर देश की सेवा करते हैं इस बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा, " बेहद कठिन परिस्थितियों में हमारे सेना के जवान हमारे देश के हर सरहद पर फिजिकल पेट्रोलिंग करते हैं। चाहे वह जम्मू का दुर्गम वन क्षेत्र हो या फिर लद्दाख और सियाचीन का भयानक बर्फीला क्षेत्र हो। हमारे सेना के जवान चार चार महीने तक केवल 8-10 की संख्या में बिना किसी संचार व्यवस्था के -50 डीग्री तापमान में रहकर तपस्या करते हैं तब जाकर देश की सीमाओं की सुरक्षा होती है। हम सब यहां आराम से सुरक्षित बैठकर यदि सेना का विरोध अपमान भी करते हैं तो वह केवल और केवल सेना के त्याग और बलिदान के कारण।"

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रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल दीपेन्द्र सिंह हुड्डा ने कहा, " भारतीय सेना पाकिस्तान के हर हरकत का दस गुना जवाब दे रही है। चाहे शेलिंग का मसला हो या फिर सैनिकों के शहादत का बदला हो। सेना के हाथ पूरी तरह खुले हुए हैं। हमारी सेना प्रचार में विश्वास नहीं रखती। सेना के जवाबी कार्रवाई से पाकिस्तानी सेना में भय की स्थिति है। देश को नये और अत्याधुनिक रक्षा उपकरणों की आवश्यकता है। इसलिए रक्षा सौदों को राजनीति से बाहर निकालकर जल्द से जल्द अत्याधुनिक उपकरणों को सेना को मुहैया कराया जाना चाहिए।

हाल में रिलीज फिल्म ऊरी- सर्जिकल स्ट्राइक पर उन्होंने कहा, " फिल्म में सारी सच्चाई तो नहीं दिखायी जा सकती, क्योंकि यह एक संवेदनशील मसला है। लेकिन व्यक्तिगत रूप मुझे फिल्म बहुत पसंद आयी।"

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कार्यक्रम में मौजूद यूथ इन एक्शन के राष्ट्रीय संयोजक शतरुद्र प्रताप ने कहा, " जिन अंग्रेजों ने नेता जी की पढ़ाई पर प्रतिबंध लगाया था उन्हीं के एडमिनिस्ट्रेटिव परीक्षा में उन्होंने देश में चौथा स्थान प्राप्त किया लेकिन फिर भी उन्होंने देश सेवा के लिये उस शानदार नौकरी को लात मार दी। अकेले दम पर न केवल पचास हजार की सेना बनाई बल्कि देश के एक बड़े हिस्से को आजाद भी करा लिया।"

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किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय लखनऊ के कुलपति प्रो एमएलबी भट्ट ने कहा, " मैं भी भारतीय सेना में पांच वर्ष तक कार्यरत रहा, इसलिये मैं सेना की कठिनाई और परेशानियों को समझता हूं। नई पीढी को हमारे देश के नायकों को जानने की जरुरत है ताकि वह गलत दशा और दिशा से उबर सकें। हमारे देश की सेना एक समर्थ और सक्षम सेना है जो किसी भी स्थिति से निपटने में सक्षम है।"

   

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